1 Jan जन्मदिन आधुनिक भामाशाह=जी. पुल्लारेड्डी


 जन्मतिथि=========       

आधुनिक भामाशाह=जी. पुल्लारेड्डी== ========(01.01.1921)======*

पैसा तो बहुत लोग कमाते हैं;पर उसे समाज हित में खुले हाथ से बांटने वाले कम ही होते हैं।लम्बे समय तक विश्व हिन्दू परिषद के कोषाध्यक्ष रहे भाग्यनगर (हैदराबाद)निवासी श्री गुड़मपल्ली पुल्लारेड्डी ऐसे ही आधुनिक भामाशाह थे, जिन्होंने दो हाथों से धन कमाकर उसे हजार हाथों से बांटा. *श्री पुल्लारेड्डी का जन्म एक जनवरी1921 को आंध्रप्रदेश के करनूल जिले के गोकवरम नामक गांव के एक निर्धन परिवार में हुआ* पिता श्री हुसैन रेड्डी तथा माता श्रीमती पुलम्मा थीं।पढ़ाई में रुचि न होने के कारण जैसे-तैसे कक्षा पांच तक की शिक्षा पाकर अपने चाचा की आभूषणों की दुकान पर आठ रुपये मासिक पर काम करने लगे। दुकान के बाद और पैसा कमाने के लिए उन्होंने चाय, मट्ठा और कपड़ा भी बेचा।आगे चलकर उन्होंने मिठाई का काम शुरू किया।वे मिठाई की गुणवत्ता और पैकिंग पर विशेष ध्यान देते थे।इससे व्यापार इतना बढ़ा कि उन्होंने अपनी पत्नी,बेटों, दामादों आदि को भी इसी में लगा लिया.अपनी10दुकानों के 1,000कर्मचारियों को वे परिवार का सदस्य ही मानते थे।उनके मन में निर्धन और निर्बल वर्ग के प्रति बहुत प्रेम था।एक बार तो दिन भर की बिक्री का पैसा उन्होंने दुकान बंद करते समय एक संस्था अनाथालय को दे दिया.आगे चलकर उन्होंने‘जी.पुल्लारेड्डी धर्मार्थ न्यास"बनाया,जिसके द्वारा इस समय 18विद्यालय, महाविद्यालय,तकनीकी और मैडिकल कॉलिज, चिकित्सालय,विकलांग सेवा संस्थान,छात्रावास आदि चल रहे हैं।श्री रेड्डी ने विश्व हिन्दू परिषद को तो पर्याप्त धन दिया ही;पर धन संग्रह करने वाले लोग भी तैयार किये।मधुर व्यवहार के कारण वे विरोधियों से भी धन ले आते थे।ई.टी.वी के मालिक रामोजी राव नास्तिक थे;पर वे उनसे सवा लाख रु.और 72 वर्षीय एक उद्योगपति से 72,000 रु.ले आये।वे सभी सामाजिक कामों में सहयोग करते थे।श्री सत्यसांई बाबा के 70वें जन्मदिवस पर वे 70,000लड्डू बनवाकर ले गये।एक बार सूखा पड़ने पर वामपंथियों को अच्छा काम करता देख उन्होंने वहां भी 50,000 रु.दिये।हैदराबाद नगर के मध्य में उनकी एक एकड़ बहुत मूल्यवान भूमि थी।वह उन्होंने इस्कॉन वालों को मंदिर बनाने के लिए निःशुल्क दे दी।हैदराबाद में दंगे के समय कर्फ्यू लगने पर वे निर्धन बस्तियों में भोजन सामग्री बांटकर आते थे।

हैदराबाद में गणेशोत्सव के समय प्रायःमुस्लिम दंगे होते थे।श्री रेड्डी ने 1972 में ‘भाग्यनगर गणेशोत्सव समिति’ बनाकर इसे भव्य रूप दे दिया।आज तो मूर्ति विसर्जन के समय 25,000 मूर्तियों की शोभायात्रा भी निकलती है तथा 30लाख लोग उसमें भाग लेते हैं।सभी राजनेता इसका स्वागत करते हैं।इससे हिन्दुओं के सभी जाति,मत तथा पंथ वाले एक मंच पर आ गये।श्रीपुल्लारेड्डी राममंदिर आंदोलन में बहुत सक्रिय थे।उनका जन्मस्थान करनूल मुस्लिम बहुल है। शिलान्यास तथा बाबरी ढांचे के विध्वंस के समय वे अयोध्या में ही थे।यह देखकर स्थानीय मुसलमानों ने करनूल की उनकी दुकान जला दी।इससे उन्हें लाखों रुपये की हानि हुई;पर वे पीछे नहीं हटे.वर्ष 2006में विश्व हिन्दू परिषद को मुकदमों के लिए बहुत धन चाहिए था।उन्होंने श्री अशोक सिंहल को स्पष्ट कह दिया कि चाहे मुझे अपना मकान और दुकान बेचनी पड़े;पर परिषद को धन की कमी नहीं होने दूंगा।

*इसी प्रकार सक्रिय रहते हुए श्रीरेड्डी ने09मई2007 को अंतिम सांस ली.सादर वंदन.सादर

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