4 March पुण्यतिथि क्रान्तिकारी की मानव कवच==== =======तोसिको बोस===== =====(रासबिहारी बोस= की पत्नि


 पुण्यतिथि 

क्रान्तिकारी की मानव कवच====            =======तोसिको बोस=====         =====(रासबिहारी बोस= की पत्नि)=      ========(04.03.1925)======*

तोसिको बोस भारतीय क्रान्तिकारी इतिहास में अल्पज्ञात है।जन्मभूमि जापान में वे केवल 28वर्ष तक ही जीवित रहीं।फिर भी सावित्री तुल्य इस सती नारी का स्वाधीनता संग्राम को आगे बढ़ाने में अनुपम योगदान रहा। *रासबिहारी बोस महान क्रान्तिकारी थे.23दिस.1912को दिल्ली में तत्कालीन वायसराय के जुलूस पर बम फेंक कर उसे यमलोक पहुँचाने का प्रयास तो हुआ,वह पूर्णत:सफल नहीं हो पाया।उस योजना में रासबिहारी बोस की बड़ी भूमिका थी।* अंग्रेज शासन ने उन्हें गिरफ्तार करने हेतु दूर-दूर तक जाल बिछाया।पकड़वाने वाले के लिए एक लाख रु का पुरस्कार भी घोषित किया।वे पकड़े जाते, तो मृत्युदण्ड निश्चित था।साथियों के परामर्श से वे- 1915के मई मास में नाम और वेष बदल जापान गये।तब जापान और ब्रिटेन में एक सन्धि थी,जिसमे भारत का कोई अपराधी यदि जापान में छिपा हो,तो उसे लाकर भारत में मुकदमा चलाया जाय।पर यदि वह जापान का नागरिक है,तो उसे नहीं लाया जा सकता था।पति-पत्नी में से कोई एक यदि जापानी है,तो दूसरे को स्वतःनागरिकता मिल जाती थी.रासबिहारी के मित्रों ने विचार किया कि यदि उनका विवाह किसी जापानी कन्या से करा दिया जाये,तो प्रत्यार्पण का संकट टल जाएगा।रासबिहारी बोस के एक जापानी मित्र आइजो सोमा और उनकी पत्नी कोक्को सोमा ने उन्हें अपने होटल से लगे घर में छिपाकर रखा।तब उनका परिचय सोमा दम्पति की20वर्षीय बेटी तोसिको से हुआ।उसे जब भारतीयों पर ब्रिटिष शासन द्वारा किये जा रहे अत्याचारों का पता लगा,तो उसका हृदय आन्दोलित हो उठा।रासबिहारी ने उसे क्रान्तिकारियों द्वारा जान पर खेलकर किये जा रहे कार्यों की जानकारी दी।इससे उसके मन में आजादी के इन दीवानों के प्रति प्रेम जाग्रत हुआ।उसने स्वयं ही रासबिहारी बोस से विवाह कर उनकी मानव कवच बनने का निर्णय लिया।उसने अज्ञातवास में भी रासबिहारी का साथ देने का वचन दिया।तोसिको के माता-पिता ने बेटी की इच्छा का सम्मान किया। *नौ जुलाई1918 को रासबिहारी बोस एवं तोसिको का विवाह गुपचुप रूप से सम्पन्न हुआ* इससे रासबिहारी को जापानी नागरिकता मिल गयी।अब वे खुल कर काम कर सकते थे।इस अवसर का लाभ उठा दक्षिण पूर्व एषिया में रह रहे भारतीयों को संगठित किया और वहाँ से साधन जुटाकर भारत में क्रान्तिकारियों के पास भेजे।उन्होंने आसन्न द्वितीय विश्व युद्ध के वातावरण का लाभ उठा आजाद हिन्द फौज के गठन में बड़ी भूमिका निभायी।दो जुलाई1923 को रासबिहारी को जापान में रहते हुए सात वर्ष पूरे हो गये ।इससे उन्हें स्वतन्त्र रूप से वहाँ की नागरिकता मिली. गुप्त,अज्ञातवास के कष्टपूर्ण जीवन से तोसिको को टी.बी. हुई।उन दिनों यह असाध्य रोग था।तोसिको दो साल भी पति के साथ ठीक से नहीं बिता सकी. *चार मार्च1925को मात्र28वर्ष की अल्पायु में वे इस संसार से विदा हुई.सादर वंदन.सादर नमन🙏🙏🙏🙏🙏*

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