24 Jan पुण्यतिथि -संघ के वरिष्ठतम प्रचारक श्रद्धेय पूज्य धनप्रकाशजी त्यागी
पुण्यतिथि -संघ के वरिष्ठतम प्रचारक श्रद्धेय पूज्य धनप्रकाशजी त्यागी 24.01.2020
आपने10जन.2020को ही 103वर्ष की आयु पूर्ण की. संघ के सह सरकार्यवाह माननीय दत्तात्रेय जी होसबोले ने उनके जन्मदिन पर उनको माल्यार्पण कर शाल भेंट किया था।धनप्रकाश जी भाईसाहब.24जन.2020 को सांयकाल चार बजे अपनी जीवनलीला समेटकर परमत्व में विलीन हो गये।25जन.2020को प्रातः9.30बजे संघ कार्यालय-भारती भवन से अंतिम यात्रा प्रारंभ होकर चांदपोल शमशान घाट पर गई थी. श्रीधनप्रकाशजीत्यागी का जीवन परिचय=🙏🙏🙏🙏🙏🙏 श्री धनप्रकाश जी त्यागी का जन्म10जन.1918को उत्तरप्रदेश के मुजफ्फर नगर जिला मे स्थित मएहपुरा गांव में हुआ. पिता पं.सालिगराम त्यागी बडे दयालू,ईमानदार तथा हिन्दू धर्म में प्रबल आस्था रखने वाले व्यक्ति थे.पिता के व्यक्तित्व का प्रभाव धनप्रकाश जी पर गहरा पडा।धनप्रकाश जी ने उस जमाने में विज्ञान संकाय से उच्च माध्यमिक तक शिक्षा प्राप्त की और दिल्ली में केन्द्रीय सरकार में क्लर्क की नौकरी की।उसी दौरान वे संघ के स्वयंसेवक बने।उन्होंने1942में दिल्ली से संघ का प्राथमिक शिक्षा वर्ग,1943में प्रथम वर्ष,1944 में द्वितीय वर्ष तथा 47में संघ शिक्षा वर्ग-तृतीय वर्ष का प्रशिक्षण लिया।केन्द्रीय सरकार में क्लर्क की नौकरी करने के बाद भी उनकी इच्छा भारत माता की सेवा में अनवरत लगे रहने की थी।इसी इच्छा के चलते उन्होंने क्लर्क की नौकरी छोड दी और अपना पूरा जीवन मां भारती के चरणों में समर्पित कर दिया।धनप्रकाशजीत्यागी1943 में दिल्ली के संघ विस्तारक बने।सहारन पुर नगर और अलीगढ नगर प्रचारक के रूप में संघ कार्य किया. अम्बाला,हिसार,गुरूग्राम,शिमला,होशियारपुर के जिला प्रचारक का दायित्व भी निभाया।संघ पर लगे प्रथम प्रतिबन्ध के समय जेल में भी रहे.1962 से 65 तक जम्मू विभाग प्रचारक रहे।इसके बाद संघ कार्य विस्तार के लिए जयपुर भेजा गया और 1965 से 1971 तक जयपुर विभाग प्रचारक के रूप में दायित्व का निर्वाह किया.1971से1986 तक भारतीय मजदूर संघ में विभिन्न दायित्वों पर रहे।इस बीच 1975 में संघ पर लगे प्रतिबंध के कालखंड में गुप्त और प्रकट रहकर मार्गदर्शन पत्रक सर्वत्र भेजते रहे.2000से 2005तक सेवा भारती जागरण पत्रक के प्रकाशन का कार्यभार संभाला।धनप्रकाश जी त्यागी जीवन के अंतिम क्षण तक अपने स्वयं के कार्य अपने आप करते थे,अपना अधिकांश समय स्वाध्याय व लेखन में व्यतीत करते थे।उन्होंने अनेक ऐसे लेख लिखे व पत्रक प्रेषण किये जिनसे अनेकों को राष्ट्र कार्य एवं सेवा कार्य करने व निरंतर सक्रिय रहने का मार्गदर्शन प्राप्त हुआ.एवं से वे अनेक विषयों पर चर्चा में सहभागी बनाकर मार्गदर्शन करते थे!बहुत सारे जीवन के प्रसंग उनके ऐसे हैं जिनसे आदर्श स्वयंसेवक में जो गुण चाहिए वो उनके जीवन एवं व्यवहार से प्रकट होते थे.दिवंगत पुण्य आत्मा का पावन स्मरण एवं सादर वंदन.सादर नमन.ओम शान्ति:
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