23 March शहीदों को प्रणाम स्मरणीय दिवस-शहीद दिवस


 शहीदों को प्रणाम 


स्मरणीय  दिवस-शहीद दिवस


23मार्च1931की मध्यरात्रि को अंग्रेज़ी शासन ने भारत के तीन सपूतों- भगतसिंह,सुखदेव,राजगुरु को फाँसी पर लटका दिया. शहीद दिवस के रूप में जाना जाने वाला यह दिन यूं तो भारतीय के लिए काला दिन माना जाता है, पर आजादी की लड़ाई में खुद को देश की वेदी पर चढ़ाने वाले ये नायक हमारे आदर्श हैं।इन तीनों वीरों की शहादत को श्रद्धांजलि देने हेतु यह शहीद दिवस मनाया जाता है।जबकि राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की याद में भी शहीद दिवस मनाया जाता है.30जन.1948को सत्य अहिंसा के पुजारी गांधीजी की पुण्यतिथि पर"शहीद दिवस"मना उन्हें भी श्रद्धांजलि दी जाती है।*

भारत एक महान् देश है।यह उन वीरों की कर्मभूमि भी रही है,जिन्होंने अपने प्राणों की परवाह किए बिना इस देश के लिए कार्य किए।अपने वतन के लिए प्राणों की बलि देने से भी हमारे वीर कभी पीछे नहीं हटे।देश को स्वतंत्र कराने हेतु देश के वीरों ने अपनी जान की आहुति तक दी। *अदालती आदेशानुसार भगतसिंह, राजगुरु सुखदेव को 24 मार्च 1931को फाँसी लगाई जानी थी,सुबह 8बजे फांसी लगाई जानी थी,लेकिन 23मार्च 1931 को ही इन तीनों को शाम सात बजे फाँसी लगा दी गई* और शव रिश्तेदारों को न देकर रातों रात ले जाकर सतलुज नदी के किनारे जला दिए।अंग्रेज़ी शासन ने भगतसिंह और अन्य क्रांतिकारियों की बढ़ती लोकप्रियता,और 24मार्च को होने वाले विद्रोह से- 23मार्च को ही भगत सिंह और अन्य को को फाँसी दे दी।यह घटना भारतीय क्रांतिकारियों की अंग्रेज़ी शासन को हिला देने वाली घटना से हुई.08अप्रैल 1929के दिन चंद्रशेखर आज़ाद के नेतृत्व में"पब्लिक सेफ्टी"और"ट्रेड डिस्प्यूट बिल"के विरोध में "सेंट्रल असेंबली"में बम फेंका.जैसे ही बिल की घोषणा की तभी भगतसिंह ने बम फेंका।फिर इनकी गिरफ्तारी का दौर चला।भगतसिंह ने अपने साथियों- राजगुरु,चंद्रशेखर, सुखदेव,जय गोपाल के साथ मिल लाला लाजपत राय पर लाठी चार्ज के खिलाफ लड़ाई की।भगत सिंह और साथियों का साहसिक कार्य आज के युवाओं के लिये एक प्रेरणास्रोत का कार्य कर रहा है. *8अप्रैल1929को अपने साथियों के साथ केन्द्रीय विधायी सभा में "इंकलाब जिंदाबाद" के नारे लगाते बम फेंका था. उन पर हत्या का मुकदमा दर्ज हुआ.23मार्च,1931 को लाहौर के जेल में शाम 7:33 बजे तीनों को फाँसी दे दी।दाह संस्कार सतलुज नदी के किनारे हुआ।अभी हुसैनवाला(भारत-पाक सीमा)में राष्ट्रीय शहीद स्मारक पर,एक बहुत बड़े शहीदी मेले का आयोजन जन्म स्थान फ़िरोज़पुर में किया जाता है।तीनों महान शहीदों को वंदन

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