25 Feb पुण्यतिथि केरल के प्रसिद्ध समाज सुधारक मन्नत्तु पद्मनाभन


पुण्यतिथि केरल के प्रसिद्ध समाज सुधारक  मन्नत्तु पद्मनाभन

(25.02.1970)======                                        (जन्म-02 जन.1878और मृत्यु-25 फ़र.1970 ई.)= केरल के प्रसिद्ध समाज सुधारकों में से एक थे।मन्नत्तु पद्मनाभन का जन्म-02जन.1878को कोट्टायम ज़िले के चंगना शेरी गाँव में ग़रीब परिवार मे हुआ* प्यार से लोग उन्हें "मन्नम"कहते।जन्म के कुछ महीने बाद ही माता-पिता में सम्बन्ध विच्छेद हो जाने से मन्नम का बचपन बड़े अभाव में बीता।शिक्षा भी पूरी नहीं कर पाए.16 वर्ष की उम्र में पांच रुपये प्रतिमाह वेतन पर प्राइमरी स्कूल में अध्यापक का काम दस वर्ष तक किया।फिर इन्होनें वकालत करने की सोची।तब मजिस्ट्रेटी की परीक्षा पास कर वकालत करने लगे।अब पांच रुपये के स्थान पर उनकी आय चार सौ रुपये प्रतिमाह होने लगी।अब मन्नम ने अपने नायर समाज पर ध्यान दिया. समाज में अंध विश्वास, आडंबर,पाखंड का बोलबाला था।शादी में कई अनुचित प्रथाएँ प्रचलित थीं।इससे उन्नत नायर समाज बड़ी दीन-हीन दशा में पहुँच गया।मन्नत्तु पद्मनाभन ने इस स्थिति को सुधारने हेतु  कुछ साथियों के साथ-1914में "नायर सर्विस सोसाइटी" नामक एक संस्था बनाई।शुरु से ही मन्नम इस संस्था के सचिव थे।फिर अपनी वकालत छोड़ पूरा समय सोसाइटी के कार्यों में लगा दिया।उनके प्रयत्न से नायर समाज की कई बुराइयाँ दूर हुईं।समाज के अनेक दोषों को दूर करने के लिए उन्हें सरकार से क़ानून बनवाने में भी सफलता मिली।मन्नम का कार्यक्षेत्र केवल नायर जाति सुधार तक ही सीमित नहीं था।छुआछूत की कुप्रथा को दूर करने में भी बढ़कर भाग लिया।पहले"अवर्णों"को नायर सोसाइटी के मन्दिरों में पूजा करने का अधिकार दिलाया।फिर गांधीजी की अनुमति ले अन्य मन्दिरों में हरिजन प्रवेश हेतु सत्याग्रह किया।इससे-1936में त्रावनकोर के महाराजा ने सबके लिए मन्दिर खोल दिये।अपने समाजसेवा के कार्य में मन्नत्तु पद्मनाभन ने शिक्षा,स्वास्थ्य सेवाओं को भी शामिल किया।केरल के कई भागों में विद्यालयों की स्थापना की।केरल का भारत में विलय कराने के आन्दोलन में-68साल की उम्र में जेल भी जाना पड़ा.1948में वे राज्य विधान सभा के सदस्य बने।आजादी बाद केरल में बनी प्रथम साम्यवादी सरकार के जनविरोधी कार्यों का उन्होंने इतना ज़ोरदार विरोध किया कि सरकार को सत्ता छोड़नी पड़ी थी।इस आन्दोलन के बाद मन्नम भारत केसरी के नाम से भी विख्यात हुए। *इनके बहुमुखी सेवा कार्यों के सम्मान में भारतसरकार ने-1966में "पद्मभूषण"से अलंकृत किया।मलयालम भाषा के लेखक के रूप में भी उनकी ख्याति थी. 25फ़रवरी1970को उनकी मृत्यु हुई।सादर वंदन.सादर नमन🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏*

Comments

Popular posts from this blog

13 Feb मुग़ल आक्रमण के प्रतिकारक महाराजा सूरजमल जाट जन्म दिवस –

18 Feb पुण्यतिथि -पंडित रामदहिन ओझा

30 Jan कृष्ठरोग निवारण दिन