1 Jan जन्मदिन कार्यकर्ता लक्ष्मणराव पार्डीकर


 जन्म-दिवस

वरिष्ठ अविश्रांत =======                         

कार्यकर्ता लक्ष्मणराव पार्डीकर== ========(01.01.1946)======                   

संघ के वरिष्ठ कार्यकर्ता श्री लक्ष्मण शामराव पार्डिकर का जन्म एक जन.1946 को नागपुर के जनजातीय बुनकर परिवार में हुआ.* उनके पिता हथकरघे पर साड़ी बनाते थे।उनसे छोटे दो भाई और एक बहिन हैं। तीसरे भाई गंगाधरजी1983 से प्रचारक हैं।गरीबी के कारण लक्ष्मणराव की पढ़ाई मैट्रिक तक ही हुई।इसी बीच उन्हें बिजली विभाग में नौकरी मिल गयी.लक्ष्मणराव 12वर्ष कीआयु में स्वयंसेवक बने।उनके मोहल्ले और बिरादरी में संघ का घोर विरोध था;पर वे इससे कभी विचलित नहीं हुए।बचपन से ही व्यायाम में रुचि के कारण वे कभी बीमार नहीं पड़े। एक बार उनके अध्यापक ने छात्रों से व्यायाम के बारे में पूछा।केवल लक्ष्मणराव ने कहा कि वे प्रतिदिन सूर्य नमस्कार करते हैं.1962,63 और 64में तीनों संघ शिक्षा वर्ग करने के बाद वे प्रतिवर्ष वर्ग में शिक्षक रहे1981और 82 में वे तृतीय वर्ष में मुख्यशिक्षक थे।खड्ग और योगचाप उनके प्रिय विषय थे.1977में योगचाप के नये पाठ्यक्रम निर्माण में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही। 

लक्ष्मणराव के जीवन में प्राथमिकता सदा संघ के काम को ही रही।श्री गुरुजी, बालासाहब,रज्जू भैया.. आदि वरिष्ठ कार्यकर्ता उनके घर आते रहते थे।नागपुर प्रांत संघचालक बाबासाहब घटाटे ने उन्हें प्रतिज्ञा दिलाई थी.1981में वे तृतीय वर्ष के वर्ग में मुख्यशिक्षक थे।तभी उनका नया मकान भी बनना था;पर मकान की जिम्मेदारी छोटे भाई को देकर वे पूरे समय वर्ग में रहे।वे आग्रह करते थे कि कार्यकर्ता नये क्षेत्र में कार्य विस्तार के लिए जाएं।नागपुर के पास बड़ोदा में एक बार वे स्वयं महीने भर विस्तारक रहे।काम के प्रति कठोर रहते हुए भी उन्हें गुस्सा करते हुए कभी किसी ने नहीं देखा.1966में उनकी सगाई वाले दिन ताशकंद में प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री का निधन हो गया। ऐसे में उन्होंने बैंड-बाजे के बिना सब काम सादगी से पूरे कराये.आपातकाल में उन्हें भूमिगत रहने का निर्देश था। अतःउन्होंने छोटे भाई सुदाम से सत्याग्रह कराया।उन पर शाखा के मुख्यशिक्षक, कार्यवाह,नगर कार्यवाह, विभाग कार्यवाह,प्रांत सहकार्यवाह,महानगर सहसंघचालक,प्रांत,क्षेत्र और फिर अ.भा.शारीरिक प्रमुख जैसी जिम्मेदारियां रहीं। जिम्मेदारी चाहे जो हो,पर नित्य शाखा का संकल्प उन्होंने सदा निभाया।विदर्भ प्रांत सहकार्यवाह रहते हुए वे हर तहसील में गये।शनिवार, रविवार और अन्य छुट्टियों का उपयोग वे संघ के लिए ही करते थे।वे एक अच्छे गीत गायक भी थे।कार्यक्रम प्रभावी के साथ ही सादगी से भी हो,इस पर उनका विशेष जोर रहता था.1992में पुणे में कुछ खिलाड़ी स्वयंसेवकों ने"‘क्रीड़ा भारती’"का गठन किया। इसका लक्ष्य युवाओं में खेल द्वारा अनुशासन, देशप्रेम और समूह भावना का निर्माण करना तथा स्वदेशी एवं परम्परागत खेलों के प्रति जागृति लाना है, जिससे ग्रामीण प्रतिभाएं भी उभर सकें।वर्ष 2009में क्रिकेट खिलाड़ी श्री चेतन चौहान को अध्यक्ष तथा लक्ष्मणराव को कार्याध्यक्ष बनाकर इसे राष्ट्रीय स्वरूप दिया गया।उनके प्रयास से सभी प्रान्तों में समिति या संयोजक बने तथा 800 क्रीड़ा केन्द्र स्थापित हुए। दिल्ली में राष्ट्रमंडल खेलों के बाद पदक विजेताओं के माता,पिता तथा गुरुओं को भी सम्मानित किया गया। 2012में"राष्ट्रीय खेल संगम’" तथा अप्रैल 2015 में दिल्ली में महिला खिलाड़ियों के प्रशिक्षण का सफल आयोजन हुआ।हर योजना उनकी डायरी में रहने से सब उन्हें"'क्रीड़ा भारती’"का चलता-फिरता कार्यालय कहते थे. *25अक्तूबर,2015को लक्ष्मणराव "क्रीड़ा भारती" की प्रांत बैठक के लिए छिंदवाड़ा जा रहे थे।जिस गाड़ी में वे थे,बोरगांव में उसकी सामने से आती एक जीप से सीधी टक्कर हो गयी ।इससे उनका दुखद निधन हो गया।अंतिम सांस तक संगठन के काम में लगे रहने वाले ऐसे कर्मयोगी प्रणम्य हैं।सादर वंदन. सादर न

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