9 Jan पुण्यतिथि=सर छोटूराम=
पुण्यतिथि=सर छोटूराम=
==(09.01.1945)====== (मृत्यु-09जन.1945.जन्म 24नव.1881रोहतक)
ये भारत के स्वाधीनता सेनानी तथा राजनेता थे।ग़रीबों के बंधु के रूप में वह'रहबर ए आज़म'कहे जाते थे.सर छोटूराम का जन्म 24 नव.1881में झज्जर,हरियाणा के एक छोटे से गांव गढ़ी सांपला में हुआ.* झज्जर रोहतक ज़िला, पंजाब का ही अंग था।छोटूराम का असली नाम राय रिछपाल था।भाइयों में वे सबसे छोटे थे,परिवार के लोग उन्हें'छोटू'कहते थे।स्कूल भी छोटूराम ही लिखा दिया.ये महापुरुष छोटूराम के नाम से ही विख्यात हुए।दादा रामरत्नद के पास 10एकड़ बंजर ज़मीन थी।छोटूराम जी के पिता सुखीराम कर्जे, मुकदमों में फंसे हुए थे.1905 में छोटूराम जी ने काला कांकर के राजा रामपाल सिंह के सह-निजी सचिव के रूप में कार्य किया.यहीं-1907 तक अंग्रेज़ी के'"हिन्दुस्तान'" समाचार पत्र का संपादन किया।फिर वे आगरा में वकालत की डिग्री करने आ गए।झज्जर ज़िले में जन्मा यह जुझारू युवा छात्र- 1911में आगरा के जाट छात्रावास अधीक्षक बने.1911में लॉ की डिग्री प्राप्ते की।यहां छोटूराम ने मेरठ और आगरा डिवीजन की सामाजिक दशा का गहन अध्ययन किया.1912में आपने चौधरी लालचंद के साथ वकालत शुरू की।उसी साल जाट सभा का गठन किया।चौधरी छोटूराम ने स्वाधीनता संग्राम में डटकर भाग लिया.1916में पहली बार रोहतक में कांग्रेस कमेटी का गठन किया गया.वे रोहतक कांग्रेस कमेटी के प्रथम प्रधान बने।सारे ज़िले में चौधरी छोटूराम का आह्वान अंग्रेज़ हुकूमत को कंपकपा देता था।चौधरी साहब के लेखों और कार्य को अंग्रेज़ों ने बहुत भयानक करार दिया।सो फिर रोहतक के डिप्टी कमिश्नर ने अंग्रेज़ी सरकार से चौधरी छोटूराम को देश-निकाले की सिफारिश कर दी।पंजाब सरकार ने अंग्रेज़ हुकमरानों को बताया कि चौधरी छोटूराम अपने आप में एक क्रांति हैं,उनका देश निकाला गदर मचा देगा,रक्त की नदियां बह जायेंगी।किसानों का एक-एक बच्चा चौधरी छोटूराम हो जायेगा।अंग्रेज़ों के हाथ कांप गए और कमिश्नर की सिफारिश को रद्द कर दी।छोटूराम जी ने- 1925 में राजस्थान में पुष्कर के पवित्र स्थान पर चौधरी छोटूराम ने एक ऐतिहासिक जलसे का आयोजन किया.1934में राजस्थान के सीकर शहर में किराया कानून के विरोध में एक अभूतपूर्व रैली का आयोजन किया.जिसमें 10,000जाट किसान शामिल हुए।यहां पर जनेऊ और देसी घी दान किया गया ।महर्षि दयानन्द के सत्यार्थ प्रकाश के श्लोकों का उच्चारण किया गया।इस रैली से चौधरी छोटूराम भारत की राजनीति के स्तम्भ बन गए।पंजाब में रौलट एक्ट के विरुद्ध आन्दोलन को दबाने के लिए मार्शल लॉ लागू कर दिया.जिससे देश की राजनीति में एक अजीबो गरीब मोड़ आ गया।गिरवी जमीनों की मुफ्त वापसी एक्ट,1938यह कानून 09 सित.1938 को प्रभावी हुआ।इस अधिनियम के जरिए जो जमीनें08जून,1901के बाद कुर्की से बेची हुई थीं तथा 37 सालों से गिरवी चली आ रही थीं,वह सारी जमीनें किसानों को वापिस दिलवाई गईं।इस क़ानून के तहत केवल एक सादे काग़ज़ पर ज़िलाधीश को प्रार्थना-पत्र देना होता था।इस क़ानून में अगर मूल राशि का दोगुना धन साहूकार प्राप्त कर चुका है तो किसान को जमीन का पूर्ण स्वामित्व दिये जाने का प्रावधान किया गया.1924 से1945 तक पंजाब की राजनीति के अकेले *सूर्य चौधरी छोटूराम का09 जन.1945 को देहावसान हो गया,एक क्रांतिकारी युग का यह सूर्य डूब गया. सादर वंदन.सादर नमन
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