12 March पुण्य.तिथि ) सेवाभावीडा.रामेश्वरदयाल पुरंग
पुण्य.तिथि
12.03.2004)
सेवाभावीडा.रामेश्वरदयाल पुरंग डा.रामेश्वर दयाल पुरंग का जन्म13मार्च1918को ग्राम आदमपुर जिला जालंधर,पंजाब में हुआ* बनारस हिन्दू विश्व विद्यालय से एम.बी.बी.एस.किया तब वहां डा.हेडगेवार के पहली बार दर्शन किये।वे उन दिनों शाखा विस्तार हेतु आये थे।युवा रामेश्वर ने उनके प्रखर विचार सुने,तो वे सदा के लिए संघ से जुड़ गये.1940 में नागपुर के जिस संघशिक्षा वर्ग में डा.हेडगेवार ने अपने जीवन का अंतिम भाषण दिया था,उसमें रामेश्वर दयाल जी भी थे।संघ कार्य विस्तार हेतु डा. हेडगेवार के मन की तड़प उस भाषण में प्रकट हुई।इसका डा.पुरंग के मन- मस्तिष्क पर गहरा प्रभाव पड़ा और जीवन भर संघ कार्य करने का निश्चय कर लिया.1941में शिक्षा पूर्ण कर उन्होंने उत्तर प्रदेश के मैनपुरी में चिकित्सा शुरू की।वहां आचार्य गिरिराज किशोर जी संघ के प्रचारक होकर आये थे।सम वयस्क होने के से दोनों में अच्छी मित्रता हो गयी.डा.पुरंग चिकित्सालय के बाद का अपना पूरा समय शाखा के विस्तार में लगाने लगे।इससे मैनपुरी जिले में सुदूर गांवों तक शाखाओं का विस्तार हो गया।डा.पुरंग ने चिकित्सा कार्य को केवल धनोपार्जन का साधन नहीं माना।उनके मन में समाज सेवा कूट- कूटकर भरी हुई थी।इससे उनकी ख्याति सब ओर फैल गयी।दूर-दूर से लोग चिकित्सा कराने के लिए आते।सक्रियता के कारण उन्हें विभिन्न दायित्व दिये गये।लम्बे समय तक वे पश्चिमी उत्तर प्रदेश के प्रान्त संघचालक रहे।डा.पुरंग गोसेवा एवं गोरक्षा के प्रबल पक्षधर थे.1966में गोहत्या बंद करने की मांग को लेकर चलाये गये हस्ताक्षरअभियान में उन्होंने सक्रिय भूमिका निभाई।वे रात में गांवों में जाते,लोगों को जगा- जगा कर हस्ताक्षर कराते.1967 में जब गोरक्षा के लिए सत्याग्रह हुआ,तब वे जेल भी गये.1975में जब देश में आपातकाल में संघ पर प्रतिबंध लगा तो उन्होंने झुकने की बजाय सहर्ष कारावास में जाना स्वीकार किया।डा.पुरंग ने मैनपुरी जिले में पूर्व सैनिकों का एक अच्छा संगठन खड़ा किया।उन्होंने देखा कि इनमें जहां एक ओर देशभक्ति तथा अनुशासन भरपूर होता है, वहां छुआछूत और खानपान में भेदभाव भी नहीं होता।उन्हें लगा कि ऐसे लोग समाज और संगठन के लिए बहुत उपयोगी हो सकते हैं।इसी से फिर संघ ने अखिल भारतीय स्तर पर"पूर्व सैनिक सेवा परिषद"संगठन बनाया। इसके पीछे भी प्रेरणा- डा.पुरंग की ही थी।अब इस संगठन का विस्तार पूरे देश में हो गया है।यह पूर्व सैनिकों को संगठित कर बलिदानी सैनिकों के परिवार तथा गांवों के विकास के लिए काम कर रहा है।नब्बे के दशक में जब"श्रीराम जन्म भूमि आंदोलन"ने तेजी पकड़ी,तब वे"विश्व हिन्दू परिषद"के पश्चिम आंचल क्षेत्र के अध्यक्ष थे।एक बार फिर जेल-यात्रा की।फिर विश्व हिन्दू परिषद के उपाध्यक्ष तथा गोसेवा समिति केअध्यक्ष के नाते भी उन्होंने काम किया।मैनपुरी की हर सामाजिक गतिविधि में डा.पुरंग की सक्रिय भूमिका रहती थी।वे मैनपुरी के सरस्वती शिशु मंदिर के संस्थापक तथा आचार्य रामरतन पुरंग सरस्वती शिशु मंदिर के संरक्षक थे. *12मार्च 2004 में दिल्ली में पुत्र के निवास पर ही उनका देहांत हुआ.सादर वंदन.सादर नमन
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