27 Feb गोधरा में59हुतात्मा=कारसेवकों का वीरगति दिवस


गोधरा में59हुतात्मा=कारसेवकों का वीरगति दिवस====  ======(27फरवरी2002)=======              तुम्हें याद हो कि ना याद हो..........उस ट्रेन का नाम साबरमती एक्सप्रेस था. और कौच नंबर-S-6 दि.27.02.2002*........... 27फ़रवरी 2002को ये ट्रेन जब 7:43 में गोधरा से गुजरी तो ये ट्रेन भारत के और कई रेलगाड़ियों की तरह ही लेट थी.चार घंटे लेट.

तुम्हें याद हो कि ना याद हो ....

ट्रेन की गति को धीमा करने के लिए,उसे रोकने के लिए उस ट्रेन पर गोधरा स्टेशन से निकलते ही पथराव किया गया.ट्रेन रुकी और फिर चली ।जब ये अगले सिग्नल पर पहुंची तो करीब दो हज़ार लोगों की भीड़ ने इसपर भयानक पथराव शुरू कर दिया.ट्रेन रोक देनी पड़ी.

तुम्हें याद हो कि ना याद हो ....

इस कुकृत्य की तैयारी के लिए140 लीटर ज्वलनशील खरीद कर रज्जाक कुरकुर के गेस्ट हाउस में रखे गए थे. साठ लीटर S-6 के अलग अलग दरवाज़ों से अन्दर डाले गए.तेल में डुबोये बोर पहले ही तैयार थे,तारों से दरवाज़ों को बाँध कर बंद कर दिया गया.                तुम्हें याद हो कि ना याद हो ....

पूरे रेल के एक डब्बे को, S–6 को आग लगा दी गई थी !

तुम्हें याद हो कि ना याद हो ....

जिन्हें जला कर मार डाला गया उनमें से ज्यादातर महिलाएं और बच्चे थे.इस डब्बे में 10 बच्चे जल कर मरे थे.इस रेल के डब्बे में 27 महिलाएं जल कर मरी थी | इस बोग्गी में सरकारी रिपोर्ट के मुताबिक 59 लोग जल कर मरे थे.इसमें 48 घायल हुए थे.

तुम्हें याद हो कि ना याद हो ....

इसकी जांच जिस नानावटी-शाह कमीशन ने की उसे 22 बार अपना कार्यकाल बढ़ाने दिया गया | लेकिन 2014 में भी जब उसकी रिपोर्ट आई तो भी रिपोर्ट के हिसाब से सारे दोषियों को माकूल सज़ा नहीं दी जा सकी है |

तुम्हें याद हो कि ना याद हो ....

सज़ा ए मौत सिर्फ पूर्व पार्षद बिलाल हाजी,रज्जाक मोहम्मद कुरकुर,रमजान बिनयामिन बेहरा,अहमद चरखा उर्फ़ लालू,जाबिर बिनयामिन बेहरा,महबूब खालिद चंदा,सलमान युसूफ सत्तार ज़र्दा उर्फ़ सलीम, सिराज़ मोहम्मद अब्दुल मेदा उर्फ़ बाला,इफ्रण अब्दुल माजिद गांची कलंदर उर्फ़ इफरान भोंपू,इफरान मोहम्मद हनिफब्दुल गानी पटालिया और महबूब अहमद युसूफ हसन उर्फ़ लतिको को हुई थी.सारे दोषी तो अदालत के सामने भी नहीं आये होंगे.

तुम्हें याद हो कि ना याद हो ....

दस बच्चों और सत्ताईस महिलाओं को मिलाकर कुल59कारसेवकों का खून आज भी इन्साफ मांगता है.गुजरात में दंगे भड़काने का जिन्हें अदालत ने दोषी माना था उनमें से कई आज भी खुले ही घुमते होंगे |

ताकि तुम भूल ना जाओ इसलिए फिर से याद दिला दिया .... क्या पता ?? तुम्हें याद हो कि ना याद हो ...................    *उन सभी हुतात्माओं को सादर प्रणाम.सादर वंदन.सादर नमन.🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏*

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