11 Feb पुण्यतिथि=एकात्म मानववाद प्रणेता पं.दीनदयाल उपाध्याय


 पुण्यतिथि=एकात्म मानववाद प्रणेता पं.दीनदयाल उपाध्याय*=


25 सित.1916को जयपुर अजमेर मार्ग पर ग्राम धनकिया में नाना पं. चुन्नीलाल शुक्ल के घर दीनदयाल जी का जन्म हुआ।पिता भगवती प्रसाद ग्राम नगला चन्द्रभान, जिला मथुरा(उ.प्र.)के थे। तीन वर्ष की आयु में पिताजी,आठ वर्ष की आयु  में माताजी का देहान्त हुआ ।दीनदयाल का पालन रेलवे में कार्यरत मामा ने किया।ये सदा प्रथम श्रेणी में ही पास होते।कक्षा आठ में अलवर बोर्ड,मैट्रिक में अजमेर बोर्ड,इण्टर में पिलानी में सर्वाधिक अंक पाये थे।-14वर्ष की आयु में छोटे भाई शिवदयाल का देहान्त हो गया.1939में सनातन धर्म कालिज, कानपुर से प्रथम श्रेणी में बी.ए.पास किया।यहीं उनका सम्पर्क संघ के उत्तर प्रदेश के प्रचारक श्री भाऊराव देवरस से हुआ। और संघी हो गये।एम.ए.करने हेतु वे आगरा आये। पर घरेलू कारणों से वे एम.ए.पूरा नहीं कर पाये। प्रयाग से एल.टी परीक्षा पास की।संघ के तृतीय वर्ष की बौद्धिक परीक्षा में देश में प्रथम स्थान मिला।मामी के आग्रह पर प्रशासनिक सेवा की परीक्षा दी।उसमें भी प्रथम रहे।पर तब वे संघ को सर्वस्व समर्पण करने का मन बना चुके थे।इससे मामाजी,मामीजी को बहुत कष्ट हुआ। दीनदयाल जी ने पत्र लिख उनसे क्षमा माँगी।वह पत्र अब ऐतिहासिक है.1942 से प्रचारक जीवन गोला गोकर्णनाथ-लखीमपुर(उ.प्र.)से शुरू हुआ.1947में वे उत्तर प्रदेश के सहप्रान्त प्रचारक बने.1951में डा.श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने नेहरू जी की मुस्लिम तुष्टीकरण की नीतियों के विरोध में केन्द्रीय मंत्री पद छोड़ दिया।वे राष्ट्रीय विचारों के नये राजनीतिक दल का गठन करना चाहते थे।उन्होंने सरसंघचालक श्री गुरुजी से सम्पर्क किया।गुरुजी ने दीनदयाल जी को उनका सहयोग करने को कहा।इस प्रकार 'भारतीय जनसंघ' की स्थापना हुई।दीनदयाल जी प्रारम्भ में संगठन मन्त्री और फिर महामन्त्री बने.1953 के कश्मीर सत्याग्रह में डा.मुखर्जी की रहस्य पूर्ण परिस्थितियों में मृत्यु के बाद जनसंघ की पूरी जिम्मेदारी दीनदयाल जी पर आ गयी।वे एक कुशल संगठक,योग्य वक्ता,चिंतक,लेखक,पत्रकार थे।उन्होने लखनऊ में राष्ट्रधर्म प्रकाशन की स्थापना की।एकात्म मानववाद के नाम से उन्होंने नया आर्थिक एवं सामाजिक चिन्तन दिया, जो साम्यवाद,पूँजीवाद की विसंगतियों से ऊपर उठ देश को सही दिशा दिखाने में सक्षम है।उनके नेतृत्व में जनसंघ ने नये क्षेत्रों में पैर जमाये.1967कालीकट अधिवेशन में वे सर्वसम्मति से अध्यक्ष बनायेे गये।चारों ओर जनसंघ व दीनदयाल जी के नाम की धूम मच गयी।विरोधियों के दिल फटने लगे। *पुण्यतिथि    दि.11.2. 1968* इस दिन वे लखनऊ से पटना जा रहे थे।रास्ते में किसी ने उनकी हत्या कर लाश मुगलसराय रेलवे स्टेशन पर नीचे फेंक दी।इस प्रकार अत्यन्त रहस्यपूर्ण परिस्थिति में एक मनीषी का निधन हुआ।।सादर वंदन।नमन।👏

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