7 Jan वीरगतिदिवस महिदपुर के सेनानी अमीन सदाशिवराव


वीरगतिदिवस महिदपुर के सेनानी  अमीन सदाशिवराव=== =(07.01.1858)

मध्य प्रदेश में इंदौर और उसके आसपास का क्षेत्र मालवा कहलाता है.1857 में यह पूरा क्षेत्र अंग्रेजों के विरुद्ध दहक रहा था।यहां का महिदपुर सामरिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण क्षेत्र था।अत:अंग्रेजों ने यहां छावनी स्थापित की,जिसे ‘यूनाइटेड मालवा कांटिनजेंट,महिदपुर हेडक्वार्टर’कहा जाता था.

इंदौर में लोगों ने जुलाई 1857 में जैसा उत्साह दिखाया था,उसका प्रभाव महिदपुर छावनी के सैनिकों पर भी साफ दिखाई दिया।वे एकांत में इस बारे में उग्र बातें करते थे।यह देखकर अंग्रेजों ने बड़े अधिकारियों तथा  अपने खास चमचों को सावधान कर दिया था।

छावनी में भारतीय सैनिकों के कमांडर शेख रहमत उल्ला तथा उज्जैन स्थित सिंधिया के सरसूबाआपतिया की सहानुभूति क्रांतिकारियों के साथ थी।महिदपुर के अमीन सदाशिवराव की भूमिका भी इस बारे में बहुत उल्लेखनीय है।उन्होंने क्रांति के लिए बड़ी संख्या में सैनिकों की भर्ती की।उन्हें हर प्रकार का सहयोग दिया।अंग्रेज चौकन्ने तो थे;पर उन्हें यह अनुमान नहीं था कि अंदर ही अंदर इतना भीषण लावा खौल रहा है.8नव.1857को निर्धारित योजना अनुसार प्रातः7.30बजे दो हजार क्रांतिकारियों ने ऐरा सिंह के नेतृत्व में मारो-काटो का उद्घोष करते-2,महिदपुर छावनी पर हमला बोला।इन सशस्त्र क्रांतिवीरों में उज्जैन व खाचरोद की ओर से आये मेवाती सैनिकों के साथ ही महिदपुर के नागरिक भी शामिल थे।यह देखकर छावनी में तैनात देशप्रेमी सैनिक भी इनके साथ मिल गये।अंग्रेज अधिकारी सावधान तो थे ही,अतः भीषण युद्ध छिड़ गया;पर भारतीय सैनिकों का उत्साह अंग्रेजों पर भारी पड़ रहा था ।कई घंटे के युद्ध में डा.कैरी, लेफ्टिनेंट मिल्स,सार्जेण्ट मेजर ओ कॉनेल तथा मानसन मार डाले गये।मेजर टिमनिस की पत्नी को उसके दर्जी ने अपनी झोंपड़ी में छिपा लिया,इससे उसकी जान बच गयी।इस युद्ध में भारतीय वीरों का पलड़ा भारी रहा।जो अंग्रेज अधिकारी बच गये,उन्हें इंदौर के महाराजा तुकोजीराव होल्कर ने शरण देकर उनके भोजन तथा कपड़ों का प्रबन्ध किया।परन्तु संगठन एवं कुशल नेतृत्व के अभाव, अधूरी योजना तथा समय  से पूर्व ही विस्फोट हो जाने के कारण1857का यह स्वाधीनता संग्राम सफल नहीं हो सका।धीरे-धीरे अंग्रेजों ने फिर से सभी छावनियों पर कब्जा कर लिया।जिन सैनिकों ने अत्यधिक उत्साह दिखाया था,उन्हें नौकरी से हटा दिया।कुछ को जेलों में ठूंस दिया.बहुतों को फांसी पर लटकाकर पूरे देश में एक आतंक एवं भय का वातावरण बना दिया।महिदपुर के इस संघर्ष में यद्यपि जीत भारतीय पक्ष की हुई और अंग्रेजों को मैदान छोड़ कर भागना पड़ा;पर अंग्रेजो की तरह ही बड़ी संख्या में भारतीय सैनिक भी वीरगति को प्राप्त हुए.फिर इस युद्ध के लिए वातावरण बनाने में मुख्य भूमिका निभाने वाले अमीन सयाजी राव भी गिरफ्तार कर लिये गये। *अंग्रेजों ने उन्हें देशभक्ति का श्रेष्ठतम पुरस्कार देते हुए"सात जनवरी1858"को तोप के सामने खड़ा कर गोला दाग दिया.सादर वंदन. सादर नमन🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏*

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