8 Jan पु ण्यतिथि श्रीचन्द्रकांतभारद्वाज जी


पु ण्यतिथि श्रीचन्द्रकांतभारद्वाज जी

(08.01.2007)

         राष्ट्र आराधना के स्वर चंद्रकांत भारद्वाज का जन्म-1920को किरठल (बागवत-उ.प्र.)मे हुआ.*                दिल्ली मे बी.एस.सी.कर आजादी के आंदोलन से जुड़े।फिर अपने चारों भाईयों के साथ"संघ"से जुड़े.1945 चारों ने संघ शिक्षा वर्ग किया.1947मे अलीगढ़,मेनपुरी जिला प्रचारक बने।फिर घर लोटकर बी.एड.कर शिक्षक बने.1952में एम.एस.सी.,1954मे शादी-विमलाजीके साथ.1962मे एम.ए.1966 मे-छन्द शास्त्र मे पी.एच.डी. की।शुरू से कवि हृदय होने से हर घटना पर गीत लिखते थे.1964-65मे दिल्ली मे "प.पू.गुरूजी"के सार्वजनिक कार्यक्रम मे गीत लिखा"खड़ा हिमालय बता रहा है,डरो ना आंधी पानी से"और इसे गाया-निरंजन आप्टे जी ने।तब पू. गुरूजी ने कहा कि अब मुझे भाषण देने का आवश्यकता नही है।सब कुछ इस गीत मे आ गया।उनके लिखे सैकड़ो राष्ट्र गीत हम सब आज भी शाखा मे, उत्सव मे गाते हैं।प्रसिद्ध गीत-विश्व मंगल साधना के हम हैं पुजारी,राष्ट्र मे नव तेज जागा,पुरानी नीव नया जमाना,अरूणोदय हो चुका, ले चले हम राष्ट्र नौका,युग युग से स्वप्न संजोये,नया युग करना निर्माण,हिन्दू जगे तो विश्व जगेगा,और"पथ का अंतिम लक्ष्य नहीं है"आदि गीतों की एक विराट श्रंखला है।वे कहानी,उपन्यास, नाटक,लेखन,सम्पादन मे भी सिद्धस्त थे *ऐसे हृदय स्पर्शी गीतो के लेखक श्री चन्द्रकांत भारद्वाज जी का देहांत-08.01.2007में दिल्ली मे हुआ.सादर वंदन.सादर नमन

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