20 March जन्मदिवस कलम के योद्धा मुजफ्फर= हुसेन


 जन्मदिवस

कलम के योद्धा मुजफ्फर= हुसेन====   जन्म-20मार्च1940को म.प्र.के नीमच में हुआ।* पिताजी वैद्य थे।शुरू से ही उनकी रुचि पढ़ने,लिखने में थी।जब वे 15वर्ष के थे,शहर में सरसंघचालक श्री गुरुजी का एक कार्यक्रम था।संघ विरोधी एक अध्यापक ने कुछ छात्रों से वहां परचे बंटवाएं।मुजफ्फर हुसेन भी उनमें से एक थे।कार्यकर्ताओं ने उन्हें पकड़ लिया।कार्यक्रम के बाद उन्हें गुरुजी के पास ले गये।मुजफ्फर हुसेन सोचा  अब उसकी पिटाई होगी;पर गुरुजी ने उन्हें प्यार से अपने बैठाया,खीर खिलाई और कोई कविता सुनाने को कहा ।मुजफ्फर हुसेन ने रसखान के दोहे सुनाए।श्रीगुरुजी ने उसे आशीर्वाद दे विदा किया ।इस घटना से उसका मन बदल गया।नीमच से स्नातक हो कानून पढ़ने मुंबई आये।फिर यहीं के होकर रह गये।नीमच के एक अखबार में उनकालेख'कितने मुसलमान’ पढ़कर म.प्र.में कार्यरत वरिष्ठ प्रचारक श्री सुदर्शन जी उनसे मिले।सुदर्शन जी के गहन अध्ययन से वे बहुत प्रभावित हुए और उनके लेखन को सही दिशा दी।अब वे जहां एक ओर हिन्दुत्व और राष्ट्रीयता केेे पुजारी हो गये, वहां इस्लाम की कुरीतियों और कट्टरता के विरुद्ध उनकी कलम चलने लगी ।इससे नाराज मुसलमानों ने उन्हें धमकियां दीं;पर उन्होंने सत्य का पथ नहीं छोड़ा।आपातकाल में बुलढाणा और मुंबई जेल में रहे।लेखन ही उनकी आजीविका थी।गुजराती हिन्दी,मराठी,उर्दू, अरबी,पश्तो आदि जानने से उनके लेख इन भाषाओं के 24पत्रों में नियमित रूप से छपतेे।मुस्लिम जगत की हलचलों की चर्चा वे अपने लेखों में विस्तार से करते।प्रखर वक्ता होने के कारण विभिन्न सभा,गोष्ठी तथा विश्वविद्यालयों में उनके व्याख्यान होते रहते थे। उनके भाषण तथ्य तथा तर्कों से भरपूर रहते थे।वे इस्लाम के साथ ही गीता और सावरकर साहित्य के भी अध्येता थे।शाकाहार एवं गोरक्षा के पक्ष में वे कुरान, हदीस के उद्धरण देते थे।वे मुसलमानों से कहते थे कि कुरान को राजनीतिक ग्रंथ की तरह न पढ़ें तथा भारत में हिन्दुओं से मिलकर चलें।वे देवगिरि समाचारऔरंगाबाद, तरुणभारत,पांचजन्य दिल्ली विश्व संवाद केन्द्र,मुंबई से जुड़े रहे।मजहब के नाम पर लोगों को बांटने वालों की अच्छी खबर लेते थे।कई लोगों को लगता था कि कोई हिन्दू ही छद्म नाम से ये लेख लिखता है।आगे चलकर सुदर्शन जी एवं इन्द्रेश जी के प्रयास से"मुस्लिम राष्ट्रीय मंच"का गठन हुआ।श्री हुसेन की इसमें महत्वपूर्ण भूमिका रही।वे विद्याधर गोखले की संस्था"राष्ट्रीय एकजुट"में भी सक्रिय थे।उन्हें समाज और देशहित के किसी काम से परहेज नहीं था।वर्ष 2002 में उन्हें‘पद्मश्री’ तथा 2014में महाराष्ट्र शासन द्वारा‘= "लोकमान्य तिलक सम्मान" से अलंकृत किया।उन्होंने कई पुस्तकें लिखीं।इनमें इस्लाम एवं शाकाहार मुस्लिम मानसिकता,मुंबई के दंगे,अल्पसंख्यकवाद के खतरे,लादेन अफगानिस्तान समान नागरिक संहिता...   आदि प्रमुख हैं।कई भाषाओं में अनुवाद भी हुआ"राष्ट्रीय उर्दू काउंसिल"के अध्यक्ष के नाते उन्होंने राष्ट्रवादी सोच के कई लेखक तैयार किये।वे मुसलमानों के बोहरा समुदाय से सम्बद्ध थे।वहां भी उन्होंने सुधार के अभियान चलाये।मुस्लिम मानस एवं उनकी समस्याओं की उन्हें गहरी समझ थी।वे स्वयं नमाज पढ़ते थे;पर जेहादी सोच के विरुद्ध थे. *13फर.2018 को मुंबई में ही इस कलम के इस योद्धा का निधन हुआ.सादर वंदन सादर नमन

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