22 Jan जन्मदिन क्रांतिकारी वीरांगना नृत्यांगना अजीजन बाई

 जन्मदिवस


क्रांतिकारी वीरांगना  नृत्यांगना अजीजन बाई 

 (22.01.1824)    अजीजन का जन्म22जन. 1824को म.प्र.के मालवा में राजगढ़ नगर में हुआ.* पिता शमशेर सिंह बड़े जागीरदार थे।उसका नाम अंजुला रखा गया।एक बार सखियों के साथ हरादेवी मेले में घूमते समय अंग्रेज सिपाहियों ने उसकाअपहरण कर लिया।इस दुख में शमशेर सिंह मर गये।अंग्रेजों ने उनकी जागीर भी कब्जे में कर ली।कुछ समय तक सिपाही उसके यौवन से खेलते रहे,फिर उसे कानपुर के लाठी मुहाल चकले में 500रु0 में बेच दिया।चकले की मालकिन ने उसका नाम अजीजन बाई रखा।इस प्रकार एक हिन्दू युवती को मुसलमान बनाके कोठे पर बैठा दी।अजीजन ने समय के साथ समझौता कर पूरे मनोयोग से गीत-संगीत सीखा।इससे उसकी प्रसिद्धि चहुँ ओर फैल गयी।उन दिनों सब ओर 1857की क्रान्ति की तैयारी हो रही थी.10 मई,1857को मेरठ की घटना का समाचार पाकर अजीजन ने400वेश्याओं की "‘मस्तानीटोली’"बनाकर उसे अस्त्र-शस्त्र चलाना सिखाकर युद्ध में घायल क्रान्तिकारियों की सेवा में लगा दिया।यह जानकारी नानासाहब,तात्या टोपे आदि तक पहुँची,तो उनके सिर श्रद्धा से नत हो गये।कहते हैं कि अजीजन बाई तात्या टोपे के प्रति आकर्षित थी;पर जब उसने तात्या का देशप्रेम देखा,तो उसके जीवन की दिशा बदल गयी और वह भी युद्ध के मैदान में उतर गयी।दिन में वह शस्त्र चलाना सीखती व रात में अंग्रेज छावनियों में जाकर उनका दिल बहलाती; इसी दौरान वह कई ऐसे राज भी ले आती थी,जो क्रान्ति कारियों हेतु सहायक होते थे।अंग्रेजों द्वारा भारतीयों पर किये जा रहे अत्याचारों को देखकर उसका खून खौल उठता.15जुलाई को कानपुर के बीबीघर में अंग्रेज स्त्री एवं बच्चों को मारकर एक कुएँ में भर दिया गया।अजीजन ने भी इसमें प्रमुख भूमिका निभायी।एकबार महाराजपुर के युद्ध में वह तात्या टोपे के साथ थी और उसने उनकी जान भी बचाई।जब 1857 के युद्ध में पराजित होकर सब प्रमुख सेनानी भूमिगत हुए,तो अजीजन भी जंगल में जा छिपी।भूमिगत दशा में एक बार अजीजन पुरुष वेश में कुएँ के पास छिपी थी, तभी छह अंग्रेज सैनिक उधर आये।अजीजन नेअपनी पिस्तौल से चार को धराशाई कर दिया।शेष दो छिपकर अजीजन के पीछे आ गये और उसे पकड़ लिया।इस संघर्ष में अजीजन के हाथ से पिस्तौल गिर गयी और उसके बाल खुल गये।एक सैनिक ने उसे पहचान लिया।वह उसे मारना चाहता था;दूसरा उसे कमांडर के सामने ले जाना चाहता था।सिपाही जब कुएँ से पानी पी रहे थे-अजीजन ने गिरने का नाटक कर उधर गिरी,जिधर उसकी पिस्तौल पड़ी थी।पिस्तौल उठाकर शेष दो गोलियों से उसने उन दोनों का भी काम तमाम कर दिया।तब तक गोली की आवाज सुनकर कुछ और सैनिक आ गये और उन्होंने *अजीजन को पकड़ लिया ।उसे कर्नल हैवलाक के सामने प्रस्तुत किया।और उसनें उसे तोप के मुँह पर बाँधकर उस क्रान्तिकारी नृत्यांगना को मौत के घाट उतार दिया।ऐसी वीर साहसी वीरांगना नृत्यांगना को सादर वंदन.सादर नमन🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏*

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