25 March जन्मदिवस= भूमिगत रेडियो संचालिका उषा मेहता


 जन्मदिवस=

भूमिगत रेडियो संचालिका =======                   ========•उषा मेहता= ========            

भारतीय स्वाधीनता के आंदोलन के समय रेडियो, टेलिफोन,बेतार आदि शासन के पास ही होते थे।ऐसे समय में आंदोलन के समाचार,नेताओं के संदेशों को भूमिगत रेडियो द्वारा जनता तक पहुंचाने में जिस महिला ने बड़े साहस का परिचय दिया,वे थीं- "उषा मेहता"इनका जन्म- 25मार्च1920को सूरत (गुजरात)के पास एक गांव में हुआ* उन्होंने गांधीजी को 05वर्ष की आयु में कर्णावती में देखा।फिर उनके गांव के पास लगे शिविर में उन्होंने गांधी जी के विचारों को सुना और उनके कार्यों हेतु स्वयं को समर्पित कर दिया।वहीं खादी पहनने का व्रत लिया. और इसे जीवन भर निभाया।आठ वर्ष आयु में वे आजादी हेतु संघर्षरत"मांजर सेना"में शामिल हो अपने मित्रों के साथ भरूच की गलियों में तिरंगा झंडा ले प्रभातफेरी निकालने लगीं।साइमन कमीशन के विरुद्ध जुलूस निकाला।विदेशी कपड़ों एवं शराब की दुकानों के आगे विरोध प्रदर्शन भी किये।पिता एक जज थे.1930में अवकाश पाकर वे मुंबई आये।यहां उषा मेहता की सक्रियता बढ़ गयी।वे जेल में बंदियों से मिल उनके संदेश बाहर लाती थीं।अपने साथियों के साथ गुप्त पर्चे भी बांटती।उन्होनें-1939में दर्शन शास्त्र की स्नातक प्रथम श्रेणी में की।फिर वे कानून की पढ़ाई करने लगीं; तभी भारत छोड़ो आंदोलन छिड़ गया।तब वे पढ़ाई छोड़ आंदोलन में कूद गयीं।आंदोलन के समाचार तथा नेताओं के संदेश रेडियो से जनता तक पहुंचाने हेतु कुछ लोगों ने गुप्त रेडियो प्रणाली शुरू की।उषा जी ने यह कठिन काम अपने कंधे पर लिया.14अगस्त1942को इसका पहला प्रसारण उनकी आवाज में ही हुआ।और नेताओं के पहले से रिकार्ड संदेश भी सुनाये जाते थे।इससे सरकार के कान खड़े हो गये।वे इस रेडियो स्टेशन की तलाश करने लगे;"तुम डाल-डाल,हम पात-पात"की तरह ये लोग हर दिन स्थान बदल देते।श्री राम मनोहर लोहिया,अच्युत पटवर्धन का भी इस काम में बड़ा सहयोग रहा.03माह बाद उषा जी व उनके साथी पुलिस के हत्थे चढ़ ही गये।उषा मेहता को चार साल की सजा दी गयी। जेल में शरीर बहुत बिगड़ा; पर वे झुकी नहीं.1946में जेल से आकर फिर पढ़ाई शुरू कर दी।आजादी बाद गांधीजी के सामाजिक, राजनीतिक विचारों पर शोध कर पी.एच-डी की।फिर मुंबई विश्वविद्यालय में अध्यापन कार्य करने लगी।

विख्यात गांधीवादी उषाजी आजीवन गांधी संग्रहालय, गांधी शांति प्रतिष्ठान,गांधी स्मारक निधि,मणि भवन से जुड़ी रहीं।और स्वाधीनता के आंदोलन पर कई पुस्तकें लिखीं।वे सामाजिक कार्यों में महिलाओं की सक्रियता की पक्षधर थीं. *11अगस्त 2000को पद्मश्री,व कई पुरस्कारों से अलंकृत उषा जी का निधन हुआ.सादर वंदन.सादर नमन👏🙏🙏🙏🙏*

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