22 Feb Punyatithi *सेवा का अक्षय वट माधवराव परलकर


 *पुण्य-तिथि*=

*सेवा का अक्षय वट माधवराव परलकर*=


राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ता जनजीवन से जुड़े होते हैं।उन्होंने ऐसे रोगियों और परिचारकों के लिए अनेक सेवा केन्द्रों की स्थापना की है।इनमें मुम्बई का‘नाना पालकर रुग्ण सेवा केन्द्र’भी एक है। इसके प्राण थे संघ के वरिष्ठ प्रचारक श्रीमाधव राव परलकर।माधव राव बाल्यकाल से ही संघ शाखा से जुड़ गये.1947 में‘आयुर्वेद प्रवीण’की उपाधि ली।वे चाहते तो कहीं नौकरी या होस्पीटल खोल सकते थे;वे संघ के प्रचारक के नाते अपना जीवन बिताने का निश्चय कर चुके थे।उन्हें मुम्बई में बान्द्रा से विरार,फिर चेम्बूर तक का क्षेत्र शाखाओं के विस्तार कार्य सौंपा गया। माधवराव साइकिल के बल पर अनेक शाखाएँ खोलीं।उनके मधुर व्यवहार ,परिश्रम से सैकड़ों नये कार्यकर्ता संघ से जुड़े। 

संगठन क्षमता,सुमधुर बोली,युवाओं में प्रेम देख-1961में मुम्बई नगर का अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का संगठन मन्त्री बनाया.तब यह संगठन नया था; माधवराव ने अपने परिश्रम से इसमें जान डाल दी। फिर सम्पूर्ण महाराष्ट्र प्रदेश का काम उन्हें सौंपा.1962 -63में ABVP.के अ.भा.महामन्त्री बने।उनकी रुचि चिकित्सा सेवा की ओर भी थी।उन दिनों मुम्बई में ‘नाना पालकर स्मृति समिति’स्थापित हुई थी। संघ के प्रचारक नाना पालकर का-1967में पीलिया से देहान्त हुआ. मुम्बई में बाहर से अनेक स्वयंसेवक इलाज के लिए आतेे।उनके निवास की व्यवस्था,उचित अस्पताल, और कम खर्च में उनका इलाज हो जाए,यह कार्य समिति करती थी।माधव की सेवा में रुचि देखते हुए उन्हें इस समिति का काम सौंपा।शुरू में इनके पास बहुत छोटा स्थान था।चार- पाँच लोग ही रह सकते थे। माधवराव ने नया विशाल भवन बनवाने की योजना सबके सामने रखी।अनेक कार्यकर्ता उनके साथ जुट गये।सबकी सच्ची मेहनत, लगन देख मुम्बई महानगर पालिका के अधिकारियों ने परेल में एक बड़ा भूखण्ड इन्हें दे दिया।थोड़े ही समय में वहाँ एक सात मंजिला भवन बन गया।भवन का उद्घाटन सरसंघचालक मा. रज्जू भैया,पूज्य स्वामी सत्यमित्रानन्दजी स्वाध्याय परिवार के पांडुरंग शास्त्री आठवले जी महाराज की उपस्थिति में हुआ।भवन का निर्माण कार्य सरल नहीं था;माधवराव ने हर समस्या को शान्ति एवं धैर्य के साथ हल किया।उनकी प्रेरणा के केन्द्र संघ के श्री गुरुजी थे,जो उन्हें पुत्रवत स्नेह करते थे।माधवराव परलकर योग के भी अच्छे जानकार थे।आपातकाल नासिक जेल में बन्दी थे तो उन्होंने वहाँ भी योग की कक्षाएँ लगायीं।इससे सब  बन्दी लाभान्वित हुए। नाना पालकर स्मृति संस्थान में भी उनके दिशा-निर्देशन में योगाभ्यास होता।स्वयं चिकित्सक होने के कारण वे भी रोगियों का निःशुल्क उपचार करते थे। सेवा की सचल प्रतिमूर्ति माधवराव का 81वर्ष,22 फर.2008को मुम्बई में ही निधन हुआ।सादर वंदन। नमन।👏

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