19 Jan पुण्यतिथि हिन्द शिरोमणी,हिन्दू शूरवीर महा प्रतापी महाराणा प्रताप


 पुण्यतिथि हिन्द शिरोमणी,हिन्दू शूरवीर महा प्रतापी महाराणा प्रताप 

19/29.01.1597 

हिंदूसम्राटमहाराणाप्रताप कीजन्मजयंति=दिनांकअनुसार दि.09 मई1540को है.पर हिंदू तिथि अनुसार तो ज्येष्ठ शुक्ला तीज को है.*                                                   उनका बचपन का नाम कीका/कूका था।जन्म सिसोदिया राजवंश मे कुम्भलगढ़ जिला राजसमंद मे हुआ।पिता महाराणा उदयसिंह सूर्यवंशी राजपूत थे।माता महाराणी जीवंता बाई कंवर थी।पिता उदय सिंह जी के अन्य पत्नियों मे धीरबाई और अन्य भी थी।जिनके पुत्र थे =शक्तिसिंह, जगमालसिंह,सागरसिंह. सभी महाराणा उदयसिंह के उत्तराधिकारी बनना चाहते थे।पर पूरी प्रजा और सामंत सभी प्रताप को ही युवराज बनाना चाहते थे।और वे बने भी।सो सब भाई प्रताप से रंजीश रखते थे।मां जयवंता और पत्नि अजवदे=शान मे, शक्ति मे,समझ मे,संस्कार मे, सेवा मे दोनो एक दूसरे की प्रतिमूर्ति थी।देश की लगभग सभी रियासतों ने मुगलों की अधिनता स्वीकार की।मेवाड़ ने यानि उदयसिंह जी और प्रताप ने मुगलों की अधिनता कभी नहीं स्वीकारी।मुगलों के बार बार युद्ध के कारण उदयसिंह जी ने उदयपुर बसाया।जो चित्तोड़ की अरावली पहाड़ियों से होकर सीधा उदयपुर जाता था।इसे खूब समृद्ध बनाया।मुगल बादशाह अकबर प्रताप से बहुत डरता था।उसने आधा हिन्दूस्थान प्रताप को देकर अपनीआधिनता स्वीकारने का ओफर दिया।राणा प्रताप ने अस्वीकार कर दिया।परिणाम स्वरूप-1576का हल्दीघाटी का महा भयंकर युद्ध हुआ।प्रताप की वीर सेना मे लगभग- 20000 सेनिकथे.जबकि मुगलिया सेना लगभग 90000थी।मुगलिया सेनापति जयपुर का राजा मानसिंह था।जो हाथी पर था।मुगलों की सेना मे हाथी अधिक थे जबकि प्रताप की सेना मे घोड़े अधिक थे।सो प्रताप के घोड़े वीर"चेतक"के मुंह पर नकली हाथी का मुह लगा दिया।वीर प्रताप अपनी तलवार से एक ही झटके मे सवार सहित घोड़े को काट डालते थे।प्रताप का घोड़ा चेतक अपनी वीरता-स्वामीभक्ति के लिये प्रसिद्ध था।उसकी गति हवा से भी तेज थी।इस युद्ध मे 50हजारों मुगलिया सेना को काटा।अपने-10000 सैनिक भी शहीद हुए।इस प्रकार यह युद्ध ना अकबर जीता और ना राणा प्रताप हारे।अकबर तो प्रताप का लोहा मान गया।प्रताप ने नया नगर चावण्ड बसाया।इस प्रकार अकबर प्रताप को अपने अधीन नही कर सका।महाराणा प्रताप का कद= 7'6" था।वजन =110kg. उनका भाला= 80kg, कवच=70kg.तलवार= 60kg.(दो तलवार रखते) प्रताप का एक शूरवीर हाथी रामप्रसाद भी था.अकबर दो चीजे चाहता था एक प्रताप को जिन्दा गिरफ्तार दूसरा उनका हाथी राप्रसाद।उस हाथी ने अकेले मगलिया के बीसों हाथियों को मार डाला था।उसे दस हाथियों और बीस महावतों की मदद से रामप्रसाद हाथी को पकड़ा।अकबर ने नाम दिया पीर प्रसाद।पर प्रताप का हाथी बीस दिन तक वहां कुछ भी नहीं खाया और प्राण त्याग दिये।तब अकबर बोला कि मै प्रताप के हाथी को नहीं झुका सका तो प्रताप को कैसे झुकाउंगा।प्रताप और उनके शूरवीर पुत्र अमरसिंह ने पूरा मेवाड़ मुगलों को कभी लेने नहीं दिया।कुछ छीना तो उसे वापस ले लिया।वे सदा स्वतंत्र रहे।पराधीन नहीं हुए।ऐसे वीर शिरोमणी *महाराणा प्रताप जी का निधन-19/29. 01.1597 (57वर्ष)मे हुआ.ऐसे महान शूरवीर प्रतापी महाराणा प्रताप को हम सब का कोटी कोटी सादर वंदन. सादर नमन

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