19 Feb *जन्म जयंती=महाराज शिवाजी
*जन्म जयंती=महाराज शिवाजी =19फर-1627 जीजाबाई के वीर शिवा*
शिवाजी का जन्म-19फर. 1627में पूना के प्रसिद्ध शिवनेरी किले में हुआ.किले की अधिष्ठात्री देवी के नाम पर इनका नाम शिवा रखा।देशभक्ति,राष्ट्र प्रेम,माता जीजाबाई से ही मिला था।पिता शाहजी भोंसले ने उनको बचपन में ही स्वराज्य स्थापना की मूल प्रेरणा दी थी,दादा कोणदेव उनके संरक्षक,शिक्षक,संत तुकाराम उनके आध्यात्मिक प्रेरक तथा समर्थ गुरु रामदास उनके मार्गदर्शक थे। शिवाजी का संपूर्ण जीवन अनेक विजय गाथाओं, प्रेरक प्रसंगों,विस्मयकारी घटनाओं से भरा है। शिवाजी की महाराष्ट्र के बाहर पहली यात्रा बेंगलुरू की हुई थी जो बीजापुर के शासक अली आदिलशाह का मुख्य स्थान था।वे 1640-42तक वहां रहे। जहां प्रत्यक्ष रूप से हिन्दुओं की दुर्दशा को देखा था।शिवाजी ने बीजापुर के सुल्तान की विलासिता,कामुकता, जबरन कन्वर्जन,नरसंहार के बारे में पहले से सुना था।वे प्रत्यक्ष मिलने हेतु पहली बार पिता शाह जी के साथ गए थे।उन्होंने बीजापुर के दरबार में भूमि पर माथ टेककर प्रणाम नहीं किया था।जो भारत के किसी भी मुस्लिम शासक को पहली चुनौती थी।उन्होंने बेंगलुरू में ही एक मुस्लिम कसाई द्वारा गाय की हत्या देखी तो बाजार में ही उसका वध कर दिया।पूना लौटने पर दादा कोणदेव ने शिक्षा दी। जागीर की देखभाल करते हुए उन्होंने आसपास की 12 मावल घाटियों पर अपना आधिपत्य कर लिया।तभी उन्होंने स्वराज्य स्थापना का प्रयास किया।निकट ही राजकेश्वर महादेव मंदिर में अनेक साथियों के साथ देश-धर्म के लिए तन-मन-धन से पूर्ण समर्पण की प्रतिज्ञा ली।यह घटना 1645की है।तब से उनका लंबा संघर्षमय विजय अभियान शुरू हुआ।उस समय भारत में आठ प्रमुख राजनीतिक शक्तियां थीं। संपूर्ण उत्तर भारत में मुगल शासक,दक्षिण भारत में बीजापुर की आदिलशाही, गोलकुण्डा की कुतुबशाही तथा जंगीरा का सिद्धी प्रमुख शक्तियां थीं।इसी भांति चार यूरोपीय शक्तियां-पुर्तगाली,अंग्रेज, डच तथा फ्रांसीसी-भी अपने पांव पसार चुकी थीं।इनसे टकराकर अकेले ही स्वराज्य की स्थापना का विचार विश्व की किसी भी शक्ति के लिए सरल न था.19वर्ष की आयु में शिवाजी ने विजय अभियान शुरू किया। पहले बीजापुर के आस पास के सभी प्रमुख किलों कोण्डाना,पुरंदर,चाकन, सूपा को जीता,प्रतापगढ़ जैसे किलों का निर्माण किया।इससे बीजापुर के आदिलशाह की नींद हराम हो गई।शिवाजी के विरुद्ध जो भी जाता वो मारा जाता।आखिर में बीजापुर के सेनापति अफजल खां को लालच दे शिवाजी का वध करने को भेजा। अफजल खां पूरी तैयारी से गया।प्रतापगढ़ के नीचे अफजल खां का वध एक विश्वव्यापी महत्व की घटना थी।इस घटना से उनका नाम अंतरराष्ट्रीय जगत में फैला।शिवाजी द्वारा आत्मरक्षा के लिए अफजल खां का वध पूर्णत:उचित था।बीजापुर के बाद बारी आई क्रूर तथा अत्याचारी मुगल बादशाह औरंगजेब की।औरंगजेब ने शिवाजी के विरुद्ध अनेक अभियान चलाए,षड्यंत्र किए पर सभी असफल रहे।मामा शाइस्ता खां को भेजा,पूना जीता पर उसे अपनी अंगुलियां कटवाकर भागना पड़ा।मिर्जा राजा जयसिंह को भेजा,पुरंदर जीता,सन्धि की तथा शिवाजी को आगरा भी ले आया।शिवाजी दो माह बाद अपनी योजना से वापस महाराष्ट्र भी लौटे.06जून1674.को उनका विधि विधान,महान हिंदू रिति रिवाज से राज्याभिषेक हुआ। *ज्येष्ट शुक्ला त्रियोदशी तेरस को को स्थापित हिंदू साम्राज्य दिवस के रूप मे मनाते हैं* गोलकुण्डा के कुतुबशाह ने हैदराबाद में शिवाजी का स्वागत ही नहीं किया, बल्कि उनके घोड़े को भी हीरों का हार पहनाया। सभी यूरोपी शक्तियां उनसे भयभीत हो गई थीं.1680.में महान हिन्दू सम्राट शिवाजी महाराज का देहांत हुआ।सादर वंदन। नमन।👏
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