. वयोवृद्ध सामाजिक कार्यकर्ता, दुदुलगांव में आनंदग्राम के संस्थापक, जो समाज से अंधे कुष्ठ रोगियों के जीवन में खुशियाँ लाते हैं। 8 फरवरी 1999 को उनका निधन हो गया
मुग़ल आक्रमण के प्रतिकारक महाराजा सूरजमल जाट जन्म दिवस – 13 फरवरी मुगलों के आक्रमण का प्रतिकार करने में उत्तर भारत में जिन राजाओं की प्रमुख भूमिका रही है, उनमें भरतपुर (राजस्थान) के महाराजा सूरजमल जाट का नाम बड़ी श्रद्धा एवं गौरव से लिया जाता है। उनका जन्म 13 फरवरी, 1707 में हुआ था। ये राजा बदनसिंह ‘महेन्द्र’ के दत्तक पुत्र थे। उन्हें पिता की ओर से वैर की जागीर मिली थी। वे शरीर से अत्यधिक सुडौल, कुशल प्रशासक, दूरदर्शी व कूटनीतिज्ञ थे। उन्होंने 1733 में खेमकरण सोगरिया की फतहगढ़ी पर हमला कर विजय प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने 1743 में उसी स्थान पर भरतपुर नगर की नींव रखी तथा 1753 में वहां आकर रहने लगे। महाराजा सूरजमल की जयपुर के महाराजा जयसिंह से अच्छी मित्रता थी। जयसिंह की मृत्यु के बाद उसके बेटों ईश्वरी सिंह और माधोसिंह में गद्दी के लिए झगड़ा हुआ। सूरजमल बड़े पुत्र ईश्वरी सिंह के, जबकि उदयपुर के महाराणा जगतसिंह छोटे पुत्र माधोसिंह के पक्ष में थे। मार्च 1747 में हुए संघर्ष में ईश्वरी सिंह की जीत हुई। आगे चलकर मराठे, सिसौदिया, राठौड़ आदि सात प्रमुख राजा माधोसिंह के पक्ष में हो गये। ऐस...
ऐतिहासिक स्मरणीय दिवस 31मार्च का दिन अंग्रेजियत से आजादी के लिए मिल रहें है शुभ संकेत========== =1857की क्रांति के लिए 31.03.1857निश्चित=== किया गया था* हालाकि वह क्रांति इस तिथी से पहले ही शुरू हो गई थी.1857की क्रांति में अनेको शूरवीर शहीद हो गए पर एक स्वतंत्रता की आशा की किरण दिखा गए।उस क्रांति के परिणामस्वरूप अंग्रेजों का शासन हिल गया था *और भारत से ईस्ट इण्डिया कम्पनी का राज तो समाप्त हो गया पर इंग्लेंड की सरकार ने शासन.सम्हाल.लिया.* और1947में अंग्रेज भारत छोड़कर चले गए। पर अंग्रेजियत अभी भी हमको गुलाम बनाये हुए है.अब अंग्रेजियत से आजादी का सही समय आ गया.आप पूछेगें कि अब सही समय क्यों? उसका उत्तर है कि *जब अस्तित्व को कोई परिवर्तन करना होता है तो वह कोई न कोई संकेत जरुर देता है.1857की क्रांति के लिए निश्चित की तारिख-31मार्च ही थी.वंदन.अभिनंदन🙏
*🌹"राजस्थान दिवस की बधाई 🌹* *आज का दिन सभीराजस्थान दिवस=30 मार्च" इसे राजस्थान का स्थापना दिवस भी कहा जाता है। हर वर्ष के तीसरे महिने (मार्च) में 30तारीख को राजस्थान दिवस मनाया जाता है.30 मार्च,1949में जोधपुर, जयपुर,जैसलमेर और बीकानेर रियासतों का विलय होकर 'वृहत्तर राजस्थान संघ' बना था इस दिन राजस्थान के लोगों की वीरता,दृढ़ इच्छाशक्ति तथा बलिदान को नमन किया जाता है।यहां की लोक कलाएं,समृद्ध संस्कृति, महल,व्यंजन आदि एक विशिष्ट पहचान रखते हैं। इस दिन कई उत्सव और आयोजन होते हैं जिनमें राजस्थान की अनूठी संस्कृति का दर्शन होता है। इसे पहले राजपूताना के नाम से जाना जाता था तथा कुल २२ रियासतों को मिलाकर यह राज्य बना तथा इसका नाम "राजस्थान" किया गया जिसका शाब्दिक अर्थ है "राजाओं का स्थान" क्योंकि स्वतंत्रता से पूर्व यहां कई राजा-महाराजाओं ने राज किया। राजस्थान का एकीकरण ७ चरणों में हुआ।इसकी शुरुआत१८अप्रैल१९४८ को अलवर,भरतपुर,धौलपुर और करौली रियासतों के विलय से हुई।विभिन्न चरणों में रियासतें जुड़ती गईं तथा अंत में ३०मार्च१९४९को जोधपुर,जयपुर,जैसलमेर और ब...
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