3 Feb नामधारी संप्रदाय के संस्थापक रामसिंहजी
जन्मदिवस
नामधारी संप्रदाय के संस्थापक रामसिंहजी
का जन्म03 फ़र.1816को भैनी पंजाब. किसान परिवार में हुआ* वे परिवार के साथ खेती के काम में हाथ बंटाते.स्वयं वे आध्यात्मिक प्रवृत्ति होने से प्रवचन देने लगे।रामसिंह सांदगी पंसद नामधारी आंदोलन के संस्थापक "बालकसिंह"के शिष्य बने।बालकसिंह से उन्होंने महान सिखगुरुओं तथा खालसा नायकों की जानकारी प्राप्त की।मृत्यु पूर्व ही बालकसिंह ने रामसिंह को नामधारियों का नेतृत्व सौंप दिया.20 वर्ष की आयु में रामसिंह सिख महाराजा रणजीत सिंह की सेना में शामिल हुए।रणजीत सिंह की मृत्यु के बाद उनकी सेना और क्षेत्र बिखर गए। ब्रिटिश ताकत और सिक्खों की कमज़ोरी से चिंतित रामसिंह ने सिंक्खों में फिर से आत्म-सम्मान जगाने का निश्चय किया और उन्हें संगठित करने के लिए अनेक उपाय किए।नामधारियों में नए रिवाजों की शुरुआत की और उन्हें उंमत मंत्रोच्चार के बाद चीख की ध्वनि उत्पन्न करने से"कूका"कहा जाने लगा।उनका संप्रदाय,अन्य सिक्ख संप्रादायों के मुकाबले अधिक शुद्ध और कट्टर था।नामधारी हाथों से बुने सफ़ेद रंग के वस्त्र पहनते थे।ख़ास तरीके से पगड़ी बाँधते थे।वे अपने पास डंडा और ऊन की जप माला रखते थे।विशेष अभिवादनों व गुप्त संकेतों का इस्तेमाल करते थे ।उनके गुरुद्धारे भी अत्यंत सादगीपूर्ण होते थे।राम सिंह ने अपने शिष्यों,जिनमें कई निर्धन थे,को यह बताकर कि वह ईश्वर के सबसे प्रिय हैं, तथा अन्य मत म्लेच्छ हैं, उनमें आत्म-सम्मान का भाव पैदा किया।उनकी सेना में संदेशवाहक तक अपने थे, ताकि ब्रिटिश डाक सेवा का बहिष्कार कर सके. *देश की स्वाधीनता हेतु योगदान देने वाले राम सिंह का1885में बर्मा में निधन हुआ.सादर वंदन.सादर नमन.
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