23 Jan मोहन सेन क्रांतिकारी पुण्यतिथि
🕉दिन विशेष=पुण्य-तिथि= *नरेन्द्र मोहन सेन=जन्म-13अगस्त, 1887,जलपाईगुड़ी,पश्चिम बंगाल;तथा मृत्यु-23 जन.1963, वाराणसी,उ.प्र.)में.भारत के प्रसिद्ध क्रांतिकारियों में से एक।अपनी शिक्षा बीच में ही छोड़ ये 'अनुशीलन समिति'में शामिल हुए।'बारीसाल षड़यंत्र केस'में नरेन्द्र मोहन सेन को गिरफ़्तार किया,और फिर 1914 में नजरबंद कर दिया*
प्रसिद्ध क्रांतिकारी नरेन्द्र मोहन सेन का जन्म 13 अगस्त,1887में प.बंगाल के जलपाईगुड़ी में हुआ. बचपन में इन्हें विख्यात क्रांतिकारी'अनुशीलन समिति'के नेता पुलिन बिहारी दास के घर पर पढ़ने का अवसर मिला.यहीं से उनमें देशभक्ति की भावना का संचार हुआ। 'ढाका मेडिकल स्कूल'में द्वितीय वर्ष की पढ़ाई छोड़ ये क्रांतिकारी'अनुशीलन समिति'में सम्मिलित हो गए।अपने साहसपूर्ण व्यवहार से नरेन्द्र मोहन सेन को समिति में प्रमुखता मिली और उनका घर क्रांतिकारियों काअड्डा बना .1909में अंग्रेज़ सरकार ने समिति को ग़ैर क़ानूनी घोषित कर दी।समिति के सदस्यों पर'ढाका षड़यंत्र केस'के नाम से मुक़दमा चला।अनेक लोगों को सजाएँ हुई।इसमें नरेन्द्र मोहन सेन पुलिस के हाथ नहीं आए और वे गुप्त रूप से समिति का काम करते रहे.1910 में उनके ऊपर समिति का पूरा भार आ गया.नरेन्द्र मोहन सेन ने समिति के काम को आगे बढ़ाया और समिति की शाखाएँ आसाम,मुंबई, बिहार,उत्तर प्रदेश,पंजाब में खोली.1911में क्रांतिकारियों को रूस, जर्मनी आदि देशों में भेजने की योजना बनाई।कृषि फ़ॉर्म खोल कर उसके अंदर कार्यकर्ताओं को हथियार चलाने का प्रशिक्षण दिया.1913में 'बारीसाल षड़यंत्र केस'में नरेन्द्र मोहन सेन गिरफ़्तार हुए।पर पुलिस उन्हें सजा नहीं दिला पाई।इस पर 1914 में उन्हें नजरबंद कर लिया।फिर गिरफ़्तारी और भारत तथा बर्मा की जेलों में बंद होते रहे।बड़ी आयु मे नरेन्द्र ने सन्न्यास ले लिया था,तो भी द्वितीय विश्वयुद्ध के दिनों में संन्यासी नरेन्द्र मोहन भी जेल गये.23 जन.1963 को वाराणसी,(उ.प्र)में उनका निधन हुआ।सादर वंदन।नमन।👏
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