13 Jan Rakesh sharma And Tlka mazi

Wing Commander Rakesh Sharma, AC is a former Indian Air Force pilot who flew aboard Soyuz T-11 on 3 April 1984 as part of the Soviet Interkosmos programme. He is the only Indian citizen to travel in space, although there have been other astronauts with an Indian background who were not Indian citizens


*🕉🕉🕉🕉🕉हरदिनपावन=== आजकादिनविशेष=============वीरगतिदिवस========         ==क्रातिपुत्र तिलकामॉंझी ======== ========(13.01.1785)======            तिलका माँझी का जन्म -11फर.1750को बिहार सुल्तानगंज में 'तिलकपुर'नामक गाँव में एक संथाल परिवार में हुआ* पिता का नाम"सुंदरा मुर्मू"था।तिलका माँझी को "जाबरा पहाड़िया"के नाम से भी जाना जाता था।बचपन से ही तिलका माँझी धनुष- बाण चलाते और जंगली जानवरों का शिकार करते।कसरत-कुश्ती करना बड़े- बड़े वृक्षों पर चढ़ना-उतरना, बीहड़ जंगलों,नदियों, भयानक जानवरों से छेड़खानी,घाटियों में घूमना आदि उनका रोजमर्रा का काम था।उन्हें निडर व वीर बना दिया.किशोर जीवन से ही अपने परिवार तथा जाति पर उन्होंने अंग्रेज़ी सत्ता का अत्याचार देखा था।इससे उनका रक्त खौल उठता और अंग्रेज़ी सत्ता से टक्कर लेने के लिए उनके मस्तिष्क में स्वतंत्रता की लहर पैदा होती ।गरीब आदिवासियों की भूमि,खेती,जंगली वृक्षों पर अंग्रेज़ी शासक अपना अधिकार किये हुए थे।वनांचल आदिवासियों के बच्चों,महिलाओं,बूढ़ों को अंग्रेज़ बहुत प्रताड़ित करते थे।आदिवासियों के पर्वतीय अंचल में पहाड़ी जनजाति का शासन था।वहां पर बसे हुए पर्वतीय सरदार भी अपनी भूमि,खेती की रक्षा के लिए अंग्रेज़ी सरकार से लड़ते थे।पहाड़ों के इर्द-गिर्द बसे हुए ज़मींदार अंग्रेज़ी सरकार को धन के लालच में खुश किये हुए थे. आदिवासियों और पर्वतीय सरदारों की लड़ाई रह-रहकर अंग्रेज़ी सत्ता से हो जाती थी और पर्वतीय ज़मींदार वर्ग अंग्रेज़ी सत्ता का खुलकर साथ देता था।अंततःवह दिन भी आ गया,जब तिलका माँझी ने"बनैचारी जोर" नामक स्थान से अंग्रेज़ों के विरुद्ध स्वतंत्र संग्राम शुरू कर दिया।वीर तिलका मांझी के नेतृत्व में आदिवासी वीरों के विद्रोही कदम भागलपुर, सुल्तान गंज तथा दूर-दूर तक वनांचल क्षेत्रों की तरफ बढ़ रहे थे.राजमहल की भूमि पर पर्वतीय सरदार अंग्रेज़ी सैनिकों से टक्कर ले रहे थे।स्थिति का जायजा लेकर अंग्रेज़ों ने क्लीव लैंड को मैजिस्ट्रेट नियुक्त कर राजमहल भेजा।क्लीव लैंड अपनी सेना और पुलिस के साथ चारों ओर देख-रेख में जुट गया.हिन्दू-मुस्लिम में फूट डालकर शासन करने वाली ब्रिटिश सत्ता को तिलका माँझी ने ललकारा और स्वतंत्र संग्राम शुरू कर दिया।जंगल,तराई तथा गंगा, ब्रह्मी आदि नदियों की घाटियों में तिलका माँझी अपनी सेना लेकरअंग्रेज़ी सरकार के सैनिक अफसरों के साथ लगातार संघर्ष करते-करते मुंगेर,भागलपुर, संथाल परगना के पर्वतीय इलाकों में छिप-छिप कर लड़ाई लड़ते रहे।क्लीव लैंड एवं सर आयर कूट की सेना के साथ वीर तिलका की कई स्थानों पर जमकर लड़ाई हुई।वे अंग्रेज़ सैनिकों से मुकाबला करते-करते भागलपुर की ओर बढ़ गए।वहीं से उनके सैनिक छिप- छिप कर अंग्रेज़ी सेना पर अस्त्र प्रहार करने लगे।समय पाकर तिलका माँझी एक ताड़ के पेड़ पर चढ़ गए।ठीक उसी समय घोड़े पर सवार क्लीव लैंड उस ओर आया। *इसी समय राजमहल सुपरिटेंडेंट क्लीव लैंड को तिलका माँझी ने 13जन.1784 को अपने तीरों से मार गिराया।* क्लीव लैंड की मृत्यु का समाचार पाकर अंग्रेज़ी सरकार डांवाडोल हो उठी। सत्ताधारियों,सैनिकों और अफसरों में भय छा गया।

एक रात तिलका माँझी और उनके क्रान्तिकारी साथी,जब एक उत्सव में नाच गाने की उमंग में खोए थे,तभी अचानक एक गद्दार सरदार जाउदाह ने संथाली वीरों पर आक्रमण कर दिया।इस अचानक हुए आक्रमण से तिलका माँझी तो बच गये, किन्तु अनेक देश भक्तवीर शहीद हुए।कुछ को बन्दी बना लिया.तिलका माँझी ने वहां से भागकर सुल्तानगंज के पर्वतीय अंचल में शरण ली।भागलपुर से लेकर सुल्तानगंज व उसके आसपास के पर्वतीय इलाकों में अंग्रेज़ी सेना ने उन्हें पकड़ने के लिए जाल बिछा दिया।वीर तिलका माँझी एवं उनकी सेना को अब पर्वतीय इलाकों में छिप-छिपकर संघर्ष करना कठिन जान पड़ा।अन्न के अभाव में उनकी सेना भूखों मरने लगी।अब तो वीर माँझी और उनके सैनिकों के आगे एक ही युक्ति थी कि छापामार लड़ाई लड़ी जाये।तिलका माँझी के नेतृत्व में संथाल आदिवासियों ने अंग्रेज़ी सेना पर प्रत्यक्ष रूप से धावा बोल दिया।युद्ध के दरम्यान तिलका माँझी को अंग्रेज़ी सेना ने घेर लिया।अंग्रेज़ी सत्ता ने इस महान् विद्रोही देशभक्त को बन्दी बना लिया. *13.01.1785में एक वट वृक्ष में रस्से से बांधकर तिलका माँझी को फ़ाँसी दे दी.तिलका माँझी ऐसे प्रथम व्यक्ति थे, जिन्होंने भारत को ग़ुलामी से मुक्त कराने के लिए अंग्रेज़ों के विरुद्ध सबसे पहले आवाज़ उठाई थी, जो 90 वर्ष बाद 1857में स्वाधीनता संग्राम के रूप में पुनःफूट पड़ी थी। क्रान्तिकारी तिलका माँझी की स्मृति में भागलपुर में कचहरी के निकट,उनकी एक मूर्ति स्थापित की गयी ।तिलका माँझी भारतमाता के अमर सपूत के रूप में सदा याद किये जाते रहेंगे. सादर वंदन.




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