5 March जन्मजयंती भारत की प्रथम जासूस कैप्टन नीरा आर्य
जन्मजयंती
भारत की प्रथम जासूस=कैप्टन नीरा आर्य 05.03.1902
जन्म एवं बचपन
नीरा आर्य का जन्म 05 मार्च1902 को उत्तर प्रदेश के मेरठ में खेकड़ा गांव के एक सम्पन्न व कुलीन जाट परिवार में हुआ था* लेकिन अचानक उनके माता-पिता बीमार हो गए।कोई कमाने वाला न होने के कारण एवं इलाज पर खूब पैसा लगने होने के कारण उनके घर के हालात बिगड़ गए।उन्हें कर्ज उठाना पड़ा।लेकिन कुछ समय पश्चात ही उनके माता पिता चल बसे।नीरा एवं उनका छोटा भाई बसंत कुमार अनाथ हो गए। नीरा के पिता की हवेली व जमीन साहूकारों द्वारा कर्ज की वसूली लिए कुर्क कर ली गयी।दोनो बच्चे दर दर भटकते रहे।भटकते हुए ये बच्चे एक दिन हरियाणा के चौधरी सेठ छाजूराम (छज्जुमल)जी को मिले। जिनका कलकत्ता में बहुत बड़ा व्यापार था।चौधरी साहब के साथ सेठ लगे होने के कारण कुछ लोग उन्हें वैश्य समाज का समझ लेते हैं और नीरा को भी।चौधरी साहब एक बहुत बड़े व्यापारी जरूर थे लेकिन वे हरियाणा के जाट क्षत्रिय समाज से थे।छज्जुराम जी बहुत बडे दयालु,दानवीर एवं देशभक्त व्यक्ति थे।जब उन्हें बच्चो की हालत पता चली तो उनकी आंखों से अश्रु बहने लगे।सेठ जी ने दोनो बच्चो को लालन पालन व शिक्षा के लिए गोद ले लिया। बच्चों ने उन्हें अपना धर्मपिता स्वीकार कर लिया।
नीरा को सेठजी कलकत्ता ले गए और उन्हें वहां खूब पढ़ाया लिखाया।पिता के प्रभाव से नीरा व बसंत भी आर्य समाजी बन गए। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि भगत सिंह भी एक बार अंग्रेज पुलिस से बचने के लिए महीने भर सेठ जी के पास रहे थे और उनके साथ उनकी क्रांतिकारी साथी सुशीला भाभी भी थी। सुशीला भाभी ने नीरा को पढ़ाने का काम किया।भगत सिंह के विचारों की छाया भी नीरा पर पड़ी।सेठ जी के घर क्रांतिकारियों एवं देशभक्त नेताओ का आना जाना लगा रहता था जिसका प्रभाव नीरा पर खूब पड़ा।
*नेताजी सुभाष चन्द्र बोस से प्रथम मुलाकात और उनकी धर्मबहन बनी===*
एक बार नीरा अपने साथी बच्चों के साथ पिकनिक पर गयी हुई थी।नीरा को तैरना आता था लेकिन वह कभी बड़े तालाब या बड़ी नदी या समुद्र में नहीं तैरी थी।उस दिन नीरा को समुद्र में तैराकी का मन किया और वह कूद पड़ी।नीरा तब बहुत छोटी थी। समुद्र की लहरों के सामना न कर पाई और डूबने लगी।यह देखकर उनके साथी चिल्लाने लगे।तभी एक नौजवान युवक समुद्र में कूद गया और उसने नीरा की जान बचाई।नीरा ने उसका धन्यवाद किया और कहा कि भाई आप कौन हो।तो नेताजी ने अपना नाम बताया।नेताजी ने कहा कि बहन तुंम्हे अकेले तैराकी न करनी चाहिए तुम्हारे पिता कहां है।तो नीरा ने बताया कि वे बहुत बड़े कारोबारी है आज किसी पार्टी से डील करने मीटिंग में गए हुए हैं जिसकी वजह से आज वो साथ नहीं आ पाए।नीरा ने कहा कि भाई आपने मेरी जान बचाई है मैं आपको कैसे धन्यवाद करूँ।तो नेताजी ने कहा कि आज राखी का दिन है मुझे राखी बांध दो और अपना धर्म भाई स्वीकार करो।इस तरह पहली मुलाकात में ही नेताजी व नीरा घुल मिल गए।
*नीरा की शादी"======*
नीरा की जिम्मेदारी सेठ चौधरी छज्जुराम जी ने ली थी। नीरा व सेठजी आर्य समाजी थे वे जात पात में ज्यादा विसवास न रखते थे। सेठजी ने नीरा की शादी के लिए एक धनवान व शिक्षित वर ढूंढा।उन्होंने श्रीकांत जयरंजन दास से उनकी शादी करवा दी और शादी में खूब पैसा लगाया।श्रीकांत जयरंजन दास ब्रिटिश पुलिस के खुफिया विभाग में एक अफसर थे।उनके अफसर होने की बात सेठजी को पता थी लेकिन खुफिया विभाग में होने की जानकारी नहीं थी।
नीरा को बाद में पता चला कि जयरंजन दास एक देशद्रोही है और अंग्रेजों का तलवेचाट गुलाम है।उसे अंग्रेजों ने पहले राजा महेंद्र प्रताप की जासूसी में लगा रखा था और अब सुभाष चन्द्र बोस की जासूसी में लगा दिया था।नीरा ने अपने बंगाली अफसर पति से कहा कि देश के क्रांतिकारियों के विरुद्ध लड़ना छोड़ दें।पर उसने कहा कि इससे खूब पैसा मिलता है हमारी आने वाली पीढियां बिना कमाएं ही खाएगी।पर नीरा ने कहा कि देश से बढ़कर कुछ न होता तुम या तो ये रास्ता छोड़ दो या फिर मैं तुम्हारे साथ नहीं रह सकती।उसके अफसर पति ने कहा कि पैसा होगा तो पत्नियां और बहुत मिल जाएगी।नीरा को यह सुनकर बहुत गुस्सा आया और वह अपने पिता चौधरी सेठ छज्जुराम जी के घर लौट आई।
*आजाद हिंद फौज में भर्ती और देश की प्रथम महिला जासूस बनने का गौरव============*
नीरा के बहुत से रिश्तेदार व साथी आजाद हिंद फौज में शामिल हो रहे थे।तो नीरा ने भी सुना कि नेताजी ने झांसी रेजिमेंट बनाई है।यह सुनकर नीरा की खुशी का ठिकाना नहीं रहा।नीरा ने अपने एक मुंह बोले भाई रामसिंह को अपनी इच्छा बताई जो स्वयं नेताजी को सेना में शामिल होने जा रहे थे।उसने भी हामी भर दी।और उसके बाद नीरा नेताजी से मिली.नेताजी ने उन्हें झांसी रेजिमेंट में शामिल कर लिया।नेताजी ने उन्हें साथ में अंग्रेजों की जासूसी का कार्य दिया।नीरा व उनकी साथी भेष बदलकर अंग्रेजों की छावनी में जाती व जासूसी करती थी.नेताजी के उन्हें विशेष आदेश था कि पकड़े जाने पर स्वयं को गोली मार लेना,अंग्रेजों के हाथ जीवित मत लगना। लेकिन एक बार ऐसी ही एक घटना घटी अंग्रेजों को उनके बारे में पता चल गया वहां से नीरा व उनके सब साथी भागने में कामयाब हो गए लेकिन उनकी एक साथी जीवित ही अंग्रेजों के हाथ लग गयी।बाद में नीरा व उनके साथियों ने उसे छुड़ाने के लिए अंग्रेज छावनी में घुसपैठ व हमला किया। उन्होंने अपने साथी को बचा लिया लेकिन उनकी एक वीर साथी राजमणि देवी के पैर में गोली लग गयी जिससे वह जीवनभर के लिए लंगड़ी हो गयी थी।इस तरह नीरा ने देश की प्रथम महिला जासूस होने का गौरव प्राप्त किया।
*नेताजी को बचाने के लिए अपने पति की हत्या कर नागिनी कहलाई===*
एक दिन नेताजी रात्रि के समय अपने टेंट में सोए हुए थे,नीरा व उनके साथियों की जिम्मेदारी रात्रि के पहरे की थी। नीरा टेंट के पीछे की ओर अपनी बंदूक लिए निडर खड़ी थी।तभी नीरा को कुछ आवाज सुनाई दी व एक साया नजर आया,नीरा ने गौर से देखा तो वह उसका पति श्रीकांत जयरंजनदास था जो अंग्रेजों का जासूस अफसर था,वह नेताजी को मारकर 2 लाख का इनाम पाना चाहता था।नीरा ने उसे पहचान लिया और उससे कहा कि तुम यहाँ क्या कर रहे हो?तो उसने कहा कि मैं आज नेताजी को मार दूंगा और हम फिर इनाम पाकर खूब मजे करेंगे।लेकिन नीरा ने कहा कि नेताजी मेरे भाई हैऔर इस देश के क्रांतिकारी है नेताजी से गद्दारी मतलब देश से गद्दारीऔर यह कुकर्म मैं कभी न होने दूंगी।बेहतर होगा कि तुम लौट जाओ. वरना मैं तुंम्हे यही ढेर कर दूंगी।यह सुनकर श्रीकांत हंसने लगा कि तुम एक भारतीय नारी हो अपने पति के साथ ऐसा नहीं कर सकती।लेकिन जैसे ही श्रीकांत सोए हुए नेताजी की ओर बढ़ने लगा तो नीरा ने उस पर अपनी बंदूक की नोक पर लगी संगीन(छुर्रा) उसके पेट में दे मारा। श्रीकांत को गुस्सा आया उसने नीरा पर गोली चला दी।लेकिन नीरा किस्मत वाली थी एक गोली उसके कान के पास से व दूसरी गोली गर्दन के नजदीक से छूकर गुजर गई।नीरा बेहोश हो गयी।घायल श्रीकांत नीचे गिर गया।गोली के आवाज सुनके उनके साथी भागकर वहां आये और श्रीकांत को ढेर कर दिया।बेहोश नीरा को गोद में उठाकर स्वयं नेताजी गाड़ी में ले गए और डॉक्टर से कहा कि नीरा को किसी भी कीमत पर बचाओ इस निडर सिपाही की देश को बहुत जरूरत है।नीरा को जब होश आया तो नेताजी ने कहा कि तुमने तो आज नागिनी बनकर मेरे लिए अपने पति की हत्या कर दी। तुम्हारी देशभक्ति पर मैं विभोर हूँ।
देश की आजादी के बाद जब लाल किले पर शहीदों का नाम लिखा जाएगा तो तुम्हारा नाम सबसे ऊपर होगा।
इसके बाद नीरा को नेताजी ने झांसी रेजिमेंट में कैप्टन बना दिया।और नेताजी नीरा को प्यार से नागिनी ही कहने लग गए थे।
नीरा ने आजाद हिन्द फौज में अपनी वीरता का प्रदर्शन कई बार किया।अंडमान निकोबार असम आदि में आजाद हिंद फौज ने झंडे गाड़ दिए और अंग्रेजी शासन को हिला दिया।लेकिन बाद में जापान के सैनिकों ने धोखा दे दिया और दूसरी ओर अमेरिका ने जापान पर हमला कर दिया जिससे फौज कमजोर पड़ गयी।
सब क्रांतिकारी सिपाहियों को पकड़ लिया गया और जेल में डालकर उन पर मुकदमा चलाया।लेकिन देश भर में विद्रोह के कारण लगभग सब फौजियों से केस वापिस ले लिए गए।लेकिन नीरा को अंग्रेजों ने नहीं छोड़ा उसे बंगाल जेल से अंडमान निकोबार की ओर ले गए और काला पानी की सजा दी।
*काला पानी की सजा के दौरान सल्युलर जेल में नीरा ने अंग्रेजों की निर्दनीय यातनाएं सही==*
नीरा को सेंट्रल जेल अंडमान में ले जाया गया।वहां नीरा को हर तरह की सजा दी गयी।उसके साथ दुर्व्यवहार किया गया।उससे अंग्रेजो ने पूछा कि बताओ नेताजी कहां है तो नीरा ने कहा कि वे विमान दुर्घटना में चल बसे। लेकिन उन्होंने कहा कि तुम झूठ बोल रही हो नेताजी जिंदा है बताओ कहां है?तो नीरा हंसने लगी और बोली हां वे जिंदा है... तो उन्होंने कहा कि कहाँ?तो नीरा ने कहा...वे मेरे दिल में है।यह सुनकर ब्रिटिश अफसर को गुस्सा आ गया उसने नीरा का आँचल फाड़ा और लुहार के पलास से नीरा के स्तनों को नोचते हुए कहा कि हम सुभाष को तुम्हारे दिल से निकाल देंगे।पर नीरा की आंखों से आंसू बहे लेकिन मुंह पर मुस्कान थी।अंग्रेज झल्लाकर चला गया।नीरा को एक अंधेरी व तंग कोठरी में बन्द किया गया वहां पर ही नीरा को मल व पेशाब करने पड़ता दुर्गंध से कोठरी सड़ने लगी थी।नीरा को सबसे कठोर कार्य करवाये गए।नीरा को एक हाथ बांधकर ऊंचा तब तक लटकाया गया जब तक वह बेहोश न हो गयी।पीने का पानी भी नीरा को कम और दूषित दिया जाता था।नीरा शाकाहारी व आर्य समाजी थी अंग्रेजों ने उसे मुसलमानों के हाथ का पका हुआ सड़ा हुआ मांस जबरदस्ती खिलाया।अंग्रेजों ने नीरा को पानी में बार बार डुबोया। नीरा के नँगे बदन पर कोड़े मारे जाते थे।दुष्ट अंग्रेजों द्वारा उनके जिस्म के साथ भी जबरदस्ती खिलवाड़ किये गए।लेकिन नीरा ने हजारों यातनाओं के बाद भी कोई भी खुफिया जानकारी अंग्रेजों से सांझा नहीं की। अंत में गुस्सा होकर अंग्रेजों ने नीरा को गोल चक्कर की एक चरखी पर चढ़ाया और घुमाया।इससे नीरा का पूरा बदन टूट गया नीरा बेहोश हो गयी।बेहोश नीरा को अंग्रेजों ने एक खतरनाक टापू पर ले जाकर फेंक दिया।जब नीरा को होश आया तो उसने स्वयं को आदिवासियों के बीच पाया।आदिवासी नीरा को अजीब नजर से देख रहे थे और देखने पर वे खतरनाक लग रहे थे।नीरा को उनकी भाषा भी समझ न आ रही थी तो नीरा ने भगवान को याद करने के लिए ॐ शब्द का उच्चारण किया। ॐ । सुनकर आदिवासियों ने नीरा को देवी समझ लिया।वे ॐ का उच्चारण होम के रूप में कर रहे थे।नीरा ने भी समझ लिया किसी भी भाषा व क्षेत्र के ह्यो लेकिन है तो अपने ही लोग।कुछ दिनों में नीरा को उनकी भाषा समझ मे आ गयी तब नीरा ने उन्हें अपनी आप बीती सुनाई।आदिवासी भी अंग्रेजों से चिढ़ते थे. उन्होंने नीरा को प्रणाम किया और नीरा को वहां से निकलने के लिए एक मजबूत नाव बनाकर दी व रास्ते में खाने के लिए सब इंतजाम नाव में किये।जैसे तैसे नीरा हैदराबाद पहुंची तब तक देश आजाद ह्यो चुका था।
*आजादी के बाद नीरा का असहाय जीवन======*
नीरा का शरीर दुर्बल हो चुका था।नीरा ने हैदराबाद में एक झोपड़ी बनजे ली व फूल बेचकर गुजारा करने लगी।हैदराबाद में निजाम का राज था और इस्लामी कटरपंथ चरम पर था। नीरा माथे पर तिलक लगाती थी जिसे देखकर जिहादियों ने उनकी पिटाई कर दी व उनकी फूलों की टोकरी बिखेर दी।परन्तु नीरा ने अपने माथे से तिलक नहीं हटाया।नीरा ने हैदराबाद की आजादी के लिए आर्य समाज का सत्याग्रह अपनी आंखों से देखा।नीरा बूढ़ी हो चुकी थी।वह इस दौरान एक बार अपने गांव भी आई लेकिन किसी ने भी उसे नहीं पहचाना और किसी ने मदद न की।केवल उनके पास के गांव के एक क्रांतिकारी चौधरी करणसिंह तोमर ने ही उन्हें पहचाना और उनकी मदद करने की बात की और सरकार से उन्हें मदद दिलाने के लिए संघर्ष की बात की लेकिन नीरा ने मना कर दिया और कहा कि उन्होंने यह संघर्ष किसी सरकारी मदद के लिए नहीं किया।कर्णसिंह ने उन्हें यही रुकने की सलाह दी लेकिन नीरा ने यह कहकर मना कर दिया कि वह उन पर बोझ नहीं बनना चाहती व हैदराबाद लौट आई।एक दिन नीरा की सरकारी जमीन पर बनी झोपड़ी भी तोड़ दी गयी। नीरा बिल्कुल बुढ़ी हो चुकी थी।एक दिन उन्हें तेज बुखार हुआ और वह बेहोश होकर गिर गयी।तब एक वर्तमान के एक लेखक व हिंदी दैनिक वार्ता के पत्रकार तेजपाल सिंहल
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