7 Feb जन्मदिवस 07.02.1929 एस.एन.सुब्बाराव


 जन्मदिवस 07.02.1929 एस.एन.सुब्बाराव 

सुब्बाराव का जन्म-07फरवरी1929को बंगलौर में हुआ* पिताश्रीनंजदुइयाह एक वकील थे;वे झूठे मुकदमे नहीं लड़ते।घर में देशप्रेम एवं अध्यात्म की सुगन्ध थी।इसका प्रभाव बालक सुब्बाराव पर भी पड़ा.13वर्ष की आयु में जुलूस निकालते हुए पकड़े गये;छोटे होने के कारण इन्हें छोड़ दिया।इन्हीं दिनों अपने मित्र सुब्रह्मण्यम के घर जाकर सूत कातना और उसी से बने कपड़े पहनना प्रारम्भ कर दिया।कानून की परिक्षा उत्तीर्ण करते ही उन्हें कांग्रेस सेवा दल के संस्थापक डा. हर्डीकर का पत्र मिला, जिसमें उनसे दिल्ली में सेवादल का कार्य करने का आग्रह किया गया था।दिल्ली में सेवा दल का कार्य करते हुए वे कांग्रेस के बड़े नेताओं के सम्पर्क में आये;उन्होंने सत्ता की राजनीति से दूर रह युवाओं के बीच कार्य करने को प्राथमिकता दी.उन्होंने आजीवन अविवाहित रह "सादा जीवन,उच्च विचार" को अपने जीवन में स्थान दिया।वे सदा खादी की खाकी निकर तथा कमीज पहनते हैं।उनके पास निजी सम्पत्ति के नाम पर खादी के दो थैले थे।एक में कुछ दैनिक उपयोग की वस्तुएँ, दूसरे में एक छोटा कागज, और टाइपराइटर।आजादी प्राप्ति बाद ही कांग्रेस अपने पथ से भटक गयी,और फिर कांग्रेस सेवा दल भी सत्ता की दलदल में फँस गया।इससे सुब्बाराव का मन खिन्न हो गया।उन्हीं दिनों विनोबा भावे और जयप्रकाश नारायण चम्बल के बागियों के बीच घूमकर उन्हें आत्मसमर्पण के लिए प्रेरित कर रहे थे।सुब्बाराव इस कार्य में उनके साथ लग गये.14अप्रैल,1972को इनके प्रयास रंग लाये,जब 150से भी अधिक खूंखार दस्युओं ने गांधी जी के चित्र के सामने अपने शस्त्र रख दिये।इसमें सुब्बाराव की मुख्य भूमिका थी,जो"भाई जी"के नाम से जाने जाते थे।सुब्बाराव को युवकों तथा बच्चों के बीच काम करने में आनन्दआता है।वे देश भर में शिविर लगाते हैं।उनका मानना है कि नयी पीढ़ी के सामने यदि आदर्शवादी लोगों की चर्चा हो,तो वे उन जैसे बनने का प्रयास करेंगे; दुर्भाग्य से प्रचार माध्यम आज केवल नंगेपन, भ्रष्टाचार,जाति,प्रान्त आदि के भेदों को प्रमुखता देते हैं।इससे उन्हें बहुत कष्ट होता।आगे चलकर बागियों के आत्मसमर्पण का अभियान भी राजनीति की भेंट चढ़ गया,पर सुब्बाराव ने इससे निराश न होते हुए *27सित.1970को चम्बल घाटी के मुरैना जिले में जौरा ग्राम में"महात्मा गांधी सेवा आश्रम"की स्थापना की। आज भी वे उसी को अपना केन्द्र बनाकर सेवा कार्यों में जुटे हैं।सुब्बाराव ने केवल देश में ही नहीं,तो विदेश में भी युवकों के शिविर लगाये हैं।उन्हें देश- विदेश के सैकड़ों पुरस्कारों तथा सम्मानों से अलंकृत किया जा चुका है।इससे प्राप्त राशि वे सेवा कार्य में ही खर्च करते हैं।चरैवेति- चरैवेति के उपासक सुब्बाराव अधिक समय कहीं रुकते भी नहीं है।एक शिविर समाप्त होने पर वे अगले शिविर की तैयारी में लग जाते हैं।सादर वंदन. सादर नमन.

Comments

Popular posts from this blog

13 Feb मुग़ल आक्रमण के प्रतिकारक महाराजा सूरजमल जाट जन्म दिवस –

31 March ऐतिहासिक स्मरणीय दिवस

30 March *🌹"राजस्थान दिवस