30 Jan पुण्यतिथि महात्मा गांधी जी 30.01.1948


 पुण्यतिथि 

महात्मा गांधी जी 30.01.1948 

मोहनदास करमचन्द गांधी का जन्म02अक्टूं.1869 को पोरबन्दर(गुजरात)में हुआ.* पिता करमचन्द गांधी पोरबन्दर और राजकोट के शासक के दीवान रहे।माँ धर्मप्रेमी थीं।रामायण,महाभारत आदि ग्रन्थों का पाठ करती थीं।मन्दिर जाते समय अपने साथ मोहनदास को ले जाती।इसका बालक मोहनदास के मन पर बहुत प्रभाव पड़ा।बचपन में गांधी जी ने श्रवण की मातृ-पितृ भक्ति,राजा हरिश्चन्द्र नाटक से मात-पिता की आज्ञा पालन तथा सदा सत्य बोलने का व्रत लिया.13वर्ष की आयु में ही शादी कस्तूरबा से हुई।विवाह के बाद भी गांधी जी ने पढ़ाई चालू रखी।जब उन्हें ब्रिटेन जाकर कानून की पढ़ाई का अवसर मिला।माँ ने उन्हें शराब और माँसाहार से दूर रहने की प्रतिज्ञा दिलायी।गांधीजी नेआजीवन इस व्रत का पालन किया।कानून की पढ़ाई पूरी कर वे भारत आ गये;यहां वकालत कुछ विशेष नहीं चल पायी।गुजरात के कुछ सेठअफ्रीका से व्यापार करते थे।उनमें से एक दादा अब्दुल्ला के वहाँ कई व्यापारिक मुकदमे चल रहे थे।उन्होंने गांधी जी को उनकी पैरवी के लिए अपने खर्च पर अफ्रीका भेजा।वहां उन्हें कई कटु अनुभव हुए।वहाँ भी भारत की तरह अंग्रेजों का शासन था।वे स्थानीय काले लोगों से बहुत घृणा करते थे।एक बार गांधी जी प्रथम श्रेणी का टिकट लेकर रेल में यात्रा कर रहे थे; रात में उन्हें अंग्रेज यात्री के लिए अपनी सीट छोड़ने को कहा।मना करने पर उन्हें सामान सहित बाहर धक्का दे दिया।इसका उनके मन पर बहुत गहरा असर पड़ा। उन्होंने अफ्रीका में स्थानीय नागरिकों तथा भारतीयों के अधिकारों हेतु सत्याग्रह द्वारा संघर्ष प्रारम्भ किया।इसमें उन्हें सफलता भी मिली।इससे उत्साहित हो वे भारत लौटे और कांग्रेस में शामिल हो अंग्रेजों के विरुद्ध संघर्ष करने लगे।उनकी इच्छा थी- भारत के सब लोग साथ मिलकर अंग्रेजों का मुकाबला करें।इस हेतु उन्होंने मुसलमानों से भी अनेक समझौते किये, जिससे कुछ लोग उनसे नाराज भी हुए,पर वे अपने सिद्धान्तों पर अटल रहे। सविनय अवज्ञा,दाण्डी यात्रा, अंग्रेजो भारत छोड़ो..आदि आन्दोलनों में उन्होंने लाखों लोगों को जोड़ा।जब अंग्रेजों ने चुनाव के आधार पर हिन्दू समाज के वंचित वर्ग को अलग करना चाहा,तो गांधी जी ने आमरण अनशन कर इस षड्यन्त्र को विफल कर दिया. *15अग.1947को देश को स्वतन्त्रता मिली* देश का विभाजन भी हुआ।अनेक लोगों ने विभाजन के लिए उन्हें और कांग्रेस को दोषी माना।उन दिनों देश मुस्लिम दंगों से त्रस्त था। विभाजन के दौरान लाखों हिन्दू मारे गये थे।फिर भी गांधी जी हिन्दू-मुस्लिम एकता मे पड़े थे।इससे नाराज होकर नाथूराम गोडसे ने *30जन.1948को सायं काल प्रार्थना सभा में जाते समय उन्हें गोली मार दी।गांधी जी का वहीं प्राणान्त हो गया।गांधी जी के ग्राम्य विकास एवं स्वदेशी अर्थ व्यवस्था सम्बन्धी विचार आज भी प्रासंगिक है । वंदन

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