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Showing posts from January, 2022

31 Jan पूणयतीथी हकीकतराय

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 महज 13 साल की खेलने की उम़ में वीर हकीकतराय को 1734 वसंत पंचमी के दिन लाहोर के बीच चोक पे इस्लाम न स्वीकारते हुऐ सनातन सत्य धमॅ के लिऐ अपना बलिदान दे दिया इस महान बलिदान को हम कैसे भूल सकते हे हम नतमस्तक होकर श्रद्धासुमन अर्पित करते हे

31 Jan जन्मदिन प्रथम परमवीर चक्र विजेता मेजर सोमनाथ शर्मा

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 प्रथम परमवीर चक्र विजेता मेजर सोमनाथ शर्मा* = आपका जन्म 31जन. 1922 को ग्राम डाढ जिला धर्मशाला,(हि.प्र.)में मेजर जनरल अमरनाथ शर्मा के घर हुआ।गाँव से कुछ दूरी पर ही प्रसिद्ध तीर्थस्थल चामुण्डा नन्दिकेश्वर धाम है।सैनिक परिवार से वीरता और बलिदानी कहानियाँ सुनकर बड़े हुए।देशप्रेम की भावना रग रग में थी। प्रारम्भिक शिक्षा नैनीताल में हुई।फिर प्रिन्स अॉफ वेल्स रॉयल इण्डियन मिलट्री कॉलेज,देहरादून से सैन्य प्रशिक्षण लिया.22 फर.1942को इन्हें कुमाऊँ रेजिमेण्ट की चौथी बटालियन में सेकण्ड लेफ्टिनेण्ट पद पर नियुक्ति मिली।इसी साल डिप्टी असिस्टेण्ट क्वार्टर मास्टर जनरल बना,बर्मा के मोर्चे पर भेजा।वहाँ बड़े साहस और कुशलता से अपनी टुकड़ी का नेतृत्व किया. 15अगस्त1947 को भारत स्वतन्त्र होते ही देश का दुखद विभाजन हुआ। जम्मू कश्मीर रियासत के राजा हरिसिंह असमंजस में थे।वे अपने राज्य को स्वतन्त्र रखना चाहते थे।दो महीने इसी कशमकश में बीत गये।इसका लाभ उठा पाक सैनिक-कबाइलियों के वेश में कश्मीर हड़पने के लिए टूट पड़े।वहाँ सक्रिय शेख अब्दुल्ला कश्मीर को अपनी जागीर बनाना चाहते थे।रियासत के भारत में कानूनी विलय ब...

31 Jan पुण्यतिथि 31.01.1981 फक्कड़ एवं मस्त प्रचारक

 पुण्यतिथि 31.01.1981 फक्कड़ एवं मस्त प्रचारक  श्रीगोपीचंदजी अरोड़ा राजस्थान में अपना प्रचारक जीवन बिताने वाले श्री गोपीचंद अरोड़ा का जन्म1923में पंजाब अविभाजित पंजाब में हुआ था* वे स्वयंसेवक भी वहीं बने।विभाजन के दौर की कठिनाइयों के कारण उनकी लौकिक शिक्षा बहुत अधिक नहीं हो सकी.भारत में आकर जब परिवार कुछ स्थिर हो गया,तो वे प्रचारक बन गये.1948में संघ पर प्रतिबंध लगने पर प्रचारकों को वापस जाने को कह दिया गया था।गोपीचंद जी ने अपने बड़े भाई के पास अलवर में रहते हुए एक नौकरी कर ली;पर प्रतिबंध समाप्त होते ही वे फिर प्रचारक बन गये।प्रचारक जीवन में वे चित्तौड़,बाड़मेर, श्रीगंगानगर,अलवर,सिरोही, झुंझनू आदि में विभिन्न दायित्वों पर रहे.1978में वे पाली के सह विभाग प्रचारक तथा1979में विभाग प्रचारक बने।उनकी सबसे बड़ी विशेषता उनका फक्कड़ तथा मस्त स्वभाव था।विभिन्न शिविरों तथा संघ शिक्षा वर्ग आदि में रात में होने वाली विनोद सभा में उनका यह कौशल पूरी तरह प्रकट होता था;पर वे हंसी मजाक करते हुए श्रोताओं को सही दिशा भी दे देते थे.वे मानते थे कि तत्वज्ञान की बजाय मित्रता से लोगों को जोड़ना आसान है...

31 Jan पुण्यतिथि मिनजुर भक्तवत्सलम

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 पुण्यतिथि  मिनजुर भक्तवत्सलम  31.01.1987  प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी और मद्रास प्रांत(अब तमिलनाडु)के पूर्व मुख्यमंत्री थे।मिनजुर भक्तवत्सलम का जन्म 9अक्टूबर 1897को चिंगलपट में हुआ* मद्रास से उन्होंने क़ानून की शिक्षा ली।राजनीति की ओर उनका आकर्षण विद्यार्थी जीवन से ही था और एनी बीसेंट के होमरूल लीग आन्दोलन में और रौलट बिल के विरोध में उन्होंने भाग लिया।उसी समय वे राजगोपालाचारी के संपर्क में आए और गांधी जी के प्रभाव से आन्दोलन में सक्रिय हो गए.1932के सविनय अवज्ञा आन्दोलन में 1940के व्यक्तिगत सत्याग्रह मेंऔर भारत छोड़ोआन्दोलन में उन्होंने जेल की यातनाएं सहीं थी.1937के मद्रास मंत्रिमंडल में भक्तवत्सलम ने सभा सचिव के रूप में प्रवेश किया।फिर वे मंत्री बन गए.1946में टी.प्रकाशूय के मंत्रिमंडल में बाद में राजा जी और कामराज के मंत्रिमंडल में भी वे केबिनेट मंत्री थे। जब कामराज ने"कामराज योजना"के अंतर्गत अपना पद छोड़ा तो भक्तवत्सलम तमिलनाडु के मुख्यमंत्री बने. वे 1967तक इस पद पर रहे।गांधी जी के रचनात्मक कार्यों में विश्वास करने वाले भक्तवत्सलम ने अपने मंत्रित्व और मुख्यमंत्रित्...

31 Jan पुण्यतिथि मेहर बाबा एक भारतीय आध्यात्मिक गुरु

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  मेहर बाबा एक भारतीय आध्यात्मिक गुरु थे, जिन्होंने युग के अवतार, या मानव रूप में भगवान होने का दावा किया था।  20वीं सदी के एक प्रमुख आध्यात्मिक व्यक्ति, उनके लाखों अनुयायी थे, ज्यादातर भारत में, लेकिन संयुक्त राज्य अमेरिका, यूरोप और ऑस्ट्रेलिया में एक महत्वपूर्ण संख्या के साथ।

30 Jan महान सेनानी राणा सांगा / पुण्य तिथि - 30 जनवरी

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 महान सेनानी राणा सांगा / पुण्य तिथि - 30 जनवरी 1528 राणा सांगा का पूरा नाम महाराणा संग्रामसिंह था.  उनका जन्म  12 अप्रैल, 1484  को मालवा, राजस्थान मे हुआ था. राणा सांगा सिसोदिया (सूर्यवंशी राजपूत) राजवंशी थे. राणा सांगा ने विदेशी आक्रमणकारियों के विरुद्ध सभी राजपूतों को एकजुट किया। राणा सांगा अपनी वीरता और उदारता के लिये प्रसिद्ध हुये। एक विश्वासघाती के कारण वह बाबर से युद्ध हारे लेकिन उन्होंने अपने शौर्य से दूसरों को प्रेरित किया। राणा रायमल के बाद सन 1509 में राणा सांगा मेवाड़ के उत्तराधिकारी बने। इन्होंने दिल्ली, गुजरात, व मालवा मुगल बादशाहों के आक्रमणों से अपने राज्य की बहादुरी से ऱक्षा की। उस समय के वह सबसे शक्तिशाली हिन्दू राजा थे। इनके शासनकाल मे मेवाड़ अपनी समृद्धि की सर्वोच्च ऊँचाई पर था। एक आदर्श राजा की तरह इन्होंने अपने राज्य की ‍रक्षा तथा उन्नति की। (शासनकाल 1509 से 1528 ई.)  राणा सांगा अदम्य साहसी थे। एक भुजा, एक आँख खोने व अनगिनत ज़ख्मों के बावजूद उन्होंने अपना महान पराक्रम नहीं खोया, सुलतान मोहम्मद शासक माण्डु को युद्ध मे हराने व बन्दी बनाने के ...

30 Jan पुण्यतिथि भारत के प्रमुख प्रसिद्ध अर्थशास्त्री= जे.सी.कुमारप्पा

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  पुण्यतिथि भारत के प्रमुख प्रसिद्ध अर्थशास्त्री=       जे.सी.कुमारप्पा  30.01.196૦ जे.सी.कुमारप्पा मद्रास में थानजीवर मे4जन.1892 को जन्म हुआ* ये मदुरई के इक़साई परिवार से थे।इनका नाम जोसफ़ चेल्लादुरै कॉर्नेलियस था।मद्रास से अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की।फिर लंदन से एकाउंटेंसी किया।फिर वहीं लंदन में एकाउंटेंट के रूप में काम किया।प्रथम विश्वयुद्ध समाप्ति पर माता के बुलाने पर ये भारत लौटे।बम्बई में एक ब्रिटिश क.में काम किया ।फिर1924में अपना व्यापार किया.जे.सी.कुमारप्पा 1927में फिर उच्च शिक्षा हेतु अमेरिका गये।सायराक्रुज़ विश्वविद्यालय से वाणिज्य,व्यापार प्रबंधन में स्नातक की उपाधि ली।फिर कोलम्बिया विश्वविद्यालय में प्रख्यात अर्थशास्त्री एडविन सेलिग्मन के मार्ग दर्शन में '"सार्वजनिकवित्त एवं भारत की निर्धनता"पर शोध पत्र लिखा जिसमें भारत की आर्थिक दुर्दशा में ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन की नीतियों से हुए नुकसान का अध्ययन किया.तब.कुमारप्पा ने पाया कि भारत की दयनीय आर्थिक स्थिति का मुख्य कारण ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन की अनैतिक और शोषक नीतियाँ हैं।अपने मूल पारिवारिक नाम कुमारप्प...

30 Jan कृष्ठरोग निवारण दिन

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 30 Jan कृष्ठरोग निवारण दिन  कोढ़ को ही कुष्ठ रोग कहा जाता है, जो कि एक जीवाणु रोग है। यह एक दीर्घकालिक रोग है, जो कि माइकोबैक्टिरिअम लेप्राई और माइकोबैक्टेरियम लेप्रोमेटॉसिस जैसे जीवाणुओं की वजह से होता है। कुष्ठ रोग के रोगाणु की खोज 1873 में हन्सेन ने की थी, इसलिए कुष्ठ रोग को 'हन्सेन रोग' भी कहा जाता है।   इस रोग का जिक्र भारतीय ग्रंथों में किया गया है। भारतीय ग्रंथों के अनुसार 600 ईसा पूर्व इस रोग का उल्लेख किया गया है। यह रोग मुख्य रूप से मानव त्वचा, ऊपरी श्वसन पथ की श्लेष्मिका, परिधीय तंत्रिकाओं, आंखों और शरीर के कुछ अन्य भागों को प्रभावित करता है। कुछ लोग कुष्ठ रोग को वंशानुगत या दैवीय प्रकोप मानते है, लेकिन यह रोग न तो वंशानुगत है और न ही दैवीय प्रकोप है, बल्कि यह रोग जीवाणु द्वारा होता है।   यह रोग भारत सहित संपूर्ण विश्व के पिछड़े हुए देशों के लिए एक ऐसी समस्या है, जो कि लाखों लोगों को दिव्यांग बना देता है, लेकिन पश्चिमी देशों में इस रोग का प्रभाव न के बराबर है। भारत देश में भी इस रोग पर काफी नियंत्रण किया जा चुका है। जिन कुष्ठ रोगियों को समाज धिक्कारता है,...

30 Jan पुण्यतिथि महात्मा गांधी जी 30.01.1948

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 पुण्यतिथि  महात्मा गांधी जी 30.01.1948  मोहनदास करमचन्द गांधी का जन्म02अक्टूं.1869 को पोरबन्दर(गुजरात)में हुआ.* पिता करमचन्द गांधी पोरबन्दर और राजकोट के शासक के दीवान रहे।माँ धर्मप्रेमी थीं।रामायण,महाभारत आदि ग्रन्थों का पाठ करती थीं।मन्दिर जाते समय अपने साथ मोहनदास को ले जाती।इसका बालक मोहनदास के मन पर बहुत प्रभाव पड़ा।बचपन में गांधी जी ने श्रवण की मातृ-पितृ भक्ति,राजा हरिश्चन्द्र नाटक से मात-पिता की आज्ञा पालन तथा सदा सत्य बोलने का व्रत लिया.13वर्ष की आयु में ही शादी कस्तूरबा से हुई।विवाह के बाद भी गांधी जी ने पढ़ाई चालू रखी।जब उन्हें ब्रिटेन जाकर कानून की पढ़ाई का अवसर मिला।माँ ने उन्हें शराब और माँसाहार से दूर रहने की प्रतिज्ञा दिलायी।गांधीजी नेआजीवन इस व्रत का पालन किया।कानून की पढ़ाई पूरी कर वे भारत आ गये;यहां वकालत कुछ विशेष नहीं चल पायी।गुजरात के कुछ सेठअफ्रीका से व्यापार करते थे।उनमें से एक दादा अब्दुल्ला के वहाँ कई व्यापारिक मुकदमे चल रहे थे।उन्होंने गांधी जी को उनकी पैरवी के लिए अपने खर्च पर अफ्रीका भेजा।वहां उन्हें कई कटु अनुभव हुए।वहाँ भी भारत की तरह अंग्रेज...

30 Jan जन्मदिवस साहित्यकार जयशंकर प्रसाद

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  जन्मदिवस साहित्यकार जयशंकर प्रसाद  30.01.1889  तिथिअनुसार वि.सं.1946 की माघ शुक्ला दशमी को हिंदीके.मूर्धन्यसाहित्यकारजयशंकर प्रसाद जी का जन्म दिवस है.पर दिनांक अनुसार उनका जन्म-30. 01.1889.को वाराणसी काशी में हुआ* पिताजी देबी प्रसाद जी भी इन्हें छोड़ जल्दी चले गये।बड़े भाई शम्भूनाथ ने इनको पाला व पढ़ाई कराई।पर वे भी जल्दी चले गये।सो शिक्षा अधूरी रही।गृहस्थी संभालते हुये घर पर ही हिंदी,संस्कृत,उर्दू, फारसी का गहन अध्ययन किया। *तीन शादियां की, पर तीनों ही पत्निया चल बसी.अर्थसंकट,पत्नि वियोग से रोगी हुए.वे 14. 01.1937को चल बसे।वे छायावाद के प्रवर्तक थे।उनकी प्रमुख रचना= "कामायनी"थी.अन्य= आंसू,लहर,झरना,व स्कंद गुप्त,अजातशत्रु,चंद्रगुप्त थी.सादर वंदन.सादर नमन.

29 Jan संघ के चतुर्थ सरसंघचालक प्रो. राजेन्द्र सिंह (रज्जू भैया) - जन्म दिवस

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 संघ के चतुर्थ सरसंघचालक प्रो. राजेन्द्र सिंह (रज्जू  भैया) -  जन्म दिवस / 29 जनवरी, 1922 राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के चतुर्थ सरसंघचालक प्रो. राजेन्द्र सिंह का जन्म 29 जनवरी, 1922 को ग्राम बनैल (जिला बुलन्दशहर, उत्तर प्रदेश) के एक सम्पन्न एवं शिक्षित परिवार में हुआ था। उनके पिता कुँवर बलबीर सिंह  अंग्रेज शासन में पहली बार बने भारतीय मुख्य अभियन्ता थे। इससे पूर्व इस पद पर सदा अंग्रेज ही नियुक्त होते थे। राजेन्द्र सिंह को घर में सब प्यार से रज्जू कहते थे। आगे चलकर उनका यही नाम सर्वत्र लोकप्रिय हुआ। रज्जू भैया बचपन से ही बहुत मेधावी थे। उनके पिता की इच्छा थी कि वे प्रशासनिक सेवा में जायें। इसीलिए उन्हें पढ़ने के लिए प्रयाग भेजा गया; पर रज्जू भैया को अंग्रेजों की गुलामी पसन्द नहीं थी। उन्होंने प्रथम श्रेणी में एम-एस.सी. उत्तीर्ण की और फिर वहीं भौतिक विज्ञान के प्राध्यापक हो गये। उनकी एम-एस.सी. की प्रयोगात्मक परीक्षा लेने नोबेल पुरस्कार विजेता डा. सी.वी.रमन आये थे। वे उनकी प्रतिभा से बहुत प्रभावित हुए तथा उन्हें अपने साथ बंगलौर चलकर शोध करने का आग्रह किया; पर रज्जू भैया के ...

29 Jan *जन्म-दिवस=भारत सेवाश्रम संघ के संस्थापक स्वामी प्रणवानंद

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 🕉हर दिन विशेष पावन= *जन्म-दिवस=भारत सेवाश्रम संघ के संस्थापक स्वामी प्रणवानंद*= स्वामी प्रणवानन्द जी का जन्म 29जन.1896(माघ पूर्णिमा)को ग्राम बाजिदपुर ,जिला फरीदपुर बांग्लादेश में हुआ.पिता विष्णुचरण दास,माता शारदा देवी शिवभक्त थे।सन्तान न होने पर शिव जी से प्रार्थना की।भोले शंकर ने माता को स्वप्न में दर्शन देकर स्वयं उनके पुत्र रूप में आने की बात कही। बुधवार को जन्म लेने के कारण उन्हें बुधो कहा जाने लगा।जन्म के समय बालक रोया नहीं।वह किसी की गोद में नहीं जाता था,भूख लगने पर भी चुप रहता था।सबको चिन्ता हुई कि लड़का कहीं गूँगा-बहरा तो नहीं है।वे लोग नहीं जानते थे कि इस आयु में भी शिशु पाँच छह घण्टे ध्यान करता है।कुछ बड़े होने पर वे गायब हो जाते थे,खोजने पर बाग में पेड़ के नीचे ध्यानरत मिलते।कभी-कभी वे मिट्टी का शिवलिंग बना कर उसे पूजते।उनका नाम विनोद रखा।वे बड़े होते गये, उनके ध्यान का समय भी बढ़ता गया।माता-पिता ने उन्हें गाँव की पाठशाला में भर्ती कराया;वहाँ भी वे ध्यानमग्न ही रहतेे।फिर उन्हें एक अंग्रेजी विद्यालय में भेजा।वे कक्षा में अन्तिम पंक्ति में बैठते थे,नाम पुकारने पर ऐसे बोल...

*29 जन.1528,चन्देरी (म.प्र.)जौहर दिवस,पर वीरांगनाओं नमन

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 🕉 *हर दिन विशेष पावन*= *29 जन.1528,चन्देरी (म.प्र.)जौहर दिवस,पर वीरांगनाओं को शत शत नमन।गाथा=चन्देरी युद्ध व रानी मणिमाला और 1500 सतियों के जौहर की।*= चन्देरी के इतिहास में हिन्दू क्षत्रिय वीरों में मेदिनीराय और बाबर का युद्ध प्रसिद्ध है।इस युद्ध में प्रज्जवलित ज्वालाएँ आज भी चन्देरी के ऐतिहासिक में धधक रहीं हैं।मेदिनीराय का वास्तविक नाम रायचन्द था,जिन्हें राणासांगा ने मेदिनीराय की उपाधि से सम्मानित किया।तभी से रायचन्द मेदिनीराय से विख्यात हुए.27जन. 1528की सुबह होने वाली थी।सूर्योदय के साथ ही रणवाद्य बजने लगे। कीर्तिदुर्ग के प्रहरी सजग हो गये।उत्तर दिशा से धूल का बवंडर चन्देरी की ओर बढ़ा चला आ रहा था। महाराजा मेदिनीराय ने चारों ओर निरीक्षण किया-चन्द्रगिरि को बाबर की तापों से सज्जित सेना ने चारों ओर से घेर लिया है। प्रहरी ने राजा मेदिनीराय को सूचना दी कि तुर्क सैनिक बाबर का पत्र लेकर आया है।मेदिनीराय ने पत्र लेकर पढ़ा=तुम राणासांगा की मित्रता को त्याग मेरे मातहत(गुलाम)बन जाओ ।मैं तुम्हें एक दिन का अवसर देता हूँ।खानवा के युद्ध में तुम देख चुके हो। समय रहते समझ जाना। अपनी अक्ल से का...

28 Jan पंजाब केसरी लाला लाजपत राय / जन्म दिवस

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  पंजाब केसरी लाला लाजपत राय / जन्म दिवस - 28 जनवरी पंजाब केसरी लाला लाजपत राय  भारतीय स्वतंत्रता अभियान के मुख्य नेता के रूप में याद किये जाते है. लाल-बाल-पाल की त्रिपुटी में लाल मतलब लाला लाजपत राय ही है. लाला लाजपत राय का जन्म 28 जनवरी 1865 को धुडिके ग्राम में (मोगा जिला, पंजाब) हुआ. वे आर्य समाज के भक्त और आर्य राजपत्र (जब वे विद्यार्थी थे तब उन्होंने इसकी स्थापना की थी) के संपादक भी थे. सरकारी कानून(लॉ) विद्यालय, लाहौर में कानून (लॉ) की पढाई पूरी करने के बाद उन्होंने लाहौर और हिस्सार में अपना अभ्यास शुरू रखा और राष्ट्रिय स्तर पर दयानंद वैदिक स्कूल की स्थापना भी की, जहा वे दयानंद सरस्वती जिन्होंने हिंदु सोसाइटी में आर्य समाज की पुनर्निर्मिति की थी, उनके अनुयायी भी बने. और भारतीय राष्ट्रिय कांग्रेस मे शामिल होने के बाद, उन्होंने पंजाब के कई सारे राजनैतिक अभियानों में हिस्सा लिया. मई 1907 में अचानक ही बिना किसी पूर्वसूचना के मांडले, बर्मा (म्यांमार) से उन्हें निर्वासित (देश से निकाला गया) किया गया. वही नवम्बर में, उनके खिलाफ पर्याप्त सबूत ना होने की वजह से वाइसराय, लार्ड मिन...

28 Jan प्रसिद्ध वैज्ञानिक राजा रमन्ना का जन्म

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 प्रसिद्ध वैज्ञानिक राजा रमन्ना का जन्म 28 जनवरी, 1925 को हुआ था।  राजा रमन्ना एक भारतीय परमाणु वैज्ञानिक थे जिन्होंने भारत के परमाणु कार्यक्रम के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वे सन 1974 में भारत के पहले परमाणु परिक्षण (स्मायिलिंग बुद्धा) करने वाले वैज्ञानिक दल के मुखिया भी थे।

28 jan = जन्म दिवस=फिल्ड मार्शल कोंडडेरा मडप्पा करिअप्पा(के.एम.करिअप्पा)

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 🕉 *हर दिन विशेष = जन्म दिवस=फिल्ड मार्शल कोंडडेरा मडप्पा करिअप्पा(के.एम.करिअप्पा)*= के एम् करिअप्पा का जन्म - 28जन.1899को कर्नाटक के पूर्ववर्ती कूर्ग में शनिवर्सांथि स्थान पर हुआ ।इसको अब‘कुडसुग’नाम से जानते हैं।पिता कोडंडेरा माडिकेरी में एक राजस्व अधिकारी थे।वे परिवार सहित लाइम कॉटेज में रहते थे।उनके तीन भाई, दो बहनें थीं।इनको घर के सभी लोग प्यार से‘चिम्मा’ कहते थे।करिअप्पा की शिक्षा माडिकेरी के सेंट्रल हाई स्कूल में हुई।पढ़ाई में बहुत अच्छे थे,गणित,चित्रकला प्रिय विषय थे। फुरसत में वह कैरीकेचरी बनाया करते थे.1917में स्कूली शिक्षा के बाद,इसी वर्ष,मद्रास के प्रेसीडेंसी कालेज में प्रवेश लिय़ा। कालेज जीवन में प्राध्यापक डब्लू.एच. विट्वर्थ व शिक्षक एस.आई.स्ट्रीले का उनपर गहरा प्रभाव पड़ा।इनके मार्गदर्शन में किताबों के प्रति लगाव बढ़ता गया। होनहार छात्र के साथ,वह क्रिकेट,हॉकी,टेनिस के भी अच्छे खिलाड़ी रहे।कॉलेज की शिक्षा पूरी करने के बाद ही उनका चयन सेना में अधिकारी के तौर पर हो गया.1947 में भारत-पाक युद्ध के समय उन्हें पश्चिमी कमान का जी-ओ-सी-इन-सी बनाया.उनके नेतृत्व में ज़ोजिल्ला,द...

8 Jan स्मरणीय दिवस 28.01.1898 स्वामी विवेकानंद जी की स्नेही शिष्या आगमन

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 स्मरणीय दिवस  28.01.1898  स्वामी विवेकानंद जी की स्नेही शिष्या"=" “भगिनि निवेदिता"जी का भारत आगमन  दि०28जनवरी1898 को हुआ.पूज्य महान आत्मा को सादर वंदन.सादर नमन

8 Jan जन्मदिवस बालगोकुलम् संस्थापक प्रचारक एम.ए.कृष्णन 28.01.1928

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 जन्मदिवस बालगोकुलम् संस्थापक  प्रचारक एम.ए.कृष्णन 28.01.1928 जन्मदिवस बालगोकुलम् संस्थापक  प्रचारक एम.ए.कृष्णन 28.01.1928 एम.ए.कृष्णन का जन्म कोल्लम जिले के एक गांव में28जन.1928को हुआ.* अध्ययन,अध्यापन और संस्कृत में रुचि होने के कारण संस्कृत की सर्वोच्च परीक्षा"महोपाध्याय"पास कर वे संस्कृत के शिक्षक बने।महाराजा संस्कृत विद्यालय, त्रिवेन्द्रम में पढ़ते समय उनका सम्पर्क राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से हुआ,जो बढ़ता ही गया।फिर उन्होंने नौकरी छोड़ प्रचारक जीवन अपना लिया।अपने परिश्रम से केरल के कई जिलों में संघ का काम खड़ा किया।उनकी रुचि अध्ययन,अध्यापन के साथ ही लेखन में भी थी.1964में उन्हें कोझीकोड से मलयालम भाषा में प्रकाशित होने वाले साप्ताहिक समाचार पत्र"केसरी"के मुख्य सम्पादक की जिम्मेदारी दी गयी।इस दौरान उन्होंने केरल में हो रहे सामाजिक व राजनीतिक परिवर्तन के बारे में राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य को ध्यान में रखकर विविध सामग्री प्रकाशित की।इससे केसरी की लोकप्रियता बढ़ने लगी। उन्होंने केरल के सभी प्रतिष्ठित लेखकों की रचनाएं केसरी में प्रकाशित कर उन्हें भी हिन्दुत्व की मुख्य धा...

28 Jan जन्मदिन Vidya Niwas Mishra

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 जन्मदिन २८.१.१९२६   Vidya Niwas Mishra  (28 January 1926 – 14 February 2005) was an Indian scholar, a Hindi-Sanskrit littérateur, and a journalist. He was honoured with  Padma Bhushan .

27 Jan जन्मदिन पंडित सीताराम चतुर्वेदी- 27

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 पंडित सीताराम चतुर्वेदी (अंग्रेज़ी: Pandit Sitaram Chaturvedi, जन्म- 27 जनवरी, 1907 ; मृत्यु- 17 फ़रवरी, 2005) हिन्दी के प्रसिद्ध साहित्यकार और पत्रकार थे। इन्होंने ‘हनुमत चरित’ पर सर्वप्रथम मौलिक कृति की रचना की थी। ‘कालिदास ग्रंथावली’ सीताराम चतुर्वेदी का एक अनूठा एवं साहसिक प्रयास था। वर्ष 1933 से 1938 तक ये 'सनातन धर्म' के सम्पादक एवं मदनमोहन मालवीय के निजी सचिव रहे थे। सीताराम चतुर्वेदी जी ने 250 से भी अधिक ग्रंथों की रचना की थी।

27 Jan जन्मदिन रघुनाथ कृष्ण फडके

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 जन्मदिन २७.१.१८८४ रघुनाथ कृष्ण फडके (१८८४–१९७२) एक भारतीय कलाकार थे जो मूर्तिकला के लिए प्रसिद्ध थे।[2] उन्हें कला के क्षेत्र में १९६१ में भारत सरकार ने पद्म श्री से पुरस्कृत किया

27 Jan जन्मदिन राधाबिनोद पाल

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 राधाबिनोद पाल (27 जनवरी 1886 – 10 जनवरी 1967) भारत के अंतरराष्ट्रीय ख्याति के विधिवेत्ता और न्यायाधीश थे। उन्होंने द्वितीय महायुद्ध के बाद जापान द्वारा सुदूर पूर्व में किए गये युद्धापराधों के विरुद्ध चलाए गए अंतरराष्ट्रीय मुकदमे में वे भारतीय जज थे। ११ जजों में वे अकेले थे जिन्होने निर्णय दिया कि सभी निर्दोष हैं। न्यायमूर्ति राधाबिनोद पाल उन्होंने युद्धबंदियों पर मुकदमा चलाने को विजेता की जबर्दस्ती बताते हुए सभी युद्धबंदियों को छोड़ने का फैसला दिया था। जापान के राष्ट्रवादी लोग राधाबिनोद पाल को बहुत चाहते हैं । इसके विपरीत बहुत से भारतीय इतिहासविदों की राय है कि उनका रवैया वास्तव में उपनिवेशवाद के खिलाफ था, उन्हें जापान के युद्ध अपराधियों से कोई खास सरोकार नहीं था। किंतु इस तथ्य को भी नकारा नहीं जा सकता कि वे बचपन से ही जापान से बड़े प्रभावित थे, और उसे इकलौता ऐसा एशियाई देश मानते थे, जो पश्चिम की दादागिरी का जवाब देना जानता था। जापान के यासुकुनी मंदिर तथा क्योतो के र्योजेन गोकोकु देवालय में न्यायमूर्ति राधाविनोद के लिए विशेष स्मारक निर्मित किए गये हैं।

27 Jan जन्मदिवस 27.01.1894 वनों के रक्षक निर्मल मुण्डा

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 जन्मदिवस 27.01.1894  वनों के रक्षक निर्मल मुण्डा निर्मल मुण्डा का जन्म 27जन.1894को ग्राम बारटोली,गंगापुर स्टेट, उड़ीसा में हुआ.* पिता मोराह मुण्डा ग्राम प्रधान थे।पूरा गाँव उनका आदर करता।निर्मल की शिक्षा रायबोगा स्कूल में हुई।फिर उन्हें राजगंगापुर के लूथेरियन मिशन स्कूल,फिर राँची के गोसनर स्कूल में भेज दिया।कक्षा दस में पढ़ते समय प्रथम विश्व युद्ध छिड़ गया।निर्मल सेना में भर्ती होकर फ्रान्स लड़ने चले गये।युद्ध बाद उन्होंने वीरमित्रतापुर लाइम स्टोन कम्पनी में नौकरी की।एक बार बिना भूल के,अंग्रेज अधिकारी ने डाँटा,तो वे नौकरी छोड़ अपने क्षेत्र को शिक्षित बनाने का संकल्प लेकर गाँव में रहने लगे।अंग्रेजों से पूर्व इस वनवासी क्षेत्र पर स्थानीय राजाओं और जमीदारों का अधिकार था।यद्यपि वे भी जंगल से कमाई करते थे;पर वे पर्यावरण सन्तुलन बनाकर रखते थे।पर अंग्रेजों का उद्देश्य अधिक धन कमाकर अपने देश भेजना था।वे इस क्षेत्र पर कब्जा भी करना चाहते थे,ताकि उनकी लूट को कोई रोक न सके।इसी उद्देश्य से अंग्रेजों ने इसके लिए मुखर्जी समिति बनायी, जिसके बनाये नियम‘ मुखर्जी सेटलमेण्ट’कहे गये।इससे पूर्व 1...

27 Jan पुण्यतिथ27.1.1989 शौर्य एवं पराक्रम की कविताओं के लेखक श्यामनारायणपाण्डेय

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 पुण्यतिथ27.1.1989  शौर्य एवं पराक्रम की कविताओं के लेखक श्यामनारायणपाण्डेय======* रण बीच चौक है।भर-भर कर,चेतक बन गया निराला था।।राणा प्रताप के घोड़े से,पड़ गया हवा का पाला था।। ऐसी सैकड़ों कविताओं के *लेखक पं.श्याम नारायण पांडेय का जन्म ग्राम डुमरांव(जिला आजमगढ़, उ0प्र0)में 1910में हुआ* पिता श्री रामाज्ञा पांडे अबोध शिशु को अपने अनुज विष्णुदत्त की गोद में डालकर असमय स्वर्ग सिधार गये।श्याम नारायण कई संस्कृत पाठशालाओं में पढ़,माधव संस्कृत महाविद्यालय,काशी में आचार्य नियुक्त हुए। युवावस्था में वे कवि सम्मेलनों के शीर्षस्थ कवि थे।उनकी शौर्यपूर्ण कविताएं सुनने के लिए श्रोता मीलों पैदल चल कर आते.1939में रचित उनकी प्रसिद्ध कविता ‘हल्दीघाटी’तत्कालीन विद्यार्थी और स्वाधीनता सेनानियों की कंठहार थी।जौहर,तुमुल,जय हनुमान,शिवाजी,भगवान परशुराम,माधव,आरती, रिमझिम,आदि उनके प्रसिद्ध काव्यग्रन्थ हैं।पांडे जी में एकमात्र कमी यह थी कि उन्होंने कभी सत्ताधीशों की चाकरी नहीं की।वे खरी बात कहना और सुनना पसंद करते थे।रा.स्व.संघ के संस्थापक डा0 हेडगेवार के लिये लिखा= केशव तुमको शत-शत प्रणाम।।आदमी की मूर...

26 Jan राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और 1963 का गणतंत्र दिवस

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 राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और 1963 का गणतंत्र दिवस========                                                                सेना की मदद के लिए देश भर से संघ के स्वयंसेवक उत्साह से सीमा पर पहुंचे, उसे पूरे देश ने देखा और सराहा.स्वयंसेवकों ने सरकारी कार्यों में और विशेष रूप से जवानों की मदद में पूरी ताकत लगा दी-सैनिक आवाजाही मार्गों की चौकसी,प्रशासन की मदद,रसद,आपूर्ति में मदद,यहां तक कि शहीदों के परिवारों की भी चिंता. जवाहर लाल नेहरू को 1963 में 26जनवरी की परेड में संघ को शामिल होने का निमंत्रण देना पड़ा.परेड करने वालों को आज भी महीनों तैयारी करनी होती है, लेकिन मात्र दो दिन पहले मिले निमंत्रण पर 3200 स्वयंसेवक पूर्ण गणवेश में उपस्थित हो गए.निमंत्रण दिए जाने की आलोचना होने पर नेहरू ने कहा-“यह दर्शाने के लिए कि केवल लाठी के बल पर भी सफलतापूर्वक बम और चीनी सशस्त्र बलों से लड़ा सकता है,विशेष रूप से 1963के गणतंत्र दिवस परेड में भाग ले...

26 Jan जन्मदिवस स्वतन्त्रता सेनानी,नागाओं की रानी रानी मां गाइडिन्ल्यू

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 जन्मदिवस स्वतन्त्रता सेनानी,नागाओं की रानी  रानी मां गाइडिन्ल्यू  26.01.1915  गाइडिन्ल्यू का जन्म 26जन.1915को नागाओं की रांगमेयी जनजाति में हुआ.* केवल 13वर्ष की आयु में अपने चचेरे भाई जादोनांग से प्रभावित हुई. जादोनांग प्रथम विश्व युद्ध में लड़ चुके थे।युद्ध के बाद अपने गाँव आकर उन्होंने तीन नागा कबीलों जेमी, ल्यांगमेयी,रांगमेयी में एकता स्थापित करने हेतु"हराका" पन्थ की स्थापना की।फिर तीनों सामूहिक रूप से जेलियांगरांग कहलाये।इसके बाद वे अपने क्षेत्र से अंग्रेजों को भगाने के प्रयास में लगे।  इससे अंग्रेज नाराज हुए। *उन्होंने जादोनांग को 29 अगस्त1931को फाँसी दे दी;* नागाओं ने गाइडिन्ल्यू के नेतृत्व में संघर्ष जारी रखा,अंग्रेजों ने आंदोलनरत गाँवों पर सामूहिक जुर्माना लगाकर उनकी बन्दूकें रखवा लीं.17वर्षीय गाइडिन्ल्यू ने इसका विरोध किया।वे अपनी नागा संस्कृति को सुरक्षित रखना चाहती थीं।हराका का अर्थ भी शुद्ध एवं पवित्र है।उनके साहस एवं नेतृत्व क्षमता को देखकर लोग उन्हें देवी मानने लगे।अब अंग्रेज गाइडिन्ल्यू के पीछे पड़ गये।उन्होंने गाँवों में उनके चित्र वाले पोस्टर द...

24 Jan पुण्यतिथि भीमसेन जोशी

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24 Jan भा रत के परमाणु उर्जा कार्यक्रम के प्रणेता होमी जहांगीर भाभा पूण्य तिथि -

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 भा रत के परमाणु उर्जा कार्यक्रम  के प्रणेता होमी जहांगीर भाभा पूण्य तिथि - 24 जनवरी होमी जहांगीर भाभा  भारत के एक प्रमुख वैज्ञानिक और स्वप्नदृष्टा थे जिन्होंने भारत के परमाणु उर्जा कार्यक्रम की कल्पना की थी। उन्होने मुट्ठी भर वैज्ञानिकों की सहायता से मार्च 1944 में नाभिकीय उर्जा पर अनुसन्धान आरम्भ किया। उन्होंने नाभिकीय विज्ञान में तब कार्य आरम्भ किया जब अविछिन्न शृंखला अभिक्रिया का ज्ञान नहीं के बराबर था और नाभिकीय उर्जा से विद्युत उत्पादन की कल्पना को कोई मानने को तैयार नहीं था।उन्हें 'आर्किटेक्ट ऑफ इंडियन एटॉमिक एनर्जी प्रोग्राम' भी कहा जाता है। भाभा का जन्म मुम्बई के एक सभ्रांत पारसी परिवार में हुआ था।  उनकी कीर्ति सारे संसार में फैली। भारत वापस आने पर उन्होंने अपने अनुसंधान को आगे बढ़ाया। भारत को परमाणु शक्ति बनाने के मिशन में प्रथम पग के तौर पर उन्होंने 1945 में मूलभूत विज्ञान में उत्कृष्टता के केंद्र टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (टीआइएफआर) की स्थापना की। डा. भाभा एक कुशल वैज्ञानिक और प्रतिबद्ध इंजीनियर होने के साथ-साथ एक समर्पित वास्तुशिल्पी, सतर्क नि...

24 Jan राष्ट्रीय बालिका दिवस

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  राष्ट्रीय बालिका दिवस भारत में हर साल 24 जनवरी को मनाया जाता है। इसकी शुरुआत महिला एवं बाल विकास, भारत सरकार ने 2008 में की थी। इस दिन को विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है, जिसमें सेव द गर्ल चाइल्ड, चाइल्ड सेक्स रेशियो, और बालिकाओ के लिए स्वास्थ्य और सुरक्षित वातावरण बनाने सहित जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करना शामिल है।

24 Jan International Education Day:

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 International Education Day: यह माना जाता है कि शिक्षा एक मानवीय अधिकार है और एक सार्वजनिक जिम्मेदारी भी है. शिक्षा का महत्‍व दुनियाभर में पहुंचाने के लिए हर साल 24 जनवरी को अंतर्राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के रूप में मनाया जाता है.

24 Jan जनमदिवस क्रान्ति कथाओं के लेखक वचनेश त्रिपाठी

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 जनमदिवस  क्रान्ति कथाओं के लेखक   वचनेश त्रिपाठी= ======== ========(24.01.1914)======            24जन.1914को संडीला (जिला हरदोई,उ.प्र.)में श्री महावीर प्रसाद त्रिपाठी के घर में जन्मे वचनेश जी का असली नाम पुष्करनाथ था* उनकी शिक्षा कक्षा बारह से आगे नहीं हो पायी; पर व्यावहारिक ज्ञान के वे अथाह समुद्र थे।उन्होंने कई जगह काम किया;उग्र स्वभाव और खरी बात के धनी होने के कारण कहीं टिके नहीं।अटल बिहारी वाजपेयी जब संघ के विस्तारक होकर संडीला भेजे गये,तो वे वचनेश जी के घर पर ही रहते थे।लखनऊ से जब मासिक राष्ट्रधर्म, साप्ताहिक पांचजन्य और दैनिक स्वदेश का प्रकाशन प्रारम्भ हुआ,तो इन सबका काम अटल जी पर ही था।उन्होंने वचनेश जी की लेखन प्रतिभा को पहचान कर उन्हें लखनऊ बुला लिया.1960में वे तरुण भारत के सम्पादक बने.1967से73तथा1975 से 84तक वे राष्ट्रधर्म के तथा 1973से75तकपांचजन्य के सम्पादक रहे.क्रान्तिकारी इतिहास में अत्यधिक रुचि के कारण वे जिस भी पत्र में रहे,उसके कई‘"क्रान्ति विशेषांक’"निकाले,जो अत्यधिक लोकप्रिय हुए।  वचनेश जी ने अनेक पुस्तकें लिखीं।कहानी...

24 Jan पुण्यतिथि वनवासी कल्याण आश्रम के स्तम्भ भीमसेन चोपड़ा

 पुण्यतिथि  वनवासी कल्याण आश्रम के स्तम्भ  भीमसेन चोपड़ा  24.01.2003 श्री भीमसेन चोपड़ा वनवासी कल्याणआश्रम के प्रारम्भिक स्तम्भों में से एक थे.1953से 1964तक कल्याण आश्रम की बाल्यावस्था में उन्होंने इसके आर्थिक पक्ष को मजबूती से संभाला. *भीमसिंह चोपड़़ा का जन्म लाहौर के पास सरगोधा में-1928में हुआ* परिवार मूलतःडेरा इस्माइल खां पाकिस्तान का निवासी था.पिता एक ठेकेदार के साथ काम करते थे.1943में भीमसेन जी ने मैट्रिक की परीक्षा पास की.1946में बड़े भाई का अपनी नौकरी के चलते जबलपुर(म.प्र.)में ट्रांफर हुआ।पूरा परिवार भी यहां आ गया।जबलपुर में सरकारी नौकरी करते हुए ही भीमसेनजी संघकेस्वयंसेवक बने।विभाग प्रचारक श्री यादवराव का उनके मन पर विशेष प्रभाव पड़ा.1948में संघ प्रतिबंध के विरुद्ध भीमसेन जी ने भी सत्याग्रह किया.जेल से आकर नौकरी छोड़ दी. *1949में वे प्रचारक बने.* पहले उन्हें सरगुजा(छत्तीसगढ़)भेजा. वनवासी बहुल सरगुजा रियासत का विलय 1948में भारत में हुआ।यहां ईसाई मिशनरियों का काम बहुत सघन था।भीमसेनजी ने अम्बिकापुर को केन्द्र बना काम शुरू किया।तब वनवासियों की समस्याएं तथा ईसाई क...

24 Jan पुण्यतिथि -संघ के वरिष्ठतम प्रचारक श्रद्धेय पूज्य धनप्रकाशजी त्यागी

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 पुण्यतिथि -संघ के वरिष्ठतम प्रचारक  श्रद्धेय पूज्य धनप्रकाशजी त्यागी 24.01.2020 आपने10जन.2020को ही 103वर्ष की आयु पूर्ण की. संघ के सह सरकार्यवाह माननीय दत्तात्रेय जी होसबोले ने उनके जन्मदिन पर उनको माल्यार्पण कर शाल भेंट किया था।धनप्रकाश जी भाईसाहब.24जन.2020 को सांयकाल चार बजे अपनी जीवनलीला समेटकर परमत्व में विलीन हो गये।25जन.2020को प्रातः9.30बजे संघ कार्यालय-भारती भवन से अंतिम यात्रा प्रारंभ होकर चांदपोल शमशान घाट पर गई थी.                                श्रीधनप्रकाशजीत्यागी का जीवन परिचय=🙏🙏🙏🙏🙏🙏                                      श्री धनप्रकाश जी त्यागी का जन्म10जन.1918को उत्तरप्रदेश के मुजफ्फर नगर जिला मे स्थित मएहपुरा गांव में हुआ. पिता पं.सालिगराम त्यागी बडे दयालू,ईमानदार तथा हिन्दू धर्म में प्रबल आस्था रखने वाले व्यक्ति थे.पिता के व्यक्तित्व का प्रभाव धनप्रकाश जी पर गहरा पडा।धनप्रकाश जी ने उ...

24 Jan न्मदिवस पुलिन बिहारी दास पुलिन बिहारी दास का जन्म

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 ज न्मदिवस पुलिन बिहारी दास पुलिन बिहारी दास का जन्म  24जन.1877को बंगाल के फ़रीदपुर ज़िले में लोनसिंह नामक गाँव मे हुआ* पिता नबा कुमार दास मदारीपुर के सब-डिविजनल कोर्ट में वकील थे।एक चाचा डिप्टी मजिस्ट्रेट,एक मुंसिफ थे।फ़रीदपुर ज़िला स्कूल से प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की. उच्च शिक्षा हेतु ढाकाकॉलेज में प्रवेश लिया।फिरलेबोरटरी असिस्टेंट व निदर्शक बने. उन्हें शारीरिक संवर्धन का बहुत शौक था,वह बहुत अच्छी लाठी चला लेते थे।कलकत्ता में सरला देवी के अखाड़े की सफलता से प्रेरित हो-1903-तिकतुली में अपना अखाड़ा खोल लिया.1905में उन्होंने मशहूर "'लठियल"'(लाठी चलाने में माहिर)"मुर्तजा" से लाठी खेल व घेराबंदी का प्रशिक्षण लिया।सित.1906में बिपिन चन्द्र पाल प्रमथनाथ मित्र- पूर्वी बंगाल और असम के नए बने प्रान्त का दोरा करने गए।वहां प्रमथ नाथ ने जब अपने भाषण के दोरान जनता से आह्वान किया कि'जो लोग देश के लिए अपना जीवन देने को तैयार हैं,वह आगे आयें'तो पुलिन बिहारी दास तुरंत आगे बढ़ गए।बाद में उन्हें "अनुशीलन समिति'"की ढाका इकाई का दायित्व भी सौंपा.अक्टूबर मे...

23 Jan मोहन सेन क्रांतिकारी पुण्यतिथि

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 🕉दिन विशेष=पुण्य-तिथि= *नरेन्द्र मोहन सेन=जन्म-13अगस्त, 1887,जलपाईगुड़ी,पश्चिम बंगाल;तथा मृत्यु-23 जन.1963, वाराणसी,उ.प्र.)में.भारत के प्रसिद्ध क्रांतिकारियों में से एक।अपनी शिक्षा बीच में ही छोड़ ये 'अनुशीलन समिति'में शामिल हुए।'बारीसाल षड़यंत्र केस'में नरेन्द्र मोहन सेन को गिरफ़्तार किया,और फिर 1914 में नजरबंद कर दिया* प्रसिद्ध क्रांतिकारी नरेन्द्र मोहन सेन का जन्म 13 अगस्त,1887में प.बंगाल के जलपाईगुड़ी में हुआ. बचपन में इन्हें विख्यात क्रांतिकारी'अनुशीलन समिति'के नेता पुलिन बिहारी दास के घर पर पढ़ने का अवसर मिला.यहीं से उनमें देशभक्ति की भावना का संचार हुआ। 'ढाका मेडिकल स्कूल'में द्वितीय वर्ष की पढ़ाई छोड़ ये क्रांतिकारी'अनुशीलन समिति'में सम्मिलित हो गए।अपने साहसपूर्ण व्यवहार से नरेन्द्र मोहन सेन को समिति में प्रमुखता मिली और उनका घर क्रांतिकारियों काअड्डा बना .1909में अंग्रेज़ सरकार ने समिति को ग़ैर क़ानूनी घोषित कर दी।समिति के सदस्यों पर'ढाका षड़यंत्र केस'के नाम से मुक़दमा चला।अनेक लोगों को सजाएँ हुई।इसमें नरेन्द्र मोहन सेन पुलिस क...

23 Jan भारत के अग्रणी स्वाधीनता संग्राम सेनानी सुरेन्द्र साए का जन्म

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 भारत के अग्रणी स्वाधीनता संग्राम सेनानी सुरेन्द्र साए का जन्म 23  जनवरी 1809 को हुआ था. 1857 के संग्राम से 30 वर्ष पूर्व ही उन्होने ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध ‘उलगुलान’ (आन्दोलन) आरम्भ किया था। उनका सम्पूर्ण जीवनकाल 76 वर्ष का था जिसमें से 36 बर्ष का समय उन्होने कारागार में बिताया था।

23 Jan नेताजी सुभाषचन्द्र बोस / जन्म जयंती -

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 नेताजी सुभाषचन्द्र बोस /  जन्म जयंती  - 23 जनवरी 1897 स्वतन्त्रता आन्दोलन के दिनों में जिनकी एक पुकार पर हजारों महिलाओं ने अपने कीमती गहने अर्पित कर दिये, जिनके आह्नान पर हजारों युवक और युवतियाँ आजाद हिन्द फौज में भर्ती हो गये, उन नेताजी सुभाषचन्द्र बोस का जन्म उड़ीसा की राजधानी कटक के एक मध्यमवर्गीय परिवार में 23 जनवरी, 1897 को हुआ था। सुभाष के अंग्रेजभक्त पिता रायबहादुर जानकीनाथ चाहते थे कि वह अंग्रेजी आचार-विचार और शिक्षा को अपनाएँ। विदेश में जाकर पढ़ें तथा आई.सी.एस. बनकर अपने कुल का नाम रोशन करें; पर सुभाष की माता श्रीमती प्रभावती हिन्दुत्व और देश से प्रेम करने वाली महिला थीं। वे उन्हें 1857 के संग्राम तथा विवेकानन्द जैसे महापुरुषों की कहानियाँ सुनाती थीं। इससे सुभाष के मन में भी देश के लिए कुछ करने की भावना प्रबल हो उठी। सुभाष ने कटक और कोलकाता से विभिन्न परीक्षाएँ उत्तीर्ण कीं। फिर पिताजी के आग्रह पर वे आई.सी.एस की पढ़ाई करने के लिए इंग्लैंड चले गये। अपनी योग्यता और परिश्रम से उन्होंने लिखित परीक्षा में पूरे विश्वविद्यालय में चतुर्थ स्थान प्राप्त किया; पर उनके मन म...