10 March पुण्यतिथि=मुकुन्द रामाराव जयकर


पुण्यतिथि=मुकुन्द रामाराव जयकर

=(10.03.1959)

 (जन्म-:13 नवम्बर1873 नासिक.और मृत्यु-10मार्च 1959मुम्बई)प्रसिद्ध शिक्षाशास्त्री,स्वतंत्रता सेनानी,समाजसेवक, न्यायाधीश,विधि विशारद तथा संविधानशास्त्रज्ञ थे। उनका व्यक्तित्व बहुत ही व्यापक था।मुकुन्द रामाराव जयकर के सामाजिक,राजनीतिक,सांस्कृतिक तथाशिक्षा संबंधी कार्यों का मूल्यांकन किए बिना भारत का आधुनिक इतिहास अधूरा रहेगा।इस दृष्टि से उन के भाषणों,पत्रों तथा लेखों का अध्ययन आवश्यक है.1917के बाद से भारत का ऐसा कोई आंदोलन नहीं था,जिससे मुकुन्द रामाराव जयकर का सम्बंध किसी-न-किसी रूप में न रहा हो.       मुकुन्द रामाराव जयकर का जन्म नासिक,में हुआ* उनकी शिक्षा मुम्बई के एलफिंस्टन हाईस्कूल और कॉलेज तथा सरकारी लॉ स्कूल में हुई.1905में उन्होंने उच्च न्यायालय में वकालत शुरू की.1937में फेडरल कोर्ट ऑफ़ इंडिया में न्यायाधीश के रूप में उनकी नियुक्ति हुई।प्रीवी काउन्सिल की ज्युडीशियल कमिटी के भी मुकुन्द रामाराव जयकर सदस्य थे,पर1942में उन्होंने इस पद से त्यागपत्र दे दिया। कॉन्सिटट्युएंट एसेंबली के लिए सदस्य के रूप में भी उनका निर्वाचन हुआ.लेकिन 1947में इस पद से भी उन्होंने त्यागपत्र दे दिया।

*आत्म स्वाभिमानी*

1907से1912तक लॉ स्कूल में मुकुन्द रामाराव जयकर क़ानून के प्राध्यापक थे।उनके आत्म-सम्मान की भावना का इसी समय साक्षात्कार होता है,जब अपने से निम्न स्तर के एक यूरोपीय अध्यापक की उनसे उच्च पद पर नियुक्ति कर दी गई तो मुकुन्द जी ने त्यागपत्र दे दिया।

*शिक्षा-सुधार योजना*

फ़र्ग्युसन कॉलेज में 'प्लेज ऑफ़ इंग्लिश लिटरेचर' पर उनका भाषण शिक्षा संबंधी उनके गंभीर अध्ययन का परिचायक है।मुंबई विश्वविद्यालय की रिफॉर्म कमेटी के वे 1924-1925 में सदस्य थे।मुकुन्द रामाराव जयकर ने शिक्षा सुधार की योजना इसी समय प्रस्तुत की थी।सरकार की डेक्कन कॉलेज को बंद करने की नीति के विरुद्ध उन्होंने संघर्ष किया.जोमुम्बईविश्वविद्यालय के इतिहास में चिरस्मरणीय है1941मेंमहाराष्ट्रयूनिवर्सिटी के संबंध में उनकी अध्यक्षता में एक कमिटी कायम हुई थी ।शिक्षा और साहित्य के साथ संगीत और कला में भी मुकुन्द रामाराव जयकर की रुचि थी।इनके उत्थान के लिए भी वे चिंतित थे। *राजनीतिकगतिविधि*

मुकुन्द रामाराव जयकर शिक्षाशास्त्री के रूप में सर्वत्र विख्यात थे.नागपुर,लखनऊ, पटना व कई विश्वविद्यालयों में हुए उनके दीक्षांत भाषण अमर हैं.1917,18,20,25 के कांग्रेस के अधिवेशनों में स्वराज्य व दूसरे राजनीतिक विषयों पर उनके भाषण और प्रस्ताव बहुत ही महत्वपूर्ण रहे हैं।बंबई की स्वराज पार्टी लेजिस्लेटिव काउंसिल में वे विरोध पक्ष के नेता रहे.1926में इंडियनलेजिस्लेटिव एसेंबली के लिए सदस्य के रूप में वे निर्वाचित किए गए थे।यहाँ पर मुकुन्द रामाराव जयकर नेशनलिस्ट पार्टी के उपनेता के रूप में कार्य करते रहे।गोलमेज सम्मेलन में प्रतिनिधि के रूप में वे हाजिर थे."फ़ेडरल सट्रक्चर कमेटी" के भी आप सदस्य रहे। 'गाँधी-इरविन समझौता' के लिए सर सप्रू के साथ शांतिदूत के रूप में उन्होंने कार्य किया।पूना पैक्ट के लिए भी वे प्रयत्नशील रहे।मुकुन्द रामाराव जयकर पर सभी का समान रूप से विश्वास होने के कारण मध्यस्थ के रूप में उनकी योग्यता सराहनीय थी। सरकार ने उनको के.सी.एस. आई.बनाना चाहा,पर आप मिस्टर जयकर ही बने रहे. *1919में जलियांवाला हत्याकांड से संबंधित उनकी रिपोर्ट इतिहास में अमर है* 1940में ऑक्सफोर्डविश्वविद्यालय ने मुकुन्द रामाराव जयकर को डी.सी.एल.पदवी सेविभूषित किया था। *मृत्यु10मार्च1959को मुकुन्द रामाराव जयकर की86वर्ष की आयु में मृत्यु हो गई.सादर वंदन.सादर नमन.🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏*

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