2 March जन्मदिवस=02.03.1902)स्वाभिमान के सूर्य पं.सूर्यनारायण व्यास


जन्मदिवस=02.03.1902)स्वाभिमान के सूर्य  पं.सूर्यनारायण व्यास 

======           उज्जैनके.प्रख्यातज्योतिष आचार्य पं.नारायण व्यास, श्रीमती रेणुदेवी के घर में 02मार्च1902को सूर्य नारायण व्यास का जन्म हुआ।* जिन महर्षि सांदीपनी के आश्रम में श्रीकृष्ण और बलराम पढ़े थे,यह परिवार उन्हीं का वंशज है।श्री व्यास ने पिताजी के आश्रम फिर वाराणसेय संस्कृत विश्वविद्यालय में शिक्षा प्राप्त की।आठ वर्ष आयु से लेखन शुरू कर दिया. आजादी- आंदोलन के दौरान 1934में उन्होंने उज्जैन के जत्थे का नेतृत्व कर अजमेर में अपनी गिरफ्तारी दी.16मास जेल में रहे।वे अपने लेखन से जनता को जगाते रहे,।सशस्त्र क्रांति में भी सहयोगी बने।और  क्रांतिकारियों को उनसे आर्थिक मदद तथा उनके घर शरण भी मिलती थी।सुभाष चंद्र बोस के आह्नान पर उन्होंने अजमेर स्थित लार्ड मेयो की मूर्ति तोड़ी और उसका एक हाथ अपने घर ले आये.1942 में उन्होंने एक गुप्त रेडियो स्टेशन भी चलाया।प्रख्यात ज्योतिषी होने के कारण देश-विदेश के अधिकांश बड़े नेता तथा धनपति उनसे राय लेते थे।आजादी पूर्व वे-144 राजघरानों के राज ज्योतिषी थे।चीनी युद्ध की उनकी बात ठीक निकली।उन्होंने लालबहादुर शास्त्री को भी ताशकंद न जाने को कहा था।व्यास जी ने फ्रांस,रोम, जर्मनी,आस्ट्रिया,इंग्लैंड, आदि की यात्रा की।हिटलर ने भी उनसे अपने भविष्य के बारे में राय ली.1930में‘ "आज’में प्रकाशित एक लेख में कहा था कि भारत-15अगस्त1947 को स्वतंत्र होगा।उन्होंने शादी1948 में ही की।उज्जैन महाकवि कालिदास की नगरी है;उनकी स्मृति में कोई स्मारक,संस्था नहीं थी। उन्होंने"अखिल भारतीय कालिदास परिषद"तथा "कालिदास अकादमी"जैसी संस्थाएं गठित कीं।तथा प्रतिवर्ष"अखिल भारतीय कालिदास महोत्सव"का आयोजन किया।उनके प्रयास से सोवियत रूस, भारत में 1958में कालिदास पर डाक टिकट जारी हुआ. 1956में कालिदास पर फीचर फिल्म भी उनके प्रयास से ही बनी।उज्जैन भारत के पराक्रमी सम्राट विक्रमादित्य की भीराजधानी थी।व्यास जी ने 1942में' "विक्रम द्विसहस्राब्दी महोत्सव अभियान"से "विक्रम-पत्र"निकाला तथा विक्रम विश्वविद्यालय,विक्रम कीर्ति मंदिर आदि कई संस्थाओं की स्थापना की।इस अवसर पर हिन्दी,मराठी तथा अंग्रेजी में‘विक्रम स्मृति ग्रंथ’ प्रकाशित हुआ।"प्रकाश पिक्चर्स"ने पृथ्वीराज कपूर तथा रत्नमाला को लेकर विक्रमादित्य पर एक फीचर फिल्म भी बनाई।व्यास जी हिन्दी,हिन्दू और हिन्दुत्व के प्रबल समर्थक थे।उन्होंने हजारों लेख,निबन्ध,व्यंग्य, अनुवाद,यात्रा वृतांत आदि लिखे.1958में राष्ट्रपति से "पद्मभूषण"अलंकरण प्रदान किया.पर अंग्रेजी को लगातार जारी रखने वाले विधेयक के विरोध में उन्होंने 1967में इसे लौटा दिया।सैकड़ों संस्थाओं द्वारा सम्मानित श्री व्यास देश के गौरव थे।उज्जैन की हर गतिविधि में उनकी सक्रिय भूमिका रहती थी।कालिदास तथा विक्रमादित्य के नाम पर बनी संस्थाओं के संचालन के लिए पूर्वजों द्वारा संचित निधि भी खुले हाथ से खर्च की. *22जून1976को ऐसे विद्वान मनीषी का देहांत हुआ।सादर वंदन.सादर नमन

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