2 March पुण्यतिथि भारत कोकिला सरोजिनी.नायडू
पुण्यतिथि भारत कोकिला सरोजिनी.नायडू
(02.03.1949)======= सरोजिनी नायडू का जन्म 13फर.1879भाग्यनगर (हैदराबाद,आं.प्र.)में हुआ* पिताश्री अघोरनाथ जी चट्टोपाध्याय वहां के निजाम कॉलेज में रसायन वैज्ञानिक, व माता श्रीमती वरदा सुन्दरी बंगला में कविता लिखती थीं ।इसका प्रभाव सरोजिनी पर बालपन से ही पड़ा।वे भी कविता लिखने लगी।पिता चाहते थे कि वह गणित में प्रवीण बने;पर उनका मन कविता में लगा था।बुद्धिमान होने से12वर्ष में ही कक्षा12 की परीक्षा पास कर ली।मद्रास विश्वविद्यालय की प्रवेश परीक्षा में उन्हें जितने अंक मिले,उतने तब तक किसी ने नहीं पाये थे.13वर्ष की आयु में उन्होंने अंग्रेजी में 1,300पंक्तियों की कविता "झील की रानी"तथा एक नाटक लिखा।पिताजी ने इन कविताओं को पुस्तक रूप में प्रकाशित कराया.1895में उच्च शिक्षा के लिए वे इंग्लैंड गयीं।वहां भी पढ़ाई और काव्य साधना साथ-साथ चलती रही.1898में सेना में चिकित्सक डा.गोविंद राजुलु नायडू से विवाह हुआ।वे अंग्रेजी,हिन्दी,बंगला,तमिल, गुजराती,की प्रखर वक्ता थीं। 1902में कोलकाता मेंउनका ओजस्वी भाषण सुनकर श्रीगोपालकृष्ण गोखले ने उन्हें सार्वजनिक जीवन में आने का सुझाव दिया.1914 में इंग्लैंड में उनकी भेंट गांधी जी से हुई।वे उनके विचारों से प्रभावित हो स्वाधीनता संग्राम में सक्रिय हुई।एक कुशल सेनापति की भांति उन्होंने अपनी प्रतिभा का परिचय सत्याग्रह तथा संगठन दोनों क्षेत्रों में दिया। दक्षिण अफ्रीका में गांधी जी द्वारा संचालित आंदोलन में भी काम किया।भारत में भी कई आंदोलनों का नेतृत्व किया,जेल गयीं।गांव,नगर, वे हर जगह जाकर जनता को जाग्रत करती।उन्हें युवाओं,महिलाओं के बीच भाषण देना बहुत अच्छा लगता।ज्यादातर महिलाएं घर,परिवार तक सीमित थी, स्वाधीनता आंदोलन से दूर थीं;सरोजिनी नायडू के सक्रिय होने से वातावरण बदलने लगा।वे अपने मधुर कंठ से देशभक्ति से परिपूर्ण कविताएं पढ़ती थीं।इससे लोग उन्हें"भारतकोकिला" कहने लगे।जलियांवाला बाग कांड के बाद सरोजनी नायडू ने"कैसर-ए-हिन्द"की उपाधि वापस कर दी।राजनीति में सक्रियता से उनकी पहचान राष्ट्रीय स्तर पर बनी.1925में कानपुर के कांग्रेस अधिवेशन में उन्हें अध्यक्ष बनाया।वे कांग्रेस की पहली महिला अध्यक्ष बनीं।साबरमती में एक स्वयंसेवक के नाते उन्होंने स्वाधीनता के प्रतिज्ञा पत्र पर हस्ताक्षर कियेे. गांधीजी उन पर बहुत विश्वास करते थे.1931में लंदन में हुए दूसरे गोलमेज सम्मेलन में वे उन्हें भी प्रतिनिधि के नाते साथ ले गये.गांधी जी ने1932में जेल जाते समय आंदोलन को चलाते रहने का दायित्व सरोजिनी नायडू को ही दिया"भारत छोड़ो आंदोलन" के समय वे गांधी जी के साथ आगा खां महल में बन्दी रहीं। *आजादी बाद नेहरू जी के आग्रह पर वे उत्तर प्रदेश की पहली राज्यपाल बनीं इसी पद पर रहते हुए 02मार्च1949को उनका देहांत हुआ.स्वतंत्रता आंदोलन और नारी जीवन के हर क्षेत्र में उनका योगदान भारतीय इतिहास में बहुत महत्वपूर्ण है.सादर वंदन.सादर नमन.
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