27 Feb पूण्यतिथि नानाजी देशमुख


 *🕉🕉🕉🕉🕉हरदिनपावन=== आजकादिनविशेष============= ==========पुण्यतिथि========         आधुनिकचाणक्य नानाजी देशमुख==                            ========(27.02.2010)======           आपका ग्राम कडोली मे (जिला परभणी,महाराष्ट्र) में वि.सं.1973को आश्विन शुक्लापुर्णिमा.शरदपूर्णिमा को(11अक्टू.1916)को जन्म हुआ* मां श्रीमती राजाबाई थी.चंडिकादास अमृतराव(नानाजी)देशमुख ने भारतीय राजनीति पर अमिट छाप छोड़ी।गरीबी के कारण किताबों हेतु सब्जी बेच पैसे जुटाते थे.1934में डा.हेडगेवार द्वारा निर्मित स्वयंसेवक नानाजी ने1940 में उनकी चिता सम्मुख प्रचारक बनने का निर्णय ले घर छोड़ दिया।उन्हें उ.प्र.में आगरा,फिर गोरखपुर भेजा. तब संघ आर्थिक रूप से कमजोर था.नानाजी को धर्मशाला में हर तीसरे दिन कमरा बदलना पड़ता. अन्ततःएक कांग्रेसी नेता ने उन्हें इस शर्त पर स्थायी कमरा दिलाया कि वे उसका खाना बनायेंगे.नानाजी के प्रयासों से तीन साल में गोरखपुर जिले में 250 शाखाएं हुई.उन्होंने गोरखपुर में1950में पहला"सरस्वती शिशु मन्दिर"स्थापित किया।आज तो"विद्या भारती"संस्था मे ऐसे विद्यालयों की संख्या 50,000 से भी अधिक है.1947में रक्षाबन्धन पर लखनऊ में"राष्ट्रधर्म प्रकाशन' की स्थापना हुई.नानाजी इसके प्रबन्ध निदेशक बने. वहां से मासिक राष्ट्रधर्म, साप्ताहिक पांचजन्य,दैनिक स्वदेश अखबार निकाले.1948मे संघ पर प्रतिबन्ध लगने से प्रकाशन संकट में पड़ गया।ऐसे में नानाजी ने छद्म नामों से कई पत्र निकाले.1952में जनसंघ की स्थापना होने पर उत्तर प्रदेश में उसका कार्य नानाजी को सौंपा.1957तक प्रदेश के सभी जिलों में जनसंघ का काम पहुँच गया.1967में वे जनसंघ के राष्ट्रीय संगठन मंत्री बन दिल्ली आये.1967 मे ही विभिन्न विचार,स्वभाव वाले नेताओं को साथ ले उ.प्र.मे सत्तारूढ़ कांग्रेस का घमंड तोड़ा.इसी कारण कांग्रेस वाले उन्हें नाना फड़नवीस कहते थे।दीनदयाल जी की हत्या के बाद1968में दिल्ली में "दीनदयाल शोध संस्थान"की स्थापना की।विनोबा भावे के "भूदान यज्ञ"तथा 1974में इन्दिरा गांधी के विरुद्ध जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में हुए आन्दोलन में नानाजी खूब सक्रिय रहे।पटना में जब पुलिस ने जयप्रकाशजीपर लाठी बरसायीं,तो नानाजी ने उन्हें अपनी बांह पर झेलकर जयप्रकाश जी बचाया.भले ही उनकी बांह टूट गयी.1975मेंआपातकाल मे बनी "लोक संघर्ष समिति"के वे पहले महासचिव थे.1977के चुनाव में इन्दिरा गांधी हार गयीं और जनता पार्टी की सरकार बनी।नानाजी भी बलरामपुर से सांसद बने।प्र.मं.मोरारजी देसाई उन्हें मंत्री बनाना चाहते थे. नानाजी ने सत्ता के बदले संगठन को महत्व दिया।अतःवे जनता पार्टी के महामन्त्री बने.1978में नानाजी सक्रियराजनीतिछोड़ "दीनदयालशोध संस्थान"के द्वारा से गोंडा,नागपुर,बीड़, अमदाबाद में ग्राम विकास के कार्य किये.1991में उन्होंने चित्रकूट में देश का पहला "ग्रामोदय विश्व-विद्यालय" स्थापित कर आसपास के 500गांवों का जन भागीदारी से सर्वांगीण विकास किया।इसी प्रकार मराठवाड़ा, बिहार में भी कई गांवों का पुननिर्माण किया.1999में वे राज्य सभा में मनोनीत किये गये.सांसद निधि का उपयोग उन्होंने इन सेवा प्रकल्पों के लिए ही किया. *"पद्मविभूषण" से सम्मानित नानाजी ने "27फरवरी, 2010"को अपनी कर्मभूमि चित्रकूट में अंतिम सांस ली.अपने 8वें जन्मदिन पर देहदान का संकल्प पत्र भरा था. अतःदेहांत बाद उनका शरीर चिकित्सा विज्ञान के छात्रों के शोध हेतु दिल्ली के आयुर्विज्ञान संस्थान को दे दिया.मरणोपरांत उन्हें देश का सर्वोच्च पुरस्कार भारत रत्न 08अगस्त 2019को दिया गया.आज ही इसी दिन यह सम्मान पाने वाले श्री प्रणव मुखर्जी व स्व.भूपेन हजारिका भी थे.सादर वंदन.सादर नमन🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏*

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