8 Feb कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी पूणयतीथी

 



कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी*=   


पूणयतीथी 


जन्म:29दिस.1887=मृत्यु:08फर.हुआ।  कन्हैयालाल मुंशी का जन्म भरूच(गुजरात)के भागर्व ब्राह्मण परिवार में हुआ.इनकी प्रारम्भिक शिक्षा माँ के धार्मिक गीतों,कथाओं से हुई।बड़ौदा में अपनी महाविद्यालीय शिक्षा के दौरान कन्हैयालाल मुंशी को शिक्षक के रूप में महर्षि अरविंद का सान्निध्य मिला।इससे मुंशी के मन में औपनिवेशिक शासन के विरुद्ध हथियारबंद विद्रोह का संकल्प जगा।साथ ही मुंशी के हृदय में भारत की गौरवशाली सांस्कृतिक, बौद्धिक,आध्यात्मिक धरोहर के प्रति अगाध श्रद्धा भी भर दी.1910 में मुंशी ने बम्बईविश्वविद्यालय से एलएलबी की उपाधि ली।वकालत शुरू की। फिर बम्बई उच्च न्यायालय के प्रमुख वकीलों में से एक बने।हिंदू कानून पर मुंशी को असाधारण महारत थी ।नवम्बर,1938 में उन्होंने भारतीय विद्या भवन की स्थापना की.1938में मुंशी और तीन मित्रों के 250रू. प्रति वर्ष के योगदान से स्थापित भारतीय विद्या भवन के आज सारे विश्व में लगभग 120केंद्र और इनसे जुड़े हुए 350से अधिक शैक्षणिक संस्थान हैं।इनमें इंजीनियरिंग, सूचना प्रौद्योगिकी, मैनेजमेंट,संचार,विज्ञान, पत्रकारिता,कला,वाणिज्य की पढ़ाई की व्यवस्था है। 

भारत की स्वाधीनता के लिए आतुर कन्हैयालाल मुंशी पहले विश्व-युद्ध के दौरान एनी बेसेंट के होम रूल आंदोलन से जुडे़। फिर गाँधी के सम्पर्क में आने पर उन्होंने कांग्रेस का साथ दिया।सरदार पटेल के नेतृत्व में 1928के बारदोली सत्याग्रह में मुंशी जी ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया।इसी प्रकार 1930 के नमक सत्याग्रह में मुंशी ने सपत्नीक भाग लिया। नमक सत्याग्रह में उन्हें छह महीने की जेल हुई.1931 में सविनय अवज्ञा आन्दोलन में मुंशी को दो साल की सज़ा हुई.1937 में मुंशी को बॉम्बे प्रेसीडेंसी की निर्वाचित सरकार में मंत्री पद पर मिला।उन्हें गृह मंत्रालय विभाग मिला ।तब अंग्रेज़ी हुकूमत भारतीयों को स्वशासन के लिए अक्षम मानती थी।वह साम्प्रदायिक मसलों पर भारतीयों को विफल देखना चाहती थी।लेकिन मुंशी ने अपने गृहमंत्री के रूप में कार्यकुशलता, निष्पक्षता,न्यायप्रियता का नमूना पेश किया।स्वतंत्र भारत के लिए नये संविधान-निर्माण के रचयिताओं राजनीतिक अंतर्दृष्टि और कुशाग्र कानूनी बुद्धि से परिपूर्ण कन्हैयालाल मुंशी इस कार्य में सबसे दक्ष माने गये। संविधान-निर्माण के लिए बनायी गयी समितियों में से मुंशी सबसे ज़्यादा ग्यारह समितियों के सदस्य बने।डॉ.आम्बेडकर जी की अध्यक्षता में बनायी गयी संविधान निर्माण प्रारूप समिति में कानून में ‘हर व्यक्ति को समान संरक्षण’ के सिद्धांत का मसविदा मुंशी और आम्बेडकर ने संयुक्त रूप से लिखा।कई अड़चनों,व्यवधानों के बावजूद हिंदी,देवनागरी लिपि को नये भारतीय संघ की राजभाषा का स्थान दिलाने में मुंशी ने सबसे प्रमुख भूमिका थी.14 सित.1949 को संविधान सभा के इस निर्णय को प्रति वर्ष हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है। मुंशी का सबसे ज़्यादा ध्यान एक मज़बूत केंद्र के मे संघीय प्रणाली विकसित करना था,इस नव-स्वतंत्र राष्ट्र में मुंशी सहित अन्य संविधान-निर्माताओं ने एक मज़बूत केंद्रीय सरकार को अपरिहार्य माना।मुंशी जी के लिए भारतीय संविधान की पहली पंक्ति‘इण्डिया दैट इज़ भारत’वाक्यांश का अर्थ केवल एक भूभाग नहीं बल्कि ऐसी सभ्यता जो आत्म-नवीनीकरण के ज़रिये सदा जीवित रहती है.1947 में हैदराबाद की अलग स्वतंत्र राष्ट्र की  समस्या को सुलझाने हेतु भारत सरकार ने मुंशी को हैदराबाद में भारत सरकार का प्रतिनिधि नियुक्त किया ।हैदराबाद विलय में गृह मंत्री सरदार पटेल ने इस अभियान में मुंशी की अहम भूमिका की बहुत प्रशंसा की।इस दुरूह कार्य को मुंशी ने अपने संस्मरण (हैदराबाद मेमोइर्स)एक पुस्तक भी लिखी।राष्ट्रपति डॉ.राजेंद्र प्रसाद ने इन्हें केंद्रीय मंत्रिमण्डल मे कृषि व खाद्य मंत्री बनाया। पर्यावरण,वानिकी के संरक्षण के लिए कई प्रयास आरम्भ किये।हर वर्ष जुलाई में आयोजित वन महोत्सव कन्हैयालाल मुंशी की ही देन है।सोमनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण भी मुंशी के एजेंडे पर था।पर प्र.मं.पं.नेहरू ने मुंशी से कहा-सोमनाथ मंदिर की पुनःस्थापना मुझे पसंद नहीं हैं.1952-1957तक कन्हैयालाल मुंशी उत्तर प्रदेश के राज्यपाल रहे. 1959में मुंशी कांग्रेस पार्टी की सदस्यता से त्यागपत्र दे चक्रवर्ती राजगोपालाचारी की स्वतंत्र पार्टी में शामिल हुए।फिर उन्होंने भारतीय जनसंघ की सदस्यता ली। 

रचनाकार,सम्पादक के में मुंशी की उपलब्धियाँ अनूठी हैं,जैसे यंग इण्डिया अख़बार का सम्पादन और मुंशी प्रेमचंद के साथ हंस पत्रिका का सम्पादन। कन्हैयालाल मुंशी एक असाधारण साहित्यकार थे।गुजराती,हिंदी,अंग्रेज़ी में सौ से ज़्यादा ग्रंथों की रचना की।उन्होंने गुजराती साहित्य परिषद्,संस्कृत विश्वपरिषद्,हिंदी साहित्य सम्मलेन की अगुआई भी की।शिक्षाविद् के रूप में भी मुंशी ने कई शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना की। सरदार पटेल के साथ मिल कर आणंद में भारतीय कृषि संस्थान की स्थापना,जो पूर्ण विश्वविद्यालय है।

कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी का देहांत08 फ़र. 1971को हुआ।सादर वंदन।नमन।👏

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