जन्मतिथि। सर्वस्व समर्पण के प्रतीक कार्यकर्ता
जन्मतिथि। सर्वस्व समर्पण के प्रतीक कार्यकर्ता
बाबू पंढरीराव कृदत्त (14.03.1922)=
*बाबू पंढरीराव कृदत्त का जन्म-14मार्च1922 को धमतरी के मराठपारा में गुलाबराव बाबूराव कृदत्त के घर हुआ* 1935 से ही वे शाखा जाने लगे थे.1938 में नागपुर संघ शिक्षा वर्ग में पूज्य डा.हेडगेवार के दर्शन किये।उनकी प्रेरक वाणी सुन वे संघमय हो गये.1939में गृहस्थी बने।पर प्राथमिकता संघ कार्य ही थी.1948में संघ प्रतिबंध पर जेल भेज दिया गया।फिर वे राजनीति में सक्रिय होुए।उनके प्रेरणा श्रोत्र प्रांत प्रचारक श्री भाऊसाहब भुस्कुटे से थे.
1952के में चुनाव में जनसंघ से धमतरी से वे भारी मतों से विजयी हुए.इसके बाद-भी 1957और1967के चुनाव में भी जय कीर्तिमान बनाया।विरोधी दल के उपनेता चुने गये।लेकिन-1969में सरसंघचालक श्री गुरुजी के संकेत पर वे राजनीति छोड़ फिर से संघ के काम में लगे।रायपुर में हुए एक संभागीय शिविर में श्री गुरुजी ने उन्हें रायपुर विभाग कार्यवाह का दायित्व दिया।वे रायपुर विभाग के सहसंघचालक और फिर छत्तीसगढ़ प्रांत के संघचालक भी रहे।पंढरी बाबू का सारा जीवन समाज सेवा को समर्पित था।धमतरी क्षेत्र में शिक्षा प्रसार में उनका योगदान अविस्मरणीय है।धमतरी जिले में चल रहे सरस्वती शिशु मंदिरों की स्थापना,विस्तार में वे सदा सर्वाधिक सक्रिय रहे.1947 में धमतरी में सरकारी हाईस्कूल बनवाने में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने श्री गायत्री संस्कृत विद्यालय के लिए तेलिन सक्ति गांव में-55एकड़ भूमि और एक पक्का भवन दान कर दिया।दुखी,पीडि़त जनों की सेवा के लिए पंढरी बाबू सदा तत्पर रहते थे।धमतरी में कुष्ठ रोगियों को व्यवस्थित रूप से बसाने के लिए उन्होंने रानी बगीचा में दो एकड़ भूमि दान दी।पंढरी बाबू ने अपनी-42एकड़ भूमि पूज्य श्री गुरुजी को समर्पित कर दी।श्रीगुरुजी ने उसे भारतीय कुष्ठ निवारक संघ को देकर बाबूजी को संस्थापक सदस्य बनाया।पंढरी बाबू रामायण को विश्व की अनुपम कृति मानते थे।मानस के जीवन मूल्यों के प्रचार-प्रसार हेतु अहर्निश साधना की।वे मतान्तरण के विरोधी थे; परावर्तन को घर वापसी मानते थे।छत्तीसगढ़ में परावर्तन के काम को भी गति दी।अब यह अभियान देश भर में चल रहा है।अपने देहांत से एक दिन पूर्व अस्पताल के बिस्तर पर से ही देश की संस्कृति और सभ्यता के विनाश और राष्ट्र पर आसन्न संकंटों की चिंता करते हुए-26जनवरी के अवसर पर प्रकाशनार्थ एक पत्रक हस्ताक्षर कर जारी किया था।यह पत्रक युवकों को सम्बोधित था।उन्होंने संगठित युवा शक्ति ही पुराणों में उल्लिखित"कल्कि अवतार"बताया।इस संदेश में अपने त्याग और तपस्या के बल पर उत्थान के मार्ग पर चलकर देश का गौरव बढ़ाने वाली भारत की महान आत्माओं को प्रणाम करते हुए भारत के पूर्व वैभव, वर्तमान समस्याओं, आतंकवाद,नक्सलवाद, माओवाद जैसे संकटों के बारे में लिखा।इस प्रकार अंतिम समय वे सतत सक्रिय व जागरूक थे. *20जन.2009को-88 वर्ष की सुदीर्घ आयु में बाबू पंढरी राव कृदत्त चले गये.सादर वंदन.सादर नमन
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