30 Jan पुण्यतिथि भारत के प्रमुख प्रसिद्ध अर्थशास्त्री= जे.सी.कुमारप्पा
पुण्यतिथि भारत के प्रमुख प्रसिद्ध अर्थशास्त्री= जे.सी.कुमारप्पा
30.01.196૦
जे.सी.कुमारप्पा मद्रास में थानजीवर मे4जन.1892 को जन्म हुआ* ये मदुरई के इक़साई परिवार से थे।इनका नाम जोसफ़ चेल्लादुरै कॉर्नेलियस था।मद्रास से अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की।फिर लंदन से एकाउंटेंसी किया।फिर वहीं लंदन में एकाउंटेंट के रूप में काम किया।प्रथम विश्वयुद्ध समाप्ति पर माता के बुलाने पर ये भारत लौटे।बम्बई में एक ब्रिटिश क.में काम किया ।फिर1924में अपना व्यापार किया.जे.सी.कुमारप्पा 1927में फिर उच्च शिक्षा हेतु अमेरिका गये।सायराक्रुज़ विश्वविद्यालय से वाणिज्य,व्यापार प्रबंधन में स्नातक की उपाधि ली।फिर कोलम्बिया विश्वविद्यालय में प्रख्यात अर्थशास्त्री एडविन सेलिग्मन के मार्ग दर्शन में '"सार्वजनिकवित्त एवं भारत की निर्धनता"पर शोध पत्र लिखा जिसमें भारत की आर्थिक दुर्दशा में ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन की नीतियों से हुए नुकसान का अध्ययन किया.तब.कुमारप्पा ने पाया कि भारत की दयनीय आर्थिक स्थिति का मुख्य कारण ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन की अनैतिक और शोषक नीतियाँ हैं।अपने मूल पारिवारिक नाम कुमारप्पा को अपने नाम के साथ जोड़ा।जे.सी.कुमारप्पा 1929में भारत वापिस आए।उन्होंने महात्मा गांधीजी के साथ ग्रामीण सर्वेक्षण संचालित किया।केन्द्रीय प्रान्तों मेंऔद्योगिक सर्वेक्षण किया।इन्होंने 1929-1931के दौरान गुजरात विद्यापीठ में पढ़ाया।गांधीजी की गैर-मोजूदगी में यंग इण्डिया का सम्पादन किया।यंग इण्डिया में कुमारप्पा के लेख‘ "सार्वजनिक वित्त और हमारी निर्धनता"का सिलसिलेवार प्रकाशन शुरू हुआ।मातरताल्लुका के आर्थिक सर्वेक्षण का प्रकाशन भी हो रहा था।इस बीच गाँधी ने नमक सत्याग्रह के लिए दांडी यात्रा शुरू कर दी।ब्रिटिश शासन ने गाँधी को गिरफ्तार किया तो यंग इण्डिया के संचालन की ज़िम्मेदारी कुमारप्पा पर आ गयी।पत्र लेखन के कारण कुमारप्पा को भी गिरफ्तार कर डेढ़ साल के लिए जेल भेज दिया.1931में गाँधी- इरविन समझौते के बाद कुमारप्पा रिहा हुए और इन्हें लाहौर कांग्रेस अधिवेशन में ब्रिटिश सरकार और भारत के बीच के वित्तीय लेन देन की समुचित पड़ताल करने के लिए गठित समिति का अध्यक्ष बनाया।कांग्रेस अधिवेशन के बाद गाँधी गोलमेज़ सम्मेलन में भाग लेने के लिए इंग्लैण्ड गये।गाँधी की अनुपस्थिति में कुमारप्पा ने यंग इण्डिया सम्पादन की ज़िम्मेदारी फिर से उठायी।पर उनके लेखन से नाराज सरकार ने उन्हें पुनःगिरफ्तार कर ढाई साल के लिए ज़ेल भेज दिया।जेल से रिहा होने के बाद कुमारप्पा ने बिहार में विनाशकारी भूकम्प के राहत-कार्य के पैसे के लेन- देन का काम देखा.1934 में ये ऑल इण्डिया विलेज इन्डस्ट्रीज एसोशिएशन के सचिव बने।गांधीजी के देहान्त बाद इसके अध्यापक बने।कुमारप्पा ने महात्मा गांधी के आर्थिक विचारों को एक वैज्ञानिक आत्मा के साथ व्याख्यायित किया।जे.सी.कुमारप्पा एक बहुसर्जक रचनाकार थे।गांधीवादी अर्थशास्त्र में अनेक पुस्तकें लिखी।दो पुस्तकें अत्यंत लोकप्रिय हुई जो निम्न प्रकार है-
इकोनोमीऑफ प्रमानेन्स,
गांधीयन इकोनोमीक थोट. *जे.सी.कुमारप्पा का निधन 30 जन.1960 हुआ.इनकी स्मृति में कुमारप्पा इंस्टीट्यूट ऑफ़ ग्राम स्वराज की स्थापना की
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