3 Jan जन्मदिन पांड्य नरेश कट्टबोमन का संकल्प



 जन्मदिन 

पांड्य नरेश कट्टबोमन का संकल्प

03.01.1760)

*कट्टबोमन(बोम्मु)का जन्म तीन जनवरी 1760को हुआ.* कुमारस्वामी और दोरेसिंह नामक उनके दो भाई और थे।दोरेसिंह जन्म से ही गूँगा- बहरा था;पर उसने कई बार अपने भाई को संकट से बचाया।बोम्मु पांड्य नरेश जगवीर के सेनापति थे।उनकी योग्यता एवं वीरता देखकर राजा ने अपनी मृत्यु से पूर्व उन्हें ही राजा बना दिया।राज्य का भार सँभालते ही बोम्मु ने नगर के चारों ओर सुरक्षा हेतु मजबूत परकोटे बनवाये और सेना में नयी भर्ती की।उन्होंने जनता का पालन अपनी सन्तान की तरह किया।इससे उनकी लोकप्रियता सब ओर फैल गयी।दूसरी ओर उनके राज्य के आसपास अंग्रेजों का आधिपत्य बढ़ रहा था।कम्पनी का प्रतिनिधि मैक्सवेल वहाँ तैनात था।उसने बहुत प्रयास किया;पर बोम्मु दबे नहीं।छह वर्ष तक दोनों की सेनाओं में संघर्ष होता रहा;पर अंग्रेज सफल नहीं हुए।अब मेक्सवेल ने अपने दूत एलन को एक पत्र देकर बोम्मु के पास भेजा ।सब राजा कर दे रहे हैं,अत: चाहे थोड़ा ही हो;वह भी कुछ कर अवश्य दे।लेकिन बोम्मु ने एलन को सबके सामने अपमानित कर अपने दरबार से निकाल दिया।अब अंग्रेजों ने जैक्सन नामक अधिकारी की नियुक्ति की।उसने बोम्मु को अकेले मिलने के लिए बुलाया;परअपने गूंगे भाई के कहने पर वे अनेक विश्वस्त वीरों को साथ लेकर गये।वहाँ जैक्सन ने अपने साथी क्लार्क को बोम्मु को पकड़ने का आदेश दिया;पर बोम्मु ने इससे पहले ही क्लार्क का सिर कलम कर दिया।अब जैक्सन के बदले लूशिंगटन को भेजा।उसने फिर बोम्मु को बुलाया;बोम्मु ने मना कर दिया।इस पर कम्पनी ने मेजर जॉन बैनरमैन के नेतृत्व में सेना भेजकर बोम्मु पर चढ़ाई कर दी।इस समय बोम्मु के भाई तथा सेनापति जक्कम्मा देवी के मेले में गये हुए थे।बोम्मु ने उन्हें सन्देश भेजकर वापस बुलया और सेना एकत्र कर मुकाबला किया।शुरू में तो उन्हें सफलता मिली;पर अन्ततःपीछे हटना पड़ा।वह अपने कुछ साथियों के साथ कोलार पट्टी के राजगोपाल नायक के पास पहुँचे;पर एक देशद्रोही एट्टप्पा ने इसकी सूचना शासन को दे दी।अतः उन्हें फिर जंगलों की शरण लेनी पड़ी।कुछ दिन बाद पुदुकोट्टै के राजा तौण्डेमान ने उन्हें बुलाया।वहां भी धोखा हुआ और वे भाइयों सहित गिरफ्तार कर लिये गये. *16अक्तू.1799को कायात्तरु में उन्हें फाँसी दी गयी.फाँसी के लिए जब उन्हें वहाँ लाया गया,तो उन्होंने कहा कि मैं स्वयं फन्दा गले में डालूँगा।इस पर उनके हाथ खोल दिये गये।बोम्मु ने नीचे झुक कर हाथ में मातृभूमि की मिट्टी ली।उसे माथे से लगाकर बोले-हे माँ,मैं फिर यहीं जन्म लूँगा और तुम्हें गुलामी से मुक्त कराऊँगा।यह कहकर उन्होंने फाँसी का फन्दा गले में डाला. नीचे रखी मेज पर लात मार दी।सादर वंदन नमन।🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏*

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