7 March जन्मदिवस कलम और बम-गोली के धनी अज्ञेय जी(सच्चिदानंद


 जन्मदिवस कलम और बम-गोली के धनी अज्ञेय जी(सच्चिदानंद)

07.03.1911

साहित्यकार,सच्चिदानंद हीरानंद वात्सयायन अज्ञेय का जन्म07मार्च1911.को कसया,कुशीनगर(उ.प्र.)में पुरातत्ववेत्ता श्री हीरानंद शास्त्री,श्रीमती कांतिदेवी के घर में हुआ।* लोग उन्हें प्यार से"सच्चा"कहते थे। उन्होंने"कुट्टिचातन"उपनाम से ललित निबंध लिखे।प्रसिद्धसाहित्यकार श्री जैनेन्द्र एवं प्रेमचंद ने उन्हें "अज्ञेय"नाम दिया,जो स्थायी पहचान बन गया।अज्ञेय की शिक्षा लखनऊ,श्रीनगर, जम्मू,मद्रास,लाहौर,नालंदा, पटना पर हुई।उन्होंने- संस्कृत,फारसी,अंग्रेजी, बांग्ला भाषाएं सीखीं.1921 में मां के साथ पंजाब यात्रा में जलियांवाला बाग के दर्शन से उनके मन में अंग्रेजों के प्रति विद्रोह की चिंगारी जल उठी।लाहौर में पढ़ते,उनका संपर्क क्रांतिकारियों से हुआ. भगतसिंह,चंद्रशेखर,सुखदेव,राजगुरू,भगवती चरण आदि के साथ काम किया।वे "हिन्दुस्तान रिपब्लिकन आर्मी"के सदस्य बने.1930 में क्रांतिकारियों ने भगतसिंह को जेल से छुड़ाने की योजनानुसार अज्ञेय ने दिल्ली में"हिमालयन खादलेंटीन" नामक उद्योग स्थापित किया ।इसकी आड़ में बम बनाते थे;बम-परीक्षण में भगवती बोहरा की मृत्यु होने से यह इसे छोड़नी पड़ी।अमृतसर में भी बम बनाना चाहते थे;वहां वे अन्य साथियों के साथ पकड़े गये।उन सब पर "दिल्ली षड्यंत्र"के नाम से मुकदमा चला।पहले लाहौर, दिल्ली जेल में यातनाएं भोगते हुए कई पुस्तकें लिखीं ।बाद में उन्हें घर में ही नजरबंद रखा।फिर लेखन, पत्रकारिता को आजीविका का साधन बनाया।वे किसान आंदोलन में भी सक्रिय हुए।उन्होंने अॉल इंडिया रेडियो तथा1943-46 तक सेना में नौकरी की.असम-बर्मा सीमा पर तैनात रहे।अज्ञेय ने सैनिक,विशालभारत,प्रतीक,दिनमान,नया प्रतीक, नवभारत टाइम्स,ऐवरी मेन्स वीकली हिन्दी,अंग्रेजी पत्र पत्रिकाओं का सम्पादन, प्रकाशन किया।वे लम्बे समय तक किसी एक पत्र से बंधे नहींरहे.1975मेंआपातकाल ।सेंसरशिप,इंदिराजी की तानाशाही का विरोध किया।घुमक्कड़ी उनके स्वभाव में थी।यूनेस्को की ओर से भारत भ्रमण किया.वेयूरोप, आस्ट्रेलिया चीन,हालैंड, कैलिफोर्निया,जर्मनी,सोवियत संघ के देशों में भी गये।जापान में उन्होंने जेन तथा बौद्ध मत का अध्ययन किया ।भारत तथा विश्व के अनेक विश्वविद्यालयों में अतिथि प्रवक्ता के नाते भी गये।अज्ञेय ने हिन्दी एवं अंग्रेजी में कविता,उपन्यास,यात्रा वर्णन,डायरी,निबंध,नाटक, अनुवाद की सौ से भी अधिक पुस्तकें लिखीं। साहित्य क्षेत्र के सभी बड़े पुरस्कार उन्हें मिले।उन्होंने "वत्सल निधि"की स्थापना कर उसके द्वारा लेखन शिविर,हीरानंद शास्त्री एवं रायकृष्णदास व्याख्यान,जय जानकी यात्रा तथा भागवत भूमि यात्राओं का आयोजन किया *04अप्रैल1987को दिल्ली में उनका देहांत हुआ.सादर वंदन.सादर नमन

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