17 Feb पुण्यतिथि सशस्त्र क्रान्ति के नायक.लहूजी साल्वे =
पुण्यतिथि सशस्त्र क्रान्ति के नायक.लहूजी साल्वे ========(17.02.1881)======= लहूजी का जन्म-14नव.1794को हुआ.* लहूजी को माँ के दूध के साथ ही स्वराज्य का पाठ भी पढ़ने को मिला।पिता राघोजी, माता विठाबाई।वे पुणे के पुरन्दर किले की तलहटी में बसे पेठ गाँव के थे।यह क्षेत्र शिवाजी द्वारा हिन्दू साम्राज्य के लिए किये गये प्रयत्नों का प्रत्यक्ष साक्षी था।लोग रात में चौपालों पर शिवाजी के शौर्य पराक्रम और विजय की गाथाएँ गाते थे।अतःलहूजी को पग-पग पर स्वराज्य के लिए मर मिटने की प्रेरणा मिलती थी।राघोजी पेशवा की सेना में काम करते थे।उनके घर में भी अनेक प्रकार के अस्त्र- शस्त्र थे।घर में युद्ध कथाओं की चर्चा होती रहती थी।पिता राघोजी ने लहूजी को अपने साथ पहाड़ियों में ले जाकर अस्त्र-शस्त्र चलाना सिखाते थे।सबल शरीर के स्वामी लहूजी को पट्टा चलाने में विशेष महारत थी।उन्हें शिकार करने का भी शौक था.1817में पेशवा-अंग्रेजों में युद्ध हुआ।मराठा सेना ने पूरी शक्ति से युद्ध किया;पर भाग्य उनके विपरीत था।पेशवा ने हार के बाद पुणे छोड़ दिया।राघोजी युद्ध में बुरी तरह घायल हुए।फिर भी अंग्रेज सैनिकों ने उनका बहुत उत्पीड़न किया।तड़प- तड़प कर राघोजी की मृत्यु हुई।यह सुन लहूजी ने अपने पिता की मृत्यु का बदला लेने का निश्चय किया।तब उनकी आयु 24वर्ष की थी।शादी का दबाव पड़ रहा था;पर लहूजी ने अपने लिए कुछ और काम ही निर्धारित कर लिया था।उन्होंने सह्याद्रि की पहाड़ियों में बसे गाँवों के युवकों को एकत्र कर उनकी एक मजबूत सेना बनायी।अस्त्र-शस्त्र एकत्र किये और अंग्रेज छावनियों पर धावा बोलना शुरू कर दिया।उनकी सेना में निर्धन और छोटी जातियों के युवक ही ज्यादा थे.1857में अंग्रेजों के विरुद्ध जो सशस्त्र संघर्ष का लम्बा दौर प्रारम्भ हुआ,उसमें कानपुर,ग्वालियर,झाँसी के युद्धों में लहूजी के इन वीर सैनिकों ने अप्रतिम शौर्य दिखाया *लहूजी साल्वे ने- 17फर.1881को अन्तिम साँस ली.
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