16 Feb पुण्यतिथि सिद्धांतप्रिय राजनेता वसंतभाई गजेन्द्र गडकर
पुण्यतिथि सिद्धांतप्रिय राजनेता
वसंतभाई गजेन्द्र गडकर
16.02.1976
वसंतभाई गजेन्द्र गडकर गुजरात में जनसंघ के कार्य को दृढ़ करने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है।वे"राव साहब"के नाम से प्रसिद्ध थे।कर्णावती लॉ कॉलिज में कानून पढ़ाते थे।संगठन कौशल को देख उन्हें राजनीतिक क्षेत्र में काम करने को कहा गया,जिसे उन्होंने निस्पृह भाव से स्वीकार किया।सत्तर के दशक में गुजरात में नवनिर्माण आंदोलन के समय जनसंघ द्वारा आयोजित रैली,बंद से वातावरण बहुत गरम था।ऐसे में एक बार वामपंथी दलों ने गुजरात बंद का आह्नान किया।वाम की अविश्वसनीयता देखते हुए जनसंघ ने उससे अलग रहने का निश्चय किया।तब के मुख्यमंत्री चिमनभाई पटेल ने वसंत भाई को बुलाकर कहा -यदि जनसंघ बंद से अलग रहे,तो वे वामपंथियों से निपट लेंगे।वसंतभाई ने स्पष्ट कर दिया कि जनसंघ इस बंद से अलग है;पर भ्रष्ट सरकार का वे समर्थन नहीं करते।अत:विपक्षी आंदोलन के दमन का दुःसाहस शासन न करे.1971के लोकसभा चुनाव में कर्णावती से वसंतभाई का लोकसभा का टिकट पक्का था।उनके नाम के पोस्टर,बैनर आदि भी लग गयेे;पर तभी दिल्ली से अन्य नाम की सूचना आ गयी।कार्यकर्ता निराश हो गये;पर वसंतभाई ने सबके घर जाकर उन्हें फिर से काम के लिए तैयार किया।चुनाव में सफलता पायी।उस चुनाव में जनसंघ की ओर से धंधुका में शंभू महाराज का नाम तह निश्चित हुआ।ऐसे में एक बड़े नेता ने अन्य सबल प्रत्याशी का नाम प्रस्तुत किया;पर वसंतभाई ने साफ कह दिया कि हम शंभू महाराज को वचन दे चुके हैं।बड़े नेता ने कहा कि राजनीति में वचन का कोई महत्व नहीं है।तब वसंतभाई ने कहा-हम चुनाव हारना पसंद करेंगे,विश्वास हारना नहीं।श्री गुरुजी के प्रति वसंतभाई के मन में बहुत श्रद्धा थी.1973में श्री गुरुजी के देहांत बाद"साधना प्रकाशन"ने वसंतभाई को उनके जीवन पर एक पुस्तक लिखने को कहा।उन दिनों नवनिर्माण आंदोलन अपने चरम पर था।जनसंघ कार्यकर्ताओं को जेल में ठूंसा जा रहा था।कई कार्यकर्ताओं पर"मीसा"लगा दिया।तब वसंतभाई ने भूमिगत रह वह पुस्तक लिखी,और अपने कार्यकर्ताओं से संपर्क भी बनाये रखा।प्राध्यापक होते हुए भी वसंतभाई बहुत हंसमुख,मस्त व्यक्ति थे।वे घर में अपनी पत्नी,भाभी, भतीजों आदि से बहुत शरारत करते थे *उनकी भाभी जी-शांताबेन गजेंद्र गड़कर भी राष्ट्र सेविका समिति की गुजरात प्रांत कार्यवाहिका नाते पूरे गुजरात मे खूब काम किया.* अधिक प्रवास, परिश्रम,अनियमित भोजन खान पान से मधुमेह आदि रोगों ने घेर लिया.1975में आपातकाल में तानाशाही के विरुद्ध देश भर में चल रहे संघर्ष में वंसतभाई सक्रिय भूमिका चाहते थे।अतःमुंबई जाकर शल्य क्रिया कराने का निर्णय लिया।जीवन में वसंतभाई के सब निर्णय समय की कसौटी पर खरे उतरे;पर इस बार काल से उन्हें धोखा दे दिया।होस्पिटल में ही उनकी तबियत बिगड़ी. *16फर.1976को उनका देहांत हो गया.सादर वंदन.
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