20 Jan लांस नायक करमसिंह पुण्यतिथि =


 लांस नायक करमसिंह  पुण्यतिथि ========(20.01.1993)=======*           भारत के दूसरे परमवीर चक्र से सम्मानित व्यक्ति थे।इन्हें यह सम्मान सन 1948 में मिला. *लांस नायक करम सिंह का जन्म15सित.1915को पंजाब के संगरूर ज़िले के भालियाँ वाले गाँव में हुआ* 06वर्ष की उम्र में करम सिंह को स्कूल भेजा गया और पूरी कोशिश के बाद परिणाम यही निकला कि उन्हें पढ़ा पाना किसी के लिए भी असम्भव है।इनके पिता सरदार उत्तम सिंह एक सम्पन्न किसान थे।उन्होंने कोशिश की कि करम सिंह खेती बाड़ी में ही लग जाएँ, पर वहाँ भी इन्हें कामयाबी नहीं मिली।करम सिंह का मन वहाँ भी रमता नज़र नहीं आया और इस तरह वह एक नालायक बच्चे की तरह शुमार किये जाने लगे।दूसरी ओर करम सिंह के मन में साहसिक और रोमांचक ज़िंदगी की ललक थी और इनके चाचा ही इनके आदर्श थे,जो फौज में जूनियर कमांडिंग ऑफिसर थे। अपनी ही तरह की इस तबियत के चलते करम सिंह गाँव में कुश्ती और खेल-कूद के चैंपियन कहे जाते थे. अपनी आने वाली ज़िंदगी में जो तमगे इन्हें सचमुच देश भर का सिरमौर बनाने वाले थे,उनकी बुनियाद15सित.1941को पड़ी।दूसरा विश्व युद्ध पूरे जोर-शोर से जारी था।उन्हीं दिनों फौज की भर्ती का एक मौका उनके गाँव में भी आया,जिसे करम सिंह ने नहीं गँवाया और इस तरह 26वर्ष की उम्र में करम सिंह एक फौजी बन गए।राँची में बेहद सरलता से अपनी ट्रेनिंग पूरी करने के बाद इन्हें अगस्त1942में सिख रेजीमेंट में लिया गया। वहाँ से ही,करम सिंह ने अपनी धाक एक कुशल नायक के रूप में जमाई और अपने अफसरों को यह आभास दिया कि वह कठिन परिस्थिति में तुरंत ठीक निर्णय लेने की क्षमता रखने वाले सैनिक हैं।करम सिंह ने अपनी पहचान न सिर्फ लड़ाई के मैदान में बनाई, बल्कि खेल के मैदान में भी वह पीछे नहीं रहे।जहाँ बचपन में वह कुश्ती में अपना नाम रखते थे,वहीं फौज में उन्होंने पोल वॉल्ट तथा ऊँची कूद में नाम रौशन किया.03जून1947को अंग्रेज़ों ने देश के बंटवारे की अपनी योजना की घोषणा की।उस समय यह देश छोटी-बड़ी रियासतों में बँटा हुआ था।अंग्रेज़ों ने यह प्रस्ताव रखा कि रियासतें, जिस किसी भी बँटे हुए हिस्से,भारत या पाकिस्तान, में मिलना चाहें मिल जाएं या चाहें तो स्वतन्त्र रहने की मर्जी जाहिर करें।लगभग सब रियासतों ने अपना निर्णय लियाजिन रियासतों ने कहीं भी न मिलना तय किया ।जम्मू कश्मीर उनमें से एक रियासत थी,जिसमें महाराजा हरि सिंह की हुकूमत थी।उन्होंने अपनी प्रजा की मर्जी जानने के नाम पर,निर्णय लेने से पहले कुछ समय माँगा जो अंग्रेजों ने दिया।भारत और पाकिस्तान दोनों को इस बीच धैर्य पूर्वक इंतजार करना था।भारत उस समय बंटवारे की समस्याओं में उलझा हुआ था.अत:वह तो उस ओर से खामोश था ही, लेकिन पाकिस्तान तो जम्मू कश्मीर पर आँख गड़ाए बैठा था।उसे लगता था कि मुस्लिम आबादी तथा सीमा के हिसाब से जम्मू कश्मीर उसे ही मिलना चाहिये।पाकिस्तान इस इन्तजार में बेचैन हो गया।उसने जम्मू कश्मीर को हमेशा से मिलने वाली राशन, तेल,नमक,किरोसिन आदि की सप्लाई बंद कर दी।उसका इरादा राजा हरि सिंह पर दबाब डालना था।उसके बाद उसने 20अक्टू.1947 को जम्मू कश्मीर पर सब तरफ से हमला कर दिया ।कश्मीर ने भारत से मदद माँगी तो भारत ने कहा कि चूँकि कश्मीर स्वतंत्र रहना चाहता है,इसलिए उसका बीच में पड़ना ठीक नहीं है।इस पर घबराकर हरि सिंह ने यथास्थिति बनाए रखते हुए भारत के साथ जुड़ने का प्रस्ताव पत्र लिखा जिसे भारत ने स्वीकार कर लिया।अब लड़ाई भारत और पाकिस्तान की हो गई।भारत इस तरफ अकेला था और पाकिस्तान को ब्रिटिश राज के फौजी और नागरिक, अधिकारियों का गुप-चुप हौसला था।भारत इस युद्ध का हिस्सा 28अक्टूबर से बना और उसे यह लड़ाई एक साथ कई मोर्चों पर लड़नी पड़ी।मेजर सोमनाथ शर्मा रणभूमि में शहीद हो गये थे जबकि लांस नायक ने न केवल फ़तह हासिल की, बल्कि अपनी टुकड़ी की जान भी सलामत रखी।जम्मू कश्मीर का युद्ध ही उनकी बहादुरी की कहानी नहीं कहता बल्कि उसके पहले वे दूसरे विश्व युद्ध में भी अपनी वीरता का परचम लहरा चुके थे जिसके लिए इन्हें 14मार्च1944 को सेना पदक मिला, और इस सम्मान के साथ ही इन्हें पदोन्नति देकर लांस नायक भी बनाया गया।देश को अपने शौर्य से विजय का इतिहास देकर लांस नायक करम सिंह ने एक लम्बा जीवन जीया और *वर्ष 1993में अपने गाँव में उन्होंने शांतिपूर्वक अंतिम सांस ली.उस समय उनकी पत्नी गुरदयाल कौर उनके साथ थीं।सादर वंदन सादर नमन.🙏🙏🙏🙏🙏*

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