8 Jan जन्मदिवस बालगोकुलम् संस्थापक प्रचारक एम.ए.कृष्णन 28.01.1928


 जन्मदिवस बालगोकुलम् संस्थापक 

प्रचारक एम.ए.कृष्णन

28.01.1928 जन्मदिवस बालगोकुलम् संस्थापक 

प्रचारक एम.ए.कृष्णन

28.01.1928

एम.ए.कृष्णन का जन्म कोल्लम जिले के एक गांव में28जन.1928को हुआ.* अध्ययन,अध्यापन और संस्कृत में रुचि होने के कारण संस्कृत की सर्वोच्च परीक्षा"महोपाध्याय"पास कर वे संस्कृत के शिक्षक बने।महाराजा संस्कृत विद्यालय, त्रिवेन्द्रम में पढ़ते समय उनका सम्पर्क राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से हुआ,जो बढ़ता ही गया।फिर उन्होंने नौकरी छोड़ प्रचारक जीवन अपना लिया।अपने परिश्रम से केरल के कई जिलों में संघ का काम खड़ा किया।उनकी रुचि अध्ययन,अध्यापन के साथ ही लेखन में भी थी.1964में उन्हें कोझीकोड से मलयालम भाषा में प्रकाशित होने वाले साप्ताहिक समाचार पत्र"केसरी"के मुख्य सम्पादक की जिम्मेदारी दी गयी।इस दौरान उन्होंने केरल में हो रहे सामाजिक व राजनीतिक परिवर्तन के बारे में राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य को ध्यान में रखकर विविध सामग्री प्रकाशित की।इससे केसरी की लोकप्रियता बढ़ने लगी। उन्होंने केरल के सभी प्रतिष्ठित लेखकों की रचनाएं केसरी में प्रकाशित कर उन्हें भी हिन्दुत्व की मुख्य धारा से जोड़ा।केसरी का सम्पादन करते हुए उनका ध्यान बच्चों की संस्कारहीनता की ओर गया *दूरदर्शन तथा दोषपूर्ण शिक्षा प्रणाली के कारण नयी पीढ़ी को अपने देश और धर्म से कटता देख-1974में उन्होंने"बाल गोकुलम्"की स्थापना की.* केरल के तत्कालीन प्रांत प्रचारक श्री भास्करराव तथा दक्षिण के क्षेत्र प्रचारक श्री यादवराव जोशी का आशीर्वाद मिलने से इस कार्य ने गति पकड़ ली।बाल गोकुलम् की कार्य प्रणाली बहुत सरल है।इसमें नगर,गांव,मोहल्ले के 100- 150बच्चों को सप्ताह में एक बार किसी मंदिर,स्कूल या सार्वजनिक स्थान पर डेढ़ घंटे के लिए एकत्र किया जाता है।यहां उन्हें गीत,खेल, कविता,कहानी,नृत्य आदि के माध्यम से अपने देश और धर्म के बारे में जानकारी दी जाती है।जन्माष्टमी पर श्रीकृष्ण रूप सज्जा की प्रतियोगिता कर उन सब स्वरूपों की शोभायात्रा निकाली जाती है।कुछ ही वर्ष में केरल के कई नगरों में यह शोभायात्रा इतनी भव्य होने लगी कि शासन को विद्यालयों में छुट्टी घोषित करनी पड़ी।शोभायात्रा में बच्चों के साथ उनके परिवारजन भी चलते हैं।लोग स्वागत द्वार बनाते हैं,जिससे पूरा नगर,गांव श्रीकृष्णमय हो जाता है.1981से यह प्रयोग पूरे देश में होने लगा।इसके बाद श्री कृष्णन ने 1975में कला,साहित्य के क्षेत्र में"तपस्या"नामक संस्था बनाई.1984में"बाल साहित्य प्रकाशन"के माध्यम से बच्चों के लिए पुस्तकों का प्रकाशन प्रारम्भ किया.1986में‘ "अमृतभारती विद्यापीठ" ’स्थापित की,जो संस्कृत की परीक्षाएं आयोजित करता है।इसी प्रकार 2007में "अन्तरराष्ट्रीय श्रीकृष्ण केन्द्र"की स्थापना हुई,जहां श्रीकृष्ण लीलाओं की जीवंत झांकियों का निर्माण हो रहा है।श्री एम.ए.कृष्णन1980 से 84तक केरल प्रांत के बौद्धिक प्रमुख तथा1985 से 92तक प्रचार प्रमुख भी रहे।इन दिनों बाल गोकुलम् के प्रयोगों को भारत के साथ ही अमरीका,इंग्लैंड,अरब देशों में भी लोग अपना रहे हैं। *ईश्वर उन्हें स्वस्थ रखे,यही कामना है.सादर

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