31 Jan जन्मदिन प्रथम परमवीर चक्र विजेता मेजर सोमनाथ शर्मा


 प्रथम परमवीर चक्र विजेता मेजर सोमनाथ शर्मा* =


आपका जन्म 31जन. 1922 को ग्राम डाढ जिला धर्मशाला,(हि.प्र.)में मेजर जनरल अमरनाथ शर्मा के घर हुआ।गाँव से कुछ दूरी पर ही प्रसिद्ध तीर्थस्थल चामुण्डा नन्दिकेश्वर धाम है।सैनिक परिवार से वीरता और बलिदानी कहानियाँ सुनकर बड़े हुए।देशप्रेम की भावना रग रग में थी। प्रारम्भिक शिक्षा नैनीताल में हुई।फिर प्रिन्स अॉफ वेल्स रॉयल इण्डियन मिलट्री कॉलेज,देहरादून से सैन्य प्रशिक्षण लिया.22 फर.1942को इन्हें कुमाऊँ रेजिमेण्ट की चौथी बटालियन में सेकण्ड लेफ्टिनेण्ट पद पर नियुक्ति मिली।इसी साल डिप्टी असिस्टेण्ट क्वार्टर मास्टर जनरल बना,बर्मा के मोर्चे पर भेजा।वहाँ बड़े साहस और कुशलता से अपनी टुकड़ी का नेतृत्व किया. 15अगस्त1947 को भारत स्वतन्त्र होते ही देश का दुखद विभाजन हुआ। जम्मू कश्मीर रियासत के राजा हरिसिंह असमंजस में थे।वे अपने राज्य को स्वतन्त्र रखना चाहते थे।दो महीने इसी कशमकश में बीत गये।इसका लाभ उठा पाक सैनिक-कबाइलियों के वेश में कश्मीर हड़पने के लिए टूट पड़े।वहाँ सक्रिय शेख अब्दुल्ला कश्मीर को अपनी जागीर बनाना चाहते थे।रियासत के भारत में कानूनी विलय बिना भारतीय शासन कुछ नहीं कर सकता था।जब राजा हरिसिंह ने जम्मू कश्मीर को पाकिस्तान के पंजे में जाते देखा,और पू.गुरूजी(17.10.1947)के वहां जाकर समझाने से उन्होंने भारत के साथ विलय पत्र पर हस्ताक्षर किये।(26.10.1947)तब भारत सरकार के आदेश पर सेना सक्रिय हुई।मेजर सोमनाथ शर्मा की कम्पनी को श्रीनगर के पास बड़गाम हवाई अड्डे की सुरक्षा की जिम्मेदारी दी. वे केवल सौ सैनिक टुकड़ी के साथ वहाँ डट गये।दूसरी ओर सात सौ से भी अधिक पाक.सैनिक जमा थे।उनके पास शस्त्रास्त्र भी अधिक थे;पर साहस की धनी मेजर सोमनाथ शर्मा ने हिम्मत नहीं हारी। आत्मविश्वास अटूट था। अपने ब्रिगेड मुख्यालय पर समाचार भेजा कि जब तक मेरे शरीर में एक भी बूँद खून और मेरे पास एक भी जवान शेष है,तब तक मैं लड़ता रहूँगा।दोनों ओर से गोलाबारी हो रही थी। मेजर की टुकड़ी हमलावरों पर भारी पड़ रही थी.03 नव.1947 को शत्रुओं का सामना करते हुए एक हथगोला मेजर सोमनाथ के समीप गिरा।उनका सारा शरीर छलनी हुआ। खून के फव्वारे छूटने लगे। मेजर ने अपने सैनिकों को सन्देश दिया-इस समय मेरी चिन्ता मत करो।हवाई अड्डे की रक्षा करो।दुश्मनों के कदम आगे नहीं बढ़ने चाहिए.।यह सन्देश देतेे हुए मेजर सोमनाथ शर्मा ने प्राण त्याग दिये।उनके बलिदान से सैनिकों का खून खौल गया।उन्होंने तेजी से हमला बोलकर शत्रुओं को मार भगाया। यदि वह हवाई अड्डा हाथ से चला जाता,तो पूरा कश्मीर आज पाकिस्तान के कब्जे में होता।मेजर सोमनाथ शर्मा को मरणोपरान्त‘परमवीर चक्र’ से सम्मानित किया।शौर्य और वीरता के इस अलंकरण के वे स्वतन्त्र भारत में प्रथम विजेता हैं।सेवानिवृत्त सेनाध्यक्ष जनरल विश्वनाथ शर्मा इनके छोटे भाई हैं।सादर वंदन।नमन।👏

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