13 March पुण्यतिथि= संघ के वरिष्ठ कार्यकर्ता= "दादाभाई"


 पुण्यतिथि=

संघ के वरिष्ठ कार्यकर्ता= "दादाभाई"=   =========(13.3.2012)======                            भारती.पत्रिका.के.संस्थापक =पं.गिरीराज प्रसाद शास्त्री "दादा भाई"का जन्म09. सित.1919.अनंत चतुर्दशी को राज.के भरतपुर जिले के कामां नगर मेंआचार्य आनंदी लाल,श्रीमती चंद्राबाई के घर में हुआ.*       पूर्वज राजवैद्य थे।कक्षा छह के बाद दादा भाई ने संस्कृत की प्रवेशिका,उपाध्याय तथा शास्त्री उपाधियां ली।यजुर्वेद का विशेष अध्ययन कर इंटरमीडियेट की परीक्षा भी उत्तीर्ण की।स्वस्थ,सुडौल शरीर होने से लोग इन्हें पहलवान कहते थे.13वर्ष आयु में विवाह हुआ।शिक्षा पूर्णकर जयपुर के रथखाना विद्यालय में संस्कृत पढ़ाने लगे.1942में वे जयपुर में ही स्वयंसेवक बने।व्यायाम के शौकीन दादाभाई को शाखा के खेल,सूर्यनमस्कार आदि बहुत अच्छे लगे और वे संघ में ही रम गये।इसके बाद *उन्होंने-1943,44,45में तीनों संघ शिक्षा वर्ग किया* स्वाधीनता से पूर्व जयपुर रियासत में संघ पर प्रतिबंध था।अतःशाखा "सत्संग"के नाम से लगती थीं।प्रान्त प्रचारक श्री बच्छराज व्यास ने सावधानी हेतु प्रमुख कार्यकर्ताओं को उपनाम दियेे।गिरिराज जी को उन्होंने "दादा भाई"नाम दिया।तब से उनका यही नाम सब ओर प्रचलित हो गया।तृतीय वर्ष कर दादा भाई जयपुर नगरकार्यवाह,नगर प्रचारक, सीकर और झुंझनु में जिला प्रचारक रहे।प्रतिबंध काल में नौकरी छूटने से सरकार्यवाह श्री एकनाथ रानाडे ने संघ कार्यालय पर उनके रहने की व्यवस्था की. *बाबा साहब आप्टे के सुझाव पर दादा भाई के सम्पादन में 1950 की दीपावली से देश की प्रथम मासिक संस्कृत पत्रिका"भारती"प्रारम्भ हुई*.1953से 92तक दादा भाई राजस्थान प्रान्त कार्यवाह रहे।इस दौरान श्री गुरुजी के 51वें जन्मदिवस पर हुए धनसंग्रह,गोरक्षा हेतु हस्ताक्षर संग्रह,स्वामी विवेकानंद एवं श्री अरविन्द की जन्मशती,श्रीराम जन्म भूमि आंदोलन आदि में दादा भाई की सक्रिय भूमिका रही.1975के प्रतिबंध काल में दादा भाई वेश बदलकर पूरे प्रान्त में घूमे।पुलिस उन्हें पकड़ नहीं सकी.1990में कारसेवा के लिए अयोध्या जाते समय उन्हें मथुरा के नरहोली थाने में15 दिन तक बन्दी बनाया.1992में उनके गिरते स्वास्थ्य के कारण उन्हें प्रान्त संपर्क प्रमुख,क्षेत्र प्रचार प्रमुख,फिर क्षेत्रीय कार्यकारिणी का सदस्य बनाया. *1997से2006 तक वे ‘पाथेय कण संस्थान’ के अध्यक्ष भी रहे*।पर"भारती"पत्रिका की ओर उनका पूरा ध्यान रहता.2009में उनके 90वर्ष पूर्ण होने परआयोजित समारोह में सरसंघचालक श्री मोहन भागवत,उपराष्ट्रपति श्रीभैरोंसिंह शेखावत, डा.मुरली मनोहर जोशी आदि गण्यमान्य लोग शामिल हुए. *फिर दादा भाई की देह शिथिल होती गयीऔर13मार्च,2012को ब्रह्ममुहूर्त में उनका प्राणान्त हुआ.दादा भाई ने देहदान का संकल्प पत्र भर रखा था।अतःउनकी देह छात्रों के उपयोग हेतु चिकित्सा महाविद्यालय को समर्पित कर दी गयी. सादर वंदन.

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