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Showing posts from March, 2022

31 March ऐतिहासिक स्मरणीय दिवस

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  ऐतिहासिक स्मरणीय दिवस 31मार्च का दिन अंग्रेजियत से आजादी के लिए मिल रहें है शुभ संकेत==========              =1857की क्रांति के लिए 31.03.1857निश्चित=== किया गया था* हालाकि वह क्रांति इस तिथी से पहले ही शुरू हो गई थी.1857की क्रांति में अनेको शूरवीर शहीद हो गए पर एक स्वतंत्रता की आशा की किरण दिखा गए।उस क्रांति के परिणामस्वरूप अंग्रेजों का शासन हिल गया था *और भारत से ईस्ट इण्डिया कम्पनी का राज तो समाप्त हो गया पर इंग्लेंड की सरकार ने शासन.सम्हाल.लिया.* और1947में अंग्रेज भारत छोड़कर चले गए। पर अंग्रेजियत अभी भी हमको गुलाम बनाये हुए है.अब अंग्रेजियत से आजादी का सही समय आ गया.आप पूछेगें कि अब सही समय क्यों?  उसका उत्तर है कि *जब अस्तित्व को कोई परिवर्तन करना होता है तो वह कोई न कोई संकेत जरुर देता है.1857की क्रांति के लिए निश्चित की तारिख-31मार्च ही थी.वंदन.अभिनंदन🙏

31 March पुण्यतिथि संघनिष्ठ नानासाहब भागवतजी

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 पुण्यतिथि संघनिष्ठ नानासाहब भागवतजी ३१.३.१९७१  श्री नारायण पांडुरंग (नानासाहब)भागवत मूलतःमहाराष्ट्र में चंद्रपुर जिले के वीरमाल गांव के निवासी थे।वहां पर ही उनका जन्म1884में हुआ* घर की आर्थिक स्थिति अच्छी न होने के कारण वे अपने मामा जी के घर नागपुर काटोल पढ़ने आ गये।आगे चलकर उन्होंने प्रयाग(उ.प्र.)से कानून की परीक्षा उत्तीर्ण की तथा चंद्रपुर के पास वरोरा में कारोबार करने लगे।इसी दौरान उनका संपर्क संघ संस्थापक डा.हेडगेवार से हुआ।वरोरा उन दिनों कांग्रेस की गतिविधियों का एक बड़ा केन्द्र था।नानासाहब कांग्रेस की प्रांतीय समिति के सदस्य थे.1930में सारा परिवार चंद्रपुर आकर रहने लगा। चंद्रपुर जिला न्यायालय में वकालत करतेहुए नानासाहब की घनिष्ठता तिलक जी के अनुयायी बलवंतराव देशमुख से हुई।अतःउनके मन में भी देश,धर्म और संस्कृति के प्रति अतीव निष्ठा जाग्रत हो गयी।जब डा.हेडगेवार ने चंद्रपुर में शाखा प्रारम्भ की, तब तक नानासाहब की ख्याति एक अच्छे वकील के रूप में हो चुकी थी;पर डाo जी से भेंट होते ही अपने सब बड़प्पन छोड़कर नानासाहब उनके अनुयायी बन गये।नानासाहब बहुत जल्दी गुस्सा हो जाते थे।लोग...

31 March जन्मदिवस शिक्षाप्रेमी जयगोपाल गाडोदिया

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 जन्मदिवस शिक्षाप्रेमी जयगोपाल गाडोदिया  31.03.1931 अभाव और कठिनाइयों में अपने जीवन का प्रारम्भ करने वाले जयगोपाल गाडोदिया का जन्म= 31मार्च1931को सुजान गढ़(जिला चुरू,राज.)में हुआ* गरीबी के कारण उन्हें विद्यालय में पढ़ने का अवसर नहीं मिला।इतना ही नहीं,तो प्रायःउन्हें दोनों समय पेट भर भोजन भी नहीं मिलता था।इन अभावों से उनके मन में समाज के निर्धन वर्ग के प्रति संवेदना का जन्म हुआ।स्वामी विवेकानंद के विचारों का उनके मन पर बहुत प्रभाव था।आगे चलकर जब अपने परिश्रम और प्रभु की कृपा से उन्होंने धन कमाया, तो उसे इन अभावग्रस्त बच्चों की शिक्षा में ही लगा दिया। दस साल की अवस्था में वे पैसा कमाने हेतु कोलकाता आ गये।यहां काम करते हुए उन्होंने कुछ लिखना व पढ़ना सीखा।काम के लिए देश भर में घूमने से उन्हें निर्धन और निर्बल वर्ग की जमीनी सच्चाइयों का पता लगा।अतःउन्होंने"जयगोपाल गाडोदिया फाउंडेशन"की स्थापना की तथा उसके माध्यम से चेन्नई में रहकर कई सामाजिक गतिविधियों का संचालन करने लगे। उनका विचार था कि बच्चा चाहे निर्धन हो या धनवान, उसमें कुछ प्रतिभा अवश्य होती है,जिसे उचित शिक्षण, प्रशिक्षण से ...

31 March जन्मदिवस 31.03.1504 सेवासमर्पण के साधकगुरुअंगददेव

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 जन्मदिवस 31.03.1504 सेवासमर्पण के साधकगुरुअंगददेव                                सिख पन्थ के दूसरे गुरु अंगददेव जी का जन्म हिंदू-वर्ष-वि.सं1561माह-चैत्रशुक्लाप्रथमा,गुड़ीपड़वा,प्रतिपदा को(आंग्ल दि.31.03.1504)यानि हिन्दू नव वर्ष के दिन हुआ. अंगद देव जी का असली नाम"लहणा"था.* वे उन सब परीक्षाओं में सफल रहे, जिनमें गुरु नानक के पुत्र और अन्य दावेदार विफल हो गये थे।गुरु नानक ने उनकी पहली परीक्षा कीचड़ से लथपथ घास की गठरी सिर पर रखवा कर ली।फिर गुरु जी ने उन्हें धर्मशाला से मरी हुई चुहिया उठाकर बाहर फेंकने को कहा।उस समय इस प्रकार का काम शूद्रों का माना जाता था।तीसरी बार मैले के ढेर में से कटोरा निकालने को कहा।गुरु नानक के दोनों पुत्र इस कार्य को करने के लिए तैयार नहीं हुए।इसी तरह गुरु जी ने लहणा को सर्दी की रात में धर्मशाला की टूटी दीवार बनाने को कहा।वर्षा और तेज हवा के बावजूद उन्होंने दीवार बना दी।गुरुजी ने एक बार उन्हें रात को कपड़े धोने को कहा,तो घोर सर्दी में रावी नदी पर जाकर उन्होंने कपड़े धो डाले।एक बार...

31 March जन्मदिवस= आनंदी गोपाल जोषी

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  जन्मदिवस= आनंदी गोपाल जोषी  जन्म31मार्च1865पुणे===और=मृत्यु-26फ़रवरी 1887========= पहली भारतीय महिला थीं, जिन्‍होंने डॉक्‍टरी की डिग्री प्राप्त की थी।* जिस दौर में महिलाओं की शिक्षा भी दूभर थी, उस समय विदेश जाकर डॉक्‍टरी की डिग्री हासिल करना उनके लिए एक मिसाल थी।आनंदी गोपाल जोशी का व्‍यक्तित्‍व महिलाओं के लिए प्रेरणास्‍त्रोत था। उन्‍होंने-1886में अपने सपने को साकार रूप दिया।जब उन्‍होंने डॉक्टर बनने का निर्णय लिया था तो उनकी समाज में काफ़ी आलोचना हुई थी कि एक विवाहित हिन्दू स्‍त्री विदेश में (पेनिसिल्‍वेनिया)जाकर डॉक्‍टरी की पढ़ाई करे। लेकिन आनंदीबाई एक दृढ़निश्‍चयी महिला थीं और उन्‍होंनेआलोचनाओं की तनिक भी परवाह नहीं की।यही वजह थी कि उन्‍हें पहली भारतीय महिला डॉक्‍टर होने का गौरव प्राप्‍त हुआ। *परिचय=डॉक्टर आनंदी गोपाल जोशी का जन्म एक मराठी परिवार में-31 मार्च1865को कल्याण, थाणे,महाराष्ट्र में हुआ* माता-पिता ने उनका नाम यमुना रखा।उनका परिवार एक रूढ़िवादी मराठी परिवार था,जो केवल संस्कृत पढ़ना जानता था।उनके पिता ज़मींदार थे।ब्रिटिश शासकों द्वारा महाराष्ट्र में ज़मींदारी प्रथा ...

31 March दलाई लामा तिब्बत छोड़कर भारत आ गए -

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 दलाई लामा तिब्बत छोड़कर भारत आ गए - 31 मार्च 1959 1950 के दशक में चीन और तिब्बत के बीच कड़वाहट शूरु हो गयी थी जब गर्मियों ने तिब्बत में उत्सव मनाया जा रहा था तब चीन ने तिब्बत पर आक्रमण कर दिया और प्रसाशन अपने हाथो में ले लिया. दलाई लामा उस समय मात्र 15 वर्ष के थे इसलिए रीजेंट ही सारे निर्णय लेते थे लेकिन उस समय तिब्बत की सेना में मात्र 8,000 सैनिक थे जो चीन की सेना के सामने मुट्ठी भर ही थे. जब चीनी सेना ने तिब्बत पर कब्जा कर लिया तो वो जनता पर अत्याचार करने लगे, स्थानीय जनता विद्रोह करने लगी थी और दलाई लामा ने चीन सरकार से बात करने के लिए वार्ता दल भेजा लेकिन कुछ परिणाम नहीं मिला. 1959 में लोगो में भारी असंतोष छा गया था और अब दलाई लामा के जीवन पर भी खतरा मंडराने लगा था. चीन सरकार दलाई लामा को बंदी बनाकर तिब्बत पर पूर्णत कब्जा करना चाहती थी इसलिए दलाई लामा के शुभ चिंतको ने दलाई लामा को तिब्बत छोड़ने का परामर्श दिया. अब भारी दबाव के चलते दलाई लामा को तिब्बत छोड़ना पड़ा. अब वो तिब्बत के पोटला महल से 17 मार्च 1959 को रात को अपना आधिकारिक आवास छोडकर 31 मार्च को भारत के तवांग इलाके में ...

30 March *🌹"राजस्थान दिवस

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 *🌹"राजस्थान दिवस की बधाई 🌹* *आज का दिन सभीराजस्थान दिवस=30 मार्च"  इसे राजस्थान का स्थापना दिवस भी कहा जाता है। हर वर्ष के तीसरे महिने (मार्च) में 30तारीख को राजस्थान दिवस मनाया जाता है.30 मार्च,1949में जोधपुर, जयपुर,जैसलमेर और बीकानेर रियासतों का विलय होकर 'वृहत्तर राजस्थान संघ' बना था इस दिन राजस्थान के लोगों की वीरता,दृढ़ इच्छाशक्ति तथा बलिदान को नमन किया जाता है।यहां की लोक कलाएं,समृद्ध संस्कृति, महल,व्यंजन आदि एक विशिष्ट पहचान रखते हैं।  इस दिन कई उत्सव और आयोजन होते हैं जिनमें राजस्थान की अनूठी संस्कृति का दर्शन होता है। इसे पहले राजपूताना के नाम से जाना जाता था तथा कुल २२ रियासतों को मिलाकर यह राज्य बना तथा इसका नाम "राजस्थान" किया गया जिसका शाब्दिक अर्थ है "राजाओं का स्थान" क्योंकि स्वतंत्रता से पूर्व यहां कई राजा-महाराजाओं ने राज किया।  राजस्थान का एकीकरण ७ चरणों में हुआ।इसकी शुरुआत१८अप्रैल१९४८ को अलवर,भरतपुर,धौलपुर और करौली रियासतों के विलय से हुई।विभिन्न चरणों में रियासतें जुड़ती गईं तथा अंत में ३०मार्च१९४९को जोधपुर,जयपुर,जैसलमेर और ब...

30 March पुण्यतिथि. 30.03.1664 मानवता के महान हमदर्द गुरू गुरू हरिकिशन जी

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 पुण्यतिथि. 30.03.1664 मानवता के महान हमदर्द गुरू गुरू हरिकिशन जी  आपका जन्म दिनांक-07 जुलाई1656मे हुआ।बहुत छोटी आयु में ही सिख पंथ के आठवे गुरू बने।और छोटी आयु में ही देह त्याग दी।सातवें गुरू हरीराम जी को चिंता सता रही थी कि उनके बाद गुरू गद्दी कौन सम्भालेगा।बड़े पुत्र रामराय और छोटे पुत्र हरीकिशन की परीक्षा बतौर गुरू स्मरण के वक्त सूई चुभाकर देखी।रामराय आपे से बाहर हो गये।और हरीकिशन को सूई का बिलकुल पता नही चला।तभी से गुरू हरीराम ने हरीकिशन को गद्दी सौंपने का मन बना लिया। ये गुरू हरीकिशन बचपन से ही बड़े प्रतापी,उदार चित्त,और संत स्वभावी थे।इस बाल गुरू ने मानव भलाई हेतुअपना सारा जीवन न्योंछावर किया।उस वक्त दिल्ली में महामारी फैल गई।चोरों ओर हैजे,चेचक के रोगी नजर आने लगे।गुरू हरीकिशन जी ने सबको वाहे गुरू का जाप दिया।रोगियों हेतु लंगर लगवाये।बिना भेद भाव के तन मन धन से सेवा की।अत: हिंदू इन्हें बाला गुरू तो मुश्लीम इन्हें बाला पीर कहते थे।सेवा कार्य करते रहने से इन्हें भी कई रोग हो गये।उन्हें प्रभु के पास जाने का आभास हुआ।माता से कहा-अब हम परम धाम को जावे,तन तजी जोत समावे।चिंता ...

30 March पुण्य-तिथि=सागरपार भारतीय क्रान्ति के दूत श्यामजी कृष्ण वर्मा

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 पुण्य-तिथि=सागरपार भारतीय क्रान्ति के दूत श्यामजी कृष्ण वर्मा=* चार अक्तू.1857को कच्छ (गुजरात)के मांडवी नगर में जन्मे श्यामजी पढ़ने में बहुत तेज थे।मुम्बई के सेठ मथुरादास ने इन्हें छात्रवृत्ति देकर विल्सन हाईस्कूल में भर्ती कराया।वे नियमित अध्ययन के साथ पं. विश्वनाथ शास्त्री की वेदशाला में संस्कृत भी पढ़ने लगे।मुम्बई में एक बार महर्षि दयानन्द सरस्वती आये।उनके विचारों से प्रभावित हो श्यामजी ने भारत में संस्कृत भाषा एवं वैदिक विचारों के प्रचार का संकल्प लिया।ब्रिटिश विद्वान प्रोफेसर विलियम्स उन दिनों संस्कृत-अंग्रेजी शब्दकोष बना रहे थे। श्यामजी ने उनकी बहुत मदद की।इससे प्रभावित हो प्रोफेसर विलियम्स ने उन्हें ब्रिटेन आने का न्योता दिया।वहाँ श्यामजी वर्मा ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में संस्कृत अध्यापक बने। वेदों का प्रचार भी जारी रखा।कुछ समय बाद वे भारत आये।मुम्बई में वकालत की तथा रतलाम, उदयपुर व जूनागढ़ राज्यों में काम किया।वे भारत की गुलामी से बहुत दुखी थे। लोकमान्य तिलक ने उन्हें विदेशों में आजादी हेतु काम करने की राय दी। इंग्लैण्ड जाकर भारतीय छात्रों के लिए एक मकान खरीद उसका नाम इंडि...

30 March Janmadin आदर्श संघ कार्यकर्ता अप्पाजी जोशी=

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 आदर्श संघ कार्यकर्ता अप्पाजी जोशी=* 30मार्च1897को महाराष्ट्र के वर्धा में जन्मे अप्पा जी ने क्रांतिकारियों तथा कांग्रेस के साथ रहकर काम किया।कांग्रेस के कोषाध्यक्ष जमनालाल बजाज के वे निकट सहयोगी थे;डा.हेडगेवार के सम्पर्क में आने पर बाकी सबको छोड़ दिया। डा.हेडगेवार,श्रीगुरुजी,बालासाहब देवरस,तीनों सरसंघचालकों के दायित्व ग्रहण समय वे उपस्थित थे ।बचपन बहुत गरीबी में बीता।पिता एक वकील के मुंशी थे.12वर्ष की आयु में पिताजी,चाचाजी,तीन भाई दिवंगत हुए।कठिनाईयों से दस तक पढ़ाई की.1905 में बंग-भंग आन्दोलन से प्रभावित हो वे स्वाधीनता समर में कूद गये.1906में लोकमान्य तिलक के दर्शन किये।और अन्तःकरण में देशप्रेम की ज्वाला धधक उठी.14वर्ष की आयु में शादी हुई।वे भी एक वकील के पास पिता की तरह ही मुंशी बन गये।पर सामाजिक कार्यों में सक्रियता बनी रही।वे नियमित अखाड़े में जाते थे।वहीं उनका सम्पर्क संघ स्वयंसेवक श्रीअण्णा सोहनी से हुआ।उनके माध्यम से डा.हेडगेवार से हुआ।डा.जी बिना बताये देश भर में क्रान्तिकारियों की मदद करते थे,और इस काम मे अप्पा जी उनके विश्वस्त बनें।दिन-रात कांग्रेस के लिए काम करने से उनक...

29 March वीरगतिदिवस

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 वीरगतिदिवस= (1)29.03.1917को यानि आज ही के दिन महान क्रातिवीर पुत्र सरदार बलवंतसिंह सहित पांच क्रातिवीर पुत्रों ने देश की आजादी के लियें अपने प्रणों की आहुति दे दी. अत:आज उन क्रांतिवीरों की शहादत का दिन है।सादर वन्दन.सादर नमन. (2)आज ही के दिन यानि 29.03.1857को महान क्रातिवीर पुत्र मंगल पाण्डे ने बेरकपुर छावनी मे अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह का बिगुल बजा दिया।इसके इनाम मे उन्हें  08.04.1857को(10दिन पूर्व18.04.की बजाय)को फांसी दे दी गयी।ऐसे क्रांतिवीर पुत्र मंगल पाण्डे को सादर वंदन.सादर नमन🕉🌹🙏🌹🕉🙏🌹🕉🙏🌹🕉🙏*

29 March Punyatithi लकानगिरी का गाँधी’ जिससे

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 ‘म लकानगिरी का गाँधी’ जिससे डरकर, अंग्रेज़ों ने उन्हें दे दी थी फाँसी! लक्ष्मण नायक दक्षिण उड़ीसा में आदिवासियों के अधिकारों के लिए कार्यरत थे। उनका जन्म 22 नवंबर 1899 को कोरापुट में मलकानगिरी के तेंटुलिगुमा में हुआ था। अंग्रेजी सरकार की बढ़ती दमनकारी नीतियाँ जब भारत के जंगलों तक भी पहुँच गयी और जंगल के दावेदारों से ही उन की संपत्ति पर लगान वसूला जाने लगा तो नायक ने अपने लोगों को एकजुट करने का अभियान शुरू कर दिया। ब्रिटिश सरकार ने उनके बढ़ते प्रभाव को देख, उन्हें एक झूठे हत्या के आरोप में फंसा दिया। उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और फाँसी की सजा सुनाई गयी। 29 मार्च 1943 को बेरहमपुर जेल में उन्हें फाँसी दे दी गयी। अपने अंतिम समय में उन्होंने बस इतना ही कहा था, “यदि सूर्य सत्य है, और चंद्रमा भी है, तो यह भी उतना ही सच है कि भारत भी स्वतंत्र होगा।”

29 March Mekran dada

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 कच्छ  (गुजरात) के एक ऐसे सन्त जिनके आज भी लाखों भक्त हैं और उनकी कीर्ति आज भी वैसी ही है, जैसी उनके जीवनकाल में थी। इनका नाम मेकोजी (बाद में मेकण अथवा मेकरण डाडा के नाम से प्रसिद्ध हुए)था। इनका जन्म कच्छ के खोम्भड़ी गाँव में हाधाजी भाटी राजपूत के घर माता पाबां बा की कोख से(सन 1667,विक्रम सम्वत 1723में) हुआ था।आपने जीवनभर कच्छ के रण में यात्रा करने वाले यात्रियों को अन्न,जल व आश्रय प्रदान करने केलिए भुज से लगभग 40 किमी उत्तर पूर्व में स्थित ध्रंग(लोडाई)में कुटिया बनाई।इस सेवा में इनके सहयोगी बने 'लालियो'(गधा)व 'मोतियो'(कुत्ता)लालिये की पीठ पर आहार व जल लादकर रण में सन्त मेकण विचरण करते,जब कोई यात्री दिखाई देता तो मोतिया अपनी आवाज से अपनी ओर आने को प्रेरित करता, ताकि उसे कुछ आहार दिया जा सके। सन्त मेकण डाडा को लोग कच्छ का कबीर भी मानते हैं, क्योंकि उन्होंने अपनी साखियों के माध्यम से तत्कालीन समाज में व्याप्त आडम्बरों पर बड़ी ही सटीकता से चोट की थी। मेकण डाडा की ये साखियां आज भी स्थानीय जनमानस की जुबान पर लोकोक्तियों के रूप में विद्यमान हैं। मेकण डाडा को भगवान श्रीराम के ...

28मार्च जन्म-दिवस सिख पन्थ के सेवक सन्त अतरसिंह*

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 *🕉🕉🕉🕉🕉हरदिनपावन=== आजकादिनविशेष=============* *========जन्मदिवस========= ========(28मार्च1866)======        जन्म-दिवस सिख पन्थ के सेवक सन्त अतरसिंह* *संत अतरसिंह जी का जन्म 28 मार्च,1866को ग्राम चीमा(संगरूर, पंजाब)में हुआ था*। इनके पिता श्री करमसिंह तथा माता श्रीमती भोली जी थीं। छोटी अवस्था में वे फटे- पुराने कपड़ों के टुकड़ों की माला बनाकर उससे जप करते रहते थे। लौकिक शिक्षा की बात चलने पर वे कहते कि हमें तो बस सत्य की ही शिक्षा लेनी है।  घर वालों के आग्रह पर उन्होंने गांव में स्थित निर्मला सम्प्रदाय के डेरे में संत बूटा सिंह से गुरुमुखी की शिक्षा ली। कुछ बड़े होकर वे घर में खेती, पशु चराना आदि कामों में हाथ बंटाने लगे। एक साधु ने इनके पैर में पद्मरेखा देखकर इनके संत बनने की भविष्यवाणी की।  1883 में वे सेना में भर्ती हो गये। घर से सगाई का पत्र आने पर उन्होंने जवाब दिया कि अकाल पुरुख की ओर से विवाह का आदेश नहीं है। 54 पल्टन में काम करते हुए उन्होंने अमृत छका और फिर निष्ठापूर्वक सिख मर्यादा का पालन करने लगे। वे सूर्योदय से पूर्व कई घंटे जप और ध्यान...

28 March सेवा और समर्पण के साधक गुरु अंगद देव / पुण्य तिथि -

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  सेवा और समर्पण के साधक गुरु अंगद देव / पुण्य तिथि - 28 मार्च सिख पन्थ के दूसरे गुरु अंगददेव का असली नाम ‘लहणा’ था। उनकी वाणी में जीवों पर दया, अहंकार का त्याग, मनुष्य मात्र से प्रेम, रोटी की चिन्ता छोड़कर परमात्मा की सुध लेने की बात कही गयी है। वे उन सब परीक्षाओं में सफल रहे, जिनमें गुरु नानक के पुत्र और अन्य दावेदार विफल ह¨ गये थे। गुरु नानक ने उनकी पहली परीक्षा कीचड़ से लथपथ घास की गठरी सिर पर रखवा कर ली। फिर गुरु जी ने उन्हें धर्मशाला से मरी हुई चुहिया उठाकर बाहर फेंकने को कहा। उस समय इस प्रकार का काम शूद्रों का माना जाता था। तीसरी बार मैले के ढेर में से कटोरा निकालने को कहा। गुरु नानक के दोनों पुत्र इस कार्य को करने के लिए तैयार नहीं हुए। इसी तरह गुरु जी ने लहणा को सर्दी की रात में धर्मशाला की टूटी दीवार बनाने को कहा। वर्षा और तेज हवा के बावजूद उन्होंने दीवार बना दी। गुरु जी ने एक बार उन्हें रात को कपड़े धोने को कहा, तो घोर सर्दी में रावी नदी पर जाकर उन्होंने कपड़े धो डाले। एक बार उन्हें शमशान में मुर्दा खाने को कहा, तो वे तैयार हो गये। इस पर गुरु जी ने उन्हें गले लगा कर कहा ...

27 March क्रान्तिवीर काशीराम, जिन्हें डाकू समझा गया बलिदान दिवस -

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 क्रान्तिवीर काशीराम, जिन्हें डाकू समझा गया बलिदान दिवस - 27 मार्च भारतीय स्वाधीनता संग्राम में अनेक ऐसे वीरों ने भी बलिदान दिया, जिन्हें गलत समझा गया। 1981 में ग्राम बड़ी मढ़ौली (अम्बाला, पंजाब) में पण्डित गंगाराम के घर में जन्मे काशीराम ऐसे ही क्रान्तिवीर थे, जिन्हें डाकू समझ कर  अपने देशवासियों ने ही मार डाला। शिक्षा पूरी कर काशीराम ने भारत में एक-दो छोटी नौकरियाँ कीं और फिर हांगकांग होते हुए अमरीका जाकर बारूद के कारखाने में काम करने लगे। कुछ दिन बाद उन्होंने एक टापू पर सोने की खान का ठेका लिया और बहुत पैसा कमाया। जब उनके मन में छिपे देशप्रेम ने जोर मारा, तो वे भारत आ गये। वे अपने गाँव थोड़ी देर के लिए ही रुके और फिर यह कहकर चल दिये कि लाहौर नेशनल बैंक में मेरे 30,000 रु. जमा हैं, उन्हें लेने जा रहा हूँ। इसके बाद वे अपने गाँव लौट कर नहीं आये। विदेश में रहते हुए ही उनका सम्पर्क भारत के क्रान्तिकारियों से हो गया था। पंजाब में जिस दल के साथ वे काम करते थे, उसे हथियार खरीदने के लिए पैसे की आवश्यकता थी। सबने निश्चय किया कि मोगा के सरकारी खजाने को लूटा जाये। योजना बन गयी और 27 नव...

26 March जन्म दिवस: मनीषी चिन्तक कुबेरनाथ राय

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 जन्म दिवस: मनीषी चिन्तक कुबेरनाथ राय= जन्म दिवस: मनीषी चिन्तक कुबेरनाथ राय======    ========(26.03.1933)=======* हिन्दी साहित्य में कई ललित निबन्धकार हुए हैं।इनमें श्री कुबेरनाथ राय का मुख्य स्थान है।इनका साहित्यिक व्यक्तित्व एक ऐसा विशाल वट वृक्ष है,जिसकी दूर-दूर तक फैली जड़ें भारत के वैष्णव साहित्य,श्रीराम कथा और गांधी चिन्तन से जीवन रस ग्रहण करती हैंभारतीयता पर मजबूती से खड़े हो, उनका चिन्तन सम्पूर्ण विश्व को"वसुधैव कुटुम्बकम्"के प्रेमपूर्ण बन्धन में बाँधने को तत्पर दिखाई देता है।हिन्दी ललित निबन्ध को उन्होंने एक नया आयाम दिया, जिससे पाठक के मन को भी भव्यता प्राप्त होती थी *श्री कुबेरनाथ राय का जन्म -26मार्च1933को मतसा (गाजीपुर,उ.प्र.)में हुआ* छोटे बाबा पं.बटुकदेव अंग्रेजी के प्रकांड विद्वान, उच्च कोटि के पत्रकार थे।उनका व्रत था कि गुलाम भारत में मैं सन्तान उत्पन्न नहीं करूँगा।किशोरवस्था में ही घर छोड़ अविवाहित रह देश सेवा की।उन्होंने देश, तरुण,भारत,प्रताप,लोक संग्रह,प्रणवीर जैसे राष्ट्रव्यापी पत्रों का सम्पादन किया।गांधीजी,डा.राजेन्द्र प्रसाद, गणेश शंकर विद्यार्थी, स...

26 March चिपको आन्दोलन की जननी गौरादेवी / इतिहास स्मृति

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 चिपको आन्दोलन की जननी गौरादेवी / इतिहास स्मृति - 26 मार्च आज पूरी दुनिया लगातार बढ़ रही वैश्विक गर्मी से चिन्तित है। पर्यावरण असंतुलन, कट रहे पेड़, बढ़ रहे सीमेंट और कंक्रीट के जंगल, बढ़ते वाहन, ए.सी, फ्रिज, सिकुड़ते ग्लेशियर तथा भोगवादी पश्चिमी जीवन शैली इसका प्रमुख कारण है। हरे पेड़ों को काटने के विरोध में सबसे पहला आंदोलन पांच सितम्बर, 1730 में अलवर (राजस्थान) में इमरती देवी के नेतृत्व में हुआ था, जिसमें 363 लोगों ने अपना बलिदान दिया था। इसी प्रकार 26 मार्च, 1974 को चमोली गढ़वाल के जंगलों में भी ‘चिपको आंदोलन’ हुआ, जिसका नेतृत्व ग्राम रैणी की एक वीरमाता गौरादेवी ने किया था। गौरादेवी का जन्म 1925 में ग्राम लाता (जोशीमठ, उत्तरांचल) में हुआ था। विद्यालयीन शिक्षा से विहीन गौरा का विवाह 12 वर्ष की अवस्था में ग्राम रैणी के मेहरबान सिंह से हुआ। 19 वर्ष की अवस्था में उसे एक पुत्र की प्राप्ति हुई और 22 वर्ष में वह विधवा भी हो गयी। गौरा ने इसे विधि का विधान मान लिया। पहाड़ पर महिलाओं का जीवन बहुत कठिन होता है। सबका भोजन बनाना, बच्चों, वृद्धों और पशुओं की देखभाल, कपड़े धोना, पानी भरना और ...

25march वीरगतिदिवस गणेशशंकर‘विद्यार्थी’का बलिदान

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 वीरगतिदिवस  गणेशशंकर‘विद्यार्थी’का बलिदान (25.03.1931) *क्रांतिकारी पत्रकार श्री गणेशशंकर ‘विद्यार्थी’का जन्म आश्विन शुक्ल14, रविवार,सं.1947(1890) को प्रयाग में अपने नाना श्री सूरजप्रसाद श्रीवास्तव के घर में हुआ.नाना सहायक जेलर थे* पुरखे हथगांव(फतेहपुर,उ.प्र.)के मूल निवासी थे;जीविका हेतु पिता मुंशीजयनारायण शिक्षण एवं ज्योतिष हेतु गुना(मध्य प्र.)के गंगवली कस्बे में बस गये।शिक्षा एंग्लो वर्नाक्युलर स्कूल से ले गणेश ने बड़े भाई के पास कानपुर से हाईस्कूल की परीक्षा पास की।फिर वे प्रयाग में इण्टर में प्रवेश लिया।तब उनका विवाह हुआ तो पढ़ाई छूट गयी;तब उनको लेखन एवं पत्रकारिता का शौक लग गया जो अन्त तक जारी रहा।शादी बाद घर चलाने हेतु धन की जरूरत थी,तब वे फिर भाईसाहब के पास कानपुर आ गये.1908में कानपुर के करेंसी दफ्तर में 30रु.माह की नौकरी मिल गयी;एक साल बाद अंग्रेज अधिकारी से झगड़ा हो पर उसे छोड विद्यार्थीजीPPN. हाई स्कूल में पढ़ाने लगे।यहाँ भी उनका मन नहीं लगा।वे प्रयागआ गये और कर्मयोगी, सरस्वती एवं अभ्युदय नामक पत्रों के सम्पादकीय विभाग में कार्य किया;यहाँ उनके स्वास्थ्य ने साथ नहीं ...

25 March गुजराती के प्रसिद्ध कवि दलपतराम दह्याभाई त्रिवेदी - पुण्य तिथि

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 गुजराती के प्रसिद्ध कवि दलपतराम दह्याभाई त्रिवेदी - पुण्य तिथि पर सादर नमन.

25 March जन्मदिवस= दिल्ली.झंडेवाला कार्यालय की पहचान तपस्वी प्रचारक चमनलाल जी

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 जन्मदिवस= दिल्ली.झंडेवाला कार्यालय की पहचान                                       तपस्वी प्रचारक चमनलाल जी= 25.03.1920)======             दुनिया में फैले स्वयंसेवकों को एक सूत्र में जोड़ने वाले चमनलाल जी का जन्म-25मार्च1920को ग्राम सल्ली(स्यालकोट, वर्तमान पाकिस्तान)में जमीनों का लेनदेन करने वाले धनी व्यापारी श्री बुलाकी राम गोरोवाड़ा के घर में हुआ* वे मेधावी छात्र और कबड्डी तथा खो-खो के उत्कृष्ट खिलाड़ी थे।गणित में उनकी प्रतिभा का लोहा पूरा शहर मानता था.1942में उन्होंने लाहौर से स्वर्ण पदक के साथ वनस्पति शास्त्र में एम.एस-सी.किया।संघ शाखा से उनका सम्पर्क 1936में ही हो चुका था.1940-41में वे गांधी जी के वर्धा स्थित सेवाग्राम आश्रम में भी रहे;पर वहां उनका मन नहीं लगा।विभाजन के उस नाजुक वातावरण में1942 में लाहौर से चमनलाल जी सहित52युवक प्रचारक बने।उन्हें सर्वप्रथम मंडी(वर्तमान हिमाचल)में भेजा गया।वहां हजारों कि.मी.पैदल चलकर उन्होंने सैकड़ों शाखाएं खोलीं.1946में ...

25 March जन्मदिवस= भूमिगत रेडियो संचालिका उषा मेहता

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 जन्मदिवस= भूमिगत रेडियो संचालिका =======                   ========•उषा मेहता= ========             भारतीय स्वाधीनता के आंदोलन के समय रेडियो, टेलिफोन,बेतार आदि शासन के पास ही होते थे।ऐसे समय में आंदोलन के समाचार,नेताओं के संदेशों को भूमिगत रेडियो द्वारा जनता तक पहुंचाने में जिस महिला ने बड़े साहस का परिचय दिया,वे थीं- "उषा मेहता"इनका जन्म- 25मार्च1920को सूरत (गुजरात)के पास एक गांव में हुआ* उन्होंने गांधीजी को 05वर्ष की आयु में कर्णावती में देखा।फिर उनके गांव के पास लगे शिविर में उन्होंने गांधी जी के विचारों को सुना और उनके कार्यों हेतु स्वयं को समर्पित कर दिया।वहीं खादी पहनने का व्रत लिया. और इसे जीवन भर निभाया।आठ वर्ष आयु में वे आजादी हेतु संघर्षरत"मांजर सेना"में शामिल हो अपने मित्रों के साथ भरूच की गलियों में तिरंगा झंडा ले प्रभातफेरी निकालने लगीं।साइमन कमीशन के विरुद्ध जुलूस निकाला।विदेशी कपड़ों एवं शराब की दुकानों के आगे विरोध प्रदर्शन भी किये।पिता एक जज थे.1930में अवकाश पाकर वे मुंबई आये।यहां उषा मेहता...

24 March वीरगतिदिवस पांचाल क्षेत्र में क्रान्ति के संचालक= नवाबखान

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वीरगतिदिवस  पांचाल क्षेत्र में क्रान्ति के संचालक= नवाबखान  24.03.1860 उत्तर प्रदेश में बरेली और निकटवर्ती क्षेत्र को पांचाल कहते हैं।महाभारत काल में द्रौपदी(पांचाली)का स्वयंवर इसी क्षेत्र में हुआ।बाद में विदेशी मुस्लिम रुहेलों ने इस क्षेत्र पर अधिकार किया,तब यह क्षेत्र रुहेल खण्ड भी कहलाया।जब-1857की क्रान्ति का बिगुल बजा,तो यहाँ के नवाब खान बहादुर ने नाना साहब पेशवा की योजना से निर्धारित दिन- 31मई को ही इस क्षेत्र को अंग्रेजों के चंगुल से मुक्त करा लिया।रुहेले सरदार हाफिज रहमत खान के वंशज होने के कारण इनका पूरे क्षेत्र में बहुत दबदबा था।अत: अंग्रेजों ने उन्हें नेटिव जज बना दिया.रुहेले सरदार के वंशज और जज होने से उन्हें दुगनी पेंशन मिलती थी।खान बहादुर पर एक ओर अंग्रेजों को पूरा विश्वास था,दूसरी ओर वे गुप्त रूप से क्रान्ति योजनाओं में सहभागी थे।तब बरेली में आठवीं घुड़सवार,18वीं तथा 68वीं पैदल रेजिमेण्ट के साथ तोपखाने की एक इकाई भी तैनात थी।जब10मई को मेरठ से विद्रोह शुरू हुआ,तो खान बहादुर ने सैनिकों को 31मई तक शान्त रहने को कहा।इधरअंग्रेजअधिकारियों को यह विश्वास दिला दिया कि ये ...

24 March जन्मदिन मुत्तुस्वामी दीक्षितर्

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  जन्मदिन  मुत्तुस्वामी दीक्षितर् या मुत्तुस्वामी दीक्षित दक्षिण भारत के महान् कवि व रचनाकार थे। वे कर्नाटक संगीत के तीन प्रमुख व लोकप्रिय हस्तियों में से एक हैं। उन्होने 500 से अधिक संगीत रचनाएँ की। कर्नाटक संगीत की गोष्ठियों में उनकी रचनाऐं बहुतायत में गायी व बजायी जातीं हैं।

24 March Rashtriya Swayamsevak Sangh (RSS) के 46 वर्षों से प्रचारक गौरी शंकर चक्रवर्ती जी पुण्यतिथि

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 पुण्यतिथि २४.३.२१ Rashtriya Swayamsevak Sangh (RSS)  के 46 वर्षों से प्रचारक गौरी शंकर चक्रवर्ती जी  गौरी दा उन अग्रदूतों में से एक थे जिन्होंने असम की ब्रह्मपुत्र घाटी में जमीनी स्तर पर संघ को मजबूत किया। बराक घाटी के दक्षिण असम प्रांत के वे प्रांत प्रचारक भी रहें। कुछ वर्ष पूर्व वे उत्तरपूर्व क्षेत्र के सह क्षेत्र प्रचारक के नाते कार्यरत थे। उन्होंने असमिया और बंगाली भाषाओं में उत्कृष्ट संघ गीत भी रचे।

24 March *છોટાલાલ કાળીદાસ ત્રવાડી “છોટમ” ગુજરાતના સંતકવિ અને યોગી ૨૪ માર્ચ, ૧૮૧૨ના

 llૐll *આજનો દિન વિશેષ* *છોટાલાલ કાળીદાસ ત્રવાડી “છોટમ” ગુજરાતના સંતકવિ અને યોગી ૨૪ માર્ચ, ૧૮૧૨ના રોજ છોટમનો જન્મ મલાતજ, તા. પેટલાદ, જિ. આણંદ માં થયો હતો.* મધ્યકાલીન ધાર્મિક પરંપરાઓને અનુસરનાર સાઠોદરા નાગર જ્ઞાતિના હતા. તેમણે તલાટી તરીકે નોકરી કરીને વિધવા માતા, ત્રણ નાના ભાઈઓ તથા બાળવિધવા બહેનની જવાબદારી સંભાળેલી. છોટમમાં બાળપણથી જ ધર્મભાવના અને ભક્તિના સંસ્કારો દૃઢ થયેલા હતા. તલાટીની નોકરી છોડી છોટમ નર્મદાકાંઠે શ્રી પુરુષોત્તમ સિદ્ધયોગીનો સત્સંગ કરવા ગયા. આ સિદ્ધયોગીએ છોટમના સંશયો દૂર કરીને તેમના પૂર્વજન્મના સંસ્કારોને જાગૃત કર્યા. યોગસાધના કરી છોટમ બ્રહ્મનિષ્ઠ મહાત્મા બન્યા. જ્ઞાન, કર્મ અને ભક્તિની ઉપાસના દ્વારા વેદધર્મનું પ્રતિપાદન કરતી કાવ્યરચનાઓનું સર્જન શરૂ કર્યું. છોટમે પચાવેલ વેદાંત, ધર્મ અને તત્ત્વજ્ઞાન ભાવકના હૃદયમાં સોંસરું ઊતરી જાય તે પ્રકારનું નિરૂપણ તેમની રચનાઓમાં સહજપણે આવતું ગયું. તેમણે લગભગ ચારસો જેટલાં પદો, પાંત્રીસ જેટલાં ખંડકાવ્યો અને વીસ જેટલાં બોધપ્રધાન આખ્યાનોની રચના કરી. એથી “છોટમ' સંતકવિ તરીકે સમગ્ર ગુજરાતમાં પ્રસિદ્ધિ પામ્યા. તેમની વૈવિધ્યસભર રચનાઓ વિવિધ વ...

23 March जन्मदिवस=राष्ट्रवादी सूफीअम्बाप्रसाद जी

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 जन्मदिवस=राष्ट्रवादी सूफीअम्बाप्रसाद जी 23.03.1858 महान,राष्ट्रवादी,स्वतंत्रतासेनानी और क्रांतिकारी सूफ़ीअम्बाप्रसादजी का जन्म23मार्च1858में मुरादाबाद उ.,प्र.में हुआ* इनका एक हाथ जन्म से ही कटा हुआ था।बड़े हुए,तब इनसे किसी ने पूछा-"आपका एक हाथ कटा हुआ क्यों है?"उन्होंने जबाव दिया- "वर्ष1857के स्वतंत्रता संग्राम में मैंने अंग्रेज़ों से जमकर युद्ध किया था।तब हमारा हाथ कटा,अब मेरा पुनर्जन्म है"सूफ़ी अम्बा प्रसाद ने मुरादाबाद,जालंधर में अपनी शिक्षा ग्रहण की. सूफ़ी अम्बा प्रसाद बड़े अच्छे लेखक थे।वे उर्दू में एक पत्र भी निकालते थे।दो बार अंग्रेज़ों के विरुद्ध बड़े कड़े लेख लिखे।फलस्वरूप उन पर दो बार मुक़दमा चलाया।प्रथम बार चार महीने की, दूसरी बार नौ वर्ष की कठोर सज़ा हुई।उनकी सारी सम्पत्ति भी अंग्रेज़ सरकार द्वारा जब्त कर ली।सूफ़ी अम्बाप्रसाद कारागार से लौट आने बाद हैदराबाद गए।फिर वहाँ से लाहौर चले गये।वहां वे सरदार अजीत सिंह की संस्था"भारतमाता सोसायटी" में काम करने लगे।सिंह जी के नजदीकी सहयोगी होने के साथ ही सूफ़ी तिलक जी के भी अनुयायी बन गए।तब उन्होंने एक पु...

23 March जन्म जयंति मीराबाई

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 जन्मजयंती== कृष्ण प्रेम में दीवानी मीराबाई==    ====(23मार्च1497.98)=======* भारत का राजस्थान प्रान्त वीरों की खान कहा जाता है;पर इस भूमि को श्रीकृष्ण के प्रेम में अपना तन-मन और राजमहलों के सुखों को खोकर मारने वाली मीराबाई ने भी अपनी चरण रज से पवित्र किया है।हिन्दी साहित्य में रसपूर्ण भजनों को जन्म देने का श्रेय मीरा को ही है।साधुओं की संगत और एकतारा बजाते हुए भजन गाना ही उनकी साधना थी *"मेरे तो गिरधर गोपाल,दूसरो न कोई.." गाकर मीरा ने स्वयं को अमर कर लिया.मीरा का जन्म मेड़ता(राज.)के राव रत्नसिंह के घर 23 मार्च 1497/98को हुआ.परंतु कई जगह उनका जन्म दिवस-वि.सं.1558/ 59माह-आश्विन शुक्ला पूर्णिमा यानि शरदपूर्णिमा (13.10.1497/98)को ही मुख्य माना है.* जब मीरा तीन साल की थी,तब उनके पिता का और दस साल की होने पर माता का देहान्त हो गया।जब मीरा बहुत छोटी थी,तो एक विवाह के अवसर पर उसने अपनी माँ से पूछा कि मेरा पति कौन है ?माता ने हँसी में श्रीकृष्ण की प्रतिमा की ओर इशारा कर कहा कि यही तेरे पति हैं।भोली मीरा ने इसे ही सच मानकर श्रीकृष्ण को अपने मन-मन्दिर में बैठा लिया।माता और पिता की ...

23 March जन्मदिन राममनोहर लोहिया

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 स्वतंत्र भारत की राजनीति और चिंतन धारा पर जिन गिने-चुने लोगों के व्यक्तित्व का गहरा असर हुआ है, उनमें डॉ. राम मनोहर लोहिया और जयप्रकाश नारायण प्रमुख रहे हैं। भारत के स्वतंत्रता युद्ध के आखिरी दौर में दोनों की भूमिका बड़ी महत्वपूर्ण रही है। देश की राजनीति में स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान और स्वतंत्रता के बाद ऐसे कई नेता हुए जिन्होंने अपने दम पर शासन का रुख बदल दिया जिनमें से एक थे राममनोहर लोहिया।

23 March शहीदों को प्रणाम स्मरणीय दिवस-शहीद दिवस

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 शहीदों को प्रणाम  स्मरणीय  दिवस-शहीद दिवस 23मार्च1931की मध्यरात्रि को अंग्रेज़ी शासन ने भारत के तीन सपूतों- भगतसिंह,सुखदेव,राजगुरु को फाँसी पर लटका दिया. शहीद दिवस के रूप में जाना जाने वाला यह दिन यूं तो भारतीय के लिए काला दिन माना जाता है, पर आजादी की लड़ाई में खुद को देश की वेदी पर चढ़ाने वाले ये नायक हमारे आदर्श हैं।इन तीनों वीरों की शहादत को श्रद्धांजलि देने हेतु यह शहीद दिवस मनाया जाता है।जबकि राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की याद में भी शहीद दिवस मनाया जाता है.30जन.1948को सत्य अहिंसा के पुजारी गांधीजी की पुण्यतिथि पर"शहीद दिवस"मना उन्हें भी श्रद्धांजलि दी जाती है।* भारत एक महान् देश है।यह उन वीरों की कर्मभूमि भी रही है,जिन्होंने अपने प्राणों की परवाह किए बिना इस देश के लिए कार्य किए।अपने वतन के लिए प्राणों की बलि देने से भी हमारे वीर कभी पीछे नहीं हटे।देश को स्वतंत्र कराने हेतु देश के वीरों ने अपनी जान की आहुति तक दी। *अदालती आदेशानुसार भगतसिंह, राजगुरु सुखदेव को 24 मार्च 1931को फाँसी लगाई जानी थी,सुबह 8बजे फांसी लगाई जानी थी,लेकिन 23मार्च 1931 को ही इन तीनों को शाम सात...

23 March जन्मदिवस युवाक्रांतिवीर.हेमू कालाणी

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 जन्मदिवस  युवाक्रांतिवीर.हेमू कालाणी  11/23.03.1924 हेमू कालाणी का जन्म अविभाजित भारत के सिन्ध प्रान्त के सक्खर नगर में 11/23मार्च,1924 को हुआ.* पिताजी पेसूमल कालाणी एवं माँ जेठी बाई.  माँ हेमू को बचपन से ही भारतीय महापुरुषों की कहानिया सुनाया करते थे. आजादी की लड़ाई लड़ने वाले वीरों को हेमू ने अपना आदर्श मान लिया था.भगत सिंह,राजगुरु,सुखदेव की शाहदत के समय हेमू06साल का था.एक बार उनके पिता को किसी क्रांतिकारी से वीर सावरकर का प्रतिबंधित ग्रन्थ "1857-प्रथम स्वातंत्र समर"मिला.पढ़कर वे क्रांतिवीरों की गाथाओं पर चर्चा करते.हेमू भी बहुत ध्यान से उसको सुनता था. 1942का साल भारतीय स्वाधीनता संग्राम में बहुत महत्वपूर्ण है.एक ओर गांधी जी ने"भारतछोडोआन्दोलन" चलाया,दुसरी और सुभाष चन्द्र बोष की"आजाद हिन्द फ़ौज"ने सशस्त्र क्रान्ति कर रखी थी.देश के लाखों युवा उद्देलित थे और वे अपने स्तर पर इन क्रांतिवीरों की मदद में जी जान से लगे हुए थे.हेमू हालांकि क्रांतिकारी विचारों के थे.फिर भी वे अहिंसक सत्याग्रहियों की मदद करते थे.खबर लगी कि- आन्दोलनकारियों को कुचलने के लिए एक पलटन...

22 March Bihar din

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