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Showing posts from February, 2022

22 Feb *यतीन्द्र मोहन सेनगुप्त

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 *यतीन्द्र मोहन सेनगुप्त (जन्म:22फ़र.1885; मृत्यु:22जुलाई,1933) स्वाधीनता संग्राम के प्रमुख नायक यतीन्द्र मोहन सेनगुप्त(देशप्रिय)का जन्म -22फ़र.1885को चटगांव में हुआ.पिता जात्रमोहन सेनगुप्त बड़े लोकप्रिय, बंगाल विधान परिषद के सदस्य थे।यतीन्द्र मोहन बंगाल में शिक्षा पूरी की।फिर-1904में इंग्लैंड गए.1909में बैरिस्टर बन स्वदेश आए।उन्होंने 'नेल्ली ग्रे' नाम की एक अंग्रेज़ लड़की से विवाह किया।  श्रीमती नेल्ली सेनगुप्त ने भी स्वतंत्रता संग्राम में प्रमुख भाग लिया । यतीन्द्र मोहन ने कोलकाता उच्च न्यायालय में वकालत की।रिपन लॉ कॉलेज में अध्यापक भी रहे.1911में कांग्रेस में सम्मिलित हुए. 1920की कोलकाता कांग्रेस में भाग लिया। किसानों और मज़दूरों को संगठित करने में उनका ध्यान विशेष ध्यान था. 1921में सिलहट में चाय बाग़ान मज़दूरों के शोषण के विरुद्ध इनके प्रयत्न से बाग़ानों के साथ-साथ रेलवे और जहाज़ों में भी हड़ताल हुई।तब उन्हें जेल में डाल दिया।स्वराज पार्टी बनने पर यतीन्द्र उसकी ओर से बंगाल विधान परिषद के सदस्य चुने. 1925में उन्होंने कोलकाता के मेयर बने।जनहित कार्यों से वे लोकप्रिय बने। उन्...

22 Feb Punyatithi *सेवा का अक्षय वट माधवराव परलकर

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 *पुण्य-तिथि*= *सेवा का अक्षय वट माधवराव परलकर*= राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ता जनजीवन से जुड़े होते हैं।उन्होंने ऐसे रोगियों और परिचारकों के लिए अनेक सेवा केन्द्रों की स्थापना की है।इनमें मुम्बई का‘नाना पालकर रुग्ण सेवा केन्द्र’भी एक है। इसके प्राण थे संघ के वरिष्ठ प्रचारक श्रीमाधव राव परलकर।माधव राव बाल्यकाल से ही संघ शाखा से जुड़ गये.1947 में‘आयुर्वेद प्रवीण’की उपाधि ली।वे चाहते तो कहीं नौकरी या होस्पीटल खोल सकते थे;वे संघ के प्रचारक के नाते अपना जीवन बिताने का निश्चय कर चुके थे।उन्हें मुम्बई में बान्द्रा से विरार,फिर चेम्बूर तक का क्षेत्र शाखाओं के विस्तार कार्य सौंपा गया। माधवराव साइकिल के बल पर अनेक शाखाएँ खोलीं।उनके मधुर व्यवहार ,परिश्रम से सैकड़ों नये कार्यकर्ता संघ से जुड़े।  संगठन क्षमता,सुमधुर बोली,युवाओं में प्रेम देख-1961में मुम्बई नगर का अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का संगठन मन्त्री बनाया.तब यह संगठन नया था; माधवराव ने अपने परिश्रम से इसमें जान डाल दी। फिर सम्पूर्ण महाराष्ट्र प्रदेश का काम उन्हें सौंपा.1962 -63में ABVP.के अ.भा.महामन्त्री बने।उनकी रुचि चिकि...

22 Feb कस्तुरबा नी पुण्यतिथि वंदन

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 कस्तुरबा नी पुण्यतिथि वंदन

22 Feb મહાગુજરાત આંદોલન ના પ્રણેતા ઇનદુચાચા ના જન્મદિવસે

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 મહાગુજરાત આંદોલન ના પ્રણેતા ઇનદુચાચા ના જન્મદિવસે વંદન जन्मदिवस 22फरवरी18 *🙏🙏🙏इंदुलाल याज्ञिक 🙏🙏*                    *(जन्म-22 फ़रवरी1892) खेड़ा ज़िला,गुजरात; मृत्यु-17जुलाई,1972)* भारतीय स्वतंत्रता संग्राम' में भाग लेने वाले प्रमुख कार्यकर्ताओं में से एक थे।वे गुजरात प्रदेश के निर्माताओं में से एक और 'ऑल इंडिया किसान सभा' के नेता थे।उन्होंने 'गुजरात विद्यापीठ' की स्थापना की योजना बनाई थी। इंदुलाल याज्ञिक गुजरात की सत्याग्रह कमेटी के सचिव भी बनाये गए थे.वर्ष 1923 में उन्हें गिरफ्तार करके यरवदा जेल में महात्मा गाँधी के साथ बंद किया गया था। यह बात भी उल्लेखनीय है कि उन्होंने अपनी पूरी संपत्ति 'महागुजरात सेवा ट्रस्ट' को दान कर दी थी। *🙏🙏जन्म तथा शिक्षा🙏🙏* इंदुलाल याज्ञिक का जन्म 22 फ़रवरी, सन 1892 को गुजरात के खेड़ा ज़िले में हुआ था। इनके पिता का नाम कन्हैयालाल था। इंदुलाल याज्ञिक ने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा खेड़ा से ही प्राप्त की थी। वर्ष 1906 में हाईस्कूल की परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद याज्ञिक जी ने 'गुजरात कॉलेज'अहमदाबाद मे...

22 Feb जन्मदिवस स्वामीसहजानंदसरस्वती

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 जन्मदिवस स्वामीसहजानंदसरस्वती 22.02.1889  *🌹🌹🌹महाशिवरात्रि🌹🌹🌹* आज किसानों के क्रांतिकारी नेता स्वामी सहजानंद सरस्वती का जन्मदिन है। किसानों के क्रांतिकारी नेता और भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के प्रखर नेता *स्वामी सहजानंद का जन्म 22फरवरी1889में महाशिवरात्रि के गाज़ीपुर जिले के देवा नामक गाँव में हुआ* स्वामी सहजानंद बहुत बड़े क्रांतिकारी लेखक थे।उनकी कुछ महत्वपूर्ण पुस्तकें निम्नलिखित हैं--- 1.गया के किसानों की करुण कहानी,1933 2.भूमि व्यवस्था कैसी हो,1935 3.The other side of the Shield,1938 4.Rent Reduction in Bihar: How it works,1939 5.मेरा जीवन संघर्ष,1940 6.किसान कैसे लड़ते हैं,1940 7.किसान सभा के संस्मरण,1940 8.किसान क्या करें?,1940 9.झारखंड के किसान,1941 10.खेत मजदूर,1941 11.क्रांति और संयुक्त मोर्चा,1941 12.जमींदारी का खात्मा कैसे हो?,1946 13.किसानों को फँसाने की तैयारियां,1946 14.अब क्या हो?,1947 15.महारूद्र का महातांडव,1948 16.किसानों के दावे और कार्यक्रम का खरीता,1949 स्वामी सहजानंद के विचार क्रांति के बारे में क्या थे?" क्रांति क्या है? "उनकी पुस्तिका से निम्नलिखि...

22 Feb जन्मदिवस 22.02.1856 परावर्तन केअग्रदूतस्वामीश्रद्धानन्दजी

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 जन्मदिवस 22.02.1856  परावर्तन केअग्रदूतस्वामीश्रद्धानन्दजी बलिदान-दिवस23दिसम्बर1926* भारत में आज जो मुसलमान हैं, उन सबके पूर्वज हिन्दू ही थे। उन्हें अपने पूर्वजों के पवित्र धर्म में वापस लाने का सर्वाधिक सफल प्रयास स्वामी श्रद्धानन्द ने किया। संन्यास से पूर्व उनका नाम मुंशीराम था। उनका जन्म 1856 में ग्राम तलबन (जिला जालन्धर, पंजाब) में एक पुलिस अधिकारी नानकचन्द जी के घर में हुआ था। 12 वर्ष की अवस्था में ही उनका विवाह हो गया। बरेली में आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानन्द के प्रवचनों से वे अत्यन्त प्रभावित हुए। उन्होंने अस्पृश्यता तथा जातीय भेदभाव के विरुद्ध प्रबल संघर्ष करते हुए अपनी पुत्री अमृतकला तथा पुत्रों पंडित हरिश्चन्द्र विद्यालंकार व पंडित इन्द्र विद्यावाचस्पति का अंतरजातीय विवाह किया। 1917 में संन्यास लेने पर उनका नाम स्वामी श्रद्धानन्द हो गया। स्वामी जी और गांधी जी एक दूसरे से बहुत प्रभावित थे। गांधी जी को सबसे पहले ‘महात्मा’ सम्बोधन स्वामी जी ने ही दिया था, जो उनके नाम के साथ जुड़ गया। 30 मार्च, 1919 को चाँदनी चौक, दिल्ली में रौलट एक्ट के विरुद्ध हुए सत्याग्रह का न...

21 Feb वीरगतिदिवस अमर बलिदानी वीरेन्द्रनाथ दत्त

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 वीरगतिदिवस  अमर बलिदानी वीरेन्द्रनाथ दत्त  21.02.1910  क्रान्तिकारी वीरेन्द्रनाथ दत्त गुप्त का जन्म 20जून 1889को बालीगाँव हाट (साहीगंज,बंगाल)में हुआ.* नौ वर्ष आयु में ही पिताश्री उमाचरण की मृत्यु हुई।माता वसन्त कुमारी की गोद में पले वीरेन्द्र ने बालीगाँव हाट,साहीगंज, कोलकाता में शिक्षा पायी।स्वास्थ्य ठीक न होने के से वे कक्षा दस की परीक्षा उत्तीर्ण नहीं कर पाये।उन दिनों विप्लवी दल"सुहृद समिति"के कार्यकर्ता सतीश चन्द्र सेन राधानाथ हाईस्कूल में पढ़ाते थे।उन्होंने वीरेन्द्र को समिति में भर्ती कर प्रशिक्षण दिया।वे उसी गाँव में तरुणों को व्यायाम के साथ लाठी व छुरेबाजी का भी अभ्यास कराते थे।इससे वहाँ के मुस्लिम बहुत नाराज थे।कई बार उस व्यायाम शाला में उपद्रव करने का प्रयास किया;वीरेन्द्र तथा साथियों की उग्र तैयारी देख वे पीछे हट गये।उन दिनों पुलिस उपाधीक्षक मौलवी शम्सुल आलम अलीपुर बम काण्ड की जाँच कर रहा था।वह अंग्रेज भक्त तथा लीगी मानसिकता का व्यक्ति था।उसकी इच्छा अधिक से अधिक क्रान्तिकारियों को फाँसी तक पहुँचाये।हावड़ा षड्यन्त्र केस में भी इसके कारण कई क्रान्तिकारियों क...

21 Feb *जन्म-दिवस*= *विदेशी शरीर में भारतीय आत्मा श्रीमां

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 *जन्म-दिवस*= *विदेशी शरीर में भारतीय आत्मा श्रीमां*= 21फर.1878को पेरिस (फ्रांस)में जन्मी श्रीमां का पूर्व नाम मीरा अल्फांसा था।पिता श्री मोरिस एक बैंकर,माता मातिल्डा अल्फांसा थीं।उनके मिस्र राजघराने से रक्त संबंध थे। चार वर्ष की आयु से ही वे कुर्सी पर बैठ ध्यान करने लगी।उन्हें लगता-एक ज्योति शिरोमंडल में प्रवेश कर असीम शांति प्रदान करती है.खेलकूद में मीरा की कोई रुचि नहीं थी।  12-13 वर्ष की आयु तक वे कई घंटे ध्यान में डूबने लगीं।पढ़ाई में वे सामान्य पाठ्यक्रम के साथ ही गीत, संगीत,नृत्य,साहित्य, चित्रकला में भी खूब रुचि लेती थीं।उन्हें लगता-कि उनका सूक्ष्म शरीर रात में भौतिक शरीर से बाहर निकल जाता.उन्हें लगता कि उनका विशाल सुनहरा परिधान पूरे पेरिस नगर के ऊपर छाया हुआ है, जिसके नीचे आकर और उसे छूकर दुनिया के हजारों लोग अपने दुखों से मुक्ति पा रहे हैं।मीरा को नींद में ही कई ऋषियों से अनेक अलौकिक शिक्षाएं मिलीं।एक प्रभावी व्यक्तित्व उन्हें प्रायःदिखाई देता था,जिसे वे कृष्ण कहती.उन्हें लगता-वे इस धरा पर है,उनके साथ रहकर ही उन्हें कार्य करना है।फिर उन्होंने अल्जीरिया के‘तेमसेम’नामक...

21 Feb *बलिदान दिवस=कित्तूर की रानी

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 🕉हर दिन विशेष पावन= *बलिदान दिवस=कित्तूर की रानी "चेन्नम्मा"*=                  कर्नाटक में चेन्नम्मा नामक दो वीर रानियां हुई।एक केलाड़ी की चन्नम्मा ने औरंगजेब से,दूसरी कित्तूर की चेन्नम्मा ने अंग्रेजों से संघर्ष किया।कित्तूर की रानी चेन्नम्मा का जन्म 1778.में कर्नाटक के बेलगांव की छोटी रियासत कित्तूर मे हुआ।पिता गुलप्पा गौड़ थे।बचपन से ही धुड़सवारी,तलवार बाजी,मे परांगत हो गई। इनकी शादी देशाई वंश के महाराजा मलेश्वरजा के साथ हुई।इनकी पहली पत्नि रूद्रमा पूजा पाठ में ही पूरा समय देती,चन्नम्मा उनकी दूसरी पत्नि थी जो महाराज के राज काज में पूरा सहयोग दे दरबार में बैठती।महाराज की मृत्यु बाद रानी ने सारा राज काज सम्भाला।तीन पुत्र थे।दो की मृत्यु हो गई,तीसरा शिवलिंग रूद्रशरजा को उत्तराधिकारी बनाया,वो भी बीमार हो गया।वो भी चल बसा।इससे पूर्व ही रानी ने नियमानुसार एक बालक शिवलिंगप्पा को गोद ले उसे कित्तूर राज्य का उत्तराधिकारी बनाया। पर अंग्रेजों ने नहीं माना। और कित्तुर को अपने राज्य मे मिलाना चाहा। रानी ने इसे स्वीकार नहीं कर,कहा कि कित्तूर हमार...

21 Feb अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस

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 अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएँ। आइए शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के अभियान “अपना हस्ताक्षर अपनी भाषा में” से जुड़े और इस दिवस संकल्प लें कि हम अपना हस्ताक्षर अपनी मातृभाषा में ही करेंगे। માતૃભાષા દિવસ ———- આજે 21 ફેબ્રુઆરી એટલે વિશ્વમાતૃભાષા દિવસ!! મને મારી ભાષા ગમે છે, કારણ કે મને મારી મા ગમે છે. મને ગુજરાતી હોવાનો ગર્વ છે, જય જય ગરવી ગુજરાત ,.........  આપ સર્વેને માતૃભાષા દિવસની  ખુબ ખુબ શુભેચ્છાઓ અરદેશર અલી ખબરદાર કહે છે કે ‘જ્યાં જ્યાં વસે ગુજરાતી ત્યાં સદાકાળ ગુજરાત.’ આ અવિસ્મરણીય સુત્ર આપીને આપણી માતૃભાષાના રખેવાળોએ સુંદર કાર્ય કર્યું છે. મહાકવિ ઉમાશંકર જોશી કહે છે કે ‘સદા સૌમ્ય શી વૈભવે ઉભરાતી, મળી માતૃભાષા મને ગુજરાતી.’ તો ગુજરાતના પ્રાચીન આખ્યાનકાર પ્રેમાનંદે ગુજરાતી માતૃભાષાનું ગૌરવ નહિ સ્થપાય ત્યાં સુધી માથે પાઘડીનો ત્યાગ કરવાનો પડકાર ફેંક્યો. કવિ દલપતરામે કહ્યું કે ‘હું રૂડી ગુજરાતી વાણી રાણીનો હું વકીલ છું.’ તો વર્ષ 1868માં રેવરન ફાધર ટેલરના શબ્દો હતા કે ‘સંસ્કૃતની દીકરી ગુજરાતી, તને સદાકાળ આશીર્વાદ હજો, તારું સદાય કલ્યાણ થાજો.’...

20 Feb *पुण्यतिथि=शरत चन्द्र बोस

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 *पुण्यतिथि=शरत चन्द्र बोस=* शरत चन्द्र बोस का जन्म- 7सित.1889में कलकत्ता में हुआ।पिता जानकी नाथ बोस उड़ीसा में कटक के एक प्रमुख अधिवक्ता थे। शरत चन्द्र बोस सुभाष चन्द्र बोस के बड़े भाई थे दोनों भाई एक-दूसरे के प्रति अत्यन्त समर्पित थे। शरत चन्द्र की शिक्षा-दीक्षा कटक तथा कलकत्ता में सम्पन्न हुई।इंग्लैण्ड से कानून में शिक्षा प्राप्त की. घर लौट कर कलकत्ता हाई कोर्ट से वकालत शुरू की। शरत की वकालत चल निकली।शरत चंद्र ने सी.आर.दास के निर्देशन में अपने कैरियर की शुरुआत की।कलकत्ता निगम के कार्यों में वर्षो तक चर्चित रहे।अहिंसा में विश्वास रखने के बावजूद शरत चंद्र का क्रांतिकारियों के प्रति सहानुभूति का दृष्टिकोण था।वे काँग्रेस कार्यकारी समिति के सदस्य थे तथा बंगाल विधान सभा में काँग्रेस संसदीय पार्टी के नेता थे।वे अगस्त1946में केंद्र की अंतरिम सरकार में शामिल हुए।शरत ने बंगाल विभाजन का विरोध किया ।वे बंगाल को एक स्वाधीन राज्य बनाना चाहते थे।पर असफल रहे।शरत चन्द्र का निधन-20फ़र.1950 को हुआ।सादर वंदन।नमन। ।।👏।।

19 Feb *जन्म जयंती=महाराज शिवाजी

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 *जन्म जयंती=महाराज शिवाजी =19फर-1627 जीजाबाई के वीर शिवा* शिवाजी का जन्म-19फर. 1627में पूना के प्रसिद्ध शिवनेरी किले में हुआ.किले की अधिष्ठात्री देवी के नाम पर इनका नाम शिवा रखा।देशभक्ति,राष्ट्र प्रेम,माता जीजाबाई से ही मिला था।पिता शाहजी भोंसले ने उनको बचपन में ही स्वराज्य स्थापना की मूल प्रेरणा दी थी,दादा कोणदेव उनके संरक्षक,शिक्षक,संत तुकाराम उनके आध्यात्मिक प्रेरक तथा समर्थ गुरु रामदास उनके मार्गदर्शक थे। शिवाजी का संपूर्ण जीवन अनेक विजय गाथाओं, प्रेरक प्रसंगों,विस्मयकारी घटनाओं से भरा है। शिवाजी की महाराष्ट्र के बाहर पहली यात्रा बेंगलुरू की हुई थी जो बीजापुर के शासक अली आदिलशाह का मुख्य स्थान था।वे 1640-42तक वहां रहे। जहां प्रत्यक्ष रूप से हिन्दुओं की दुर्दशा को देखा था।शिवाजी ने बीजापुर के सुल्तान की विलासिता,कामुकता, जबरन कन्वर्जन,नरसंहार के बारे में पहले से सुना था।वे प्रत्यक्ष मिलने हेतु पहली बार पिता शाह जी के साथ गए थे।उन्होंने बीजापुर के दरबार में भूमि पर माथ टेककर प्रणाम नहीं किया था।जो भारत के किसी भी मुस्लिम शासक को पहली चुनौती थी।उन्होंने बेंगलुरू में ही एक मुस्लिम...

19 Feb राष्ट्र ऋषि श्री माधव सदाशिव गोलवलकर

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 राष्ट्र ऋषि श्री माधव सदाशिव गोलवलकर / जन्म दिवस - 19 फरवरी श्री माधव सदाशिव राव गोलवलकर  "श्री गुरूजी"  का जन्म माघ कृष्ण एकादशी (विजया एकादशी) विक्रम संवत् 1962 तथा दिनांक  19 फरवरी 1906 को प्रातः के साढ़े चार बजे नागपुर के ही श्री रायकर के घर में हुआ। उनका नाम माधव रखा गया। परन्तु  परिवार के सारे लोग उन्हें मधु नाम से ही सम्बोधित करते थे। बचपन में उनका यही नाम प्रचलित था। ताई-भाऊजी की कुल 9 संतानें हुई थीं। उनमें से केवल मधु ही बचा रहा और अपने माता-पिता की आशा का केन्द्र बना। डाक्टर जी के बाद श्री गुरुजी संघ के द्वितिय सरसंघचालक बने और उन्होंने यह दायित्व 1973 की 5 जून तक अर्थात लगभग 33 वर्षों तक संभाला। ये 33 वर्ष संघ और राष्ट्र के जीवन में अत्यंत महत्वपूर्ण रहे। 1942 का भारत छोडो आंदोलन, 1947 में देश का विभाजन तथा खण्डित भारत को मिली राजनीतिक स्वाधीनता, विभाजन के पूर्व और विभाजन के बाद हुआ भीषण रक्तपात, हिन्दू विस्थापितों का विशाल संख्या में हिन्दुस्थान आगमन, कश्मीर पर पाकिस्तान का आक्रमण. 1948 की 30 जनवरी को गांधीजी की हत्या, उसके बाद संघ-विरोधी विष-वमन, ...

19 Feb स्मरणीयदिवस= मेवाड़ राजपुरोहितजी का बलिदान

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 स्मरणीयदिवस= मेवाड़ राजपुरोहितजी का बलिदान= महाराणा प्रताप का नाम इतिहास में अमर है।अकबर ने उनको पराजित करने और अपनी अधीनता मनवाने हेतु तीस वर्षों तक सतत प्रयत्न किया,पर सफल नहीं हुआ।अकबर की विशाल सेना का सामना महाराणा ने अपनी सीमित सेना से किया। जंगलों में भटके।भीलों की मदद ली।राजसी ठाट-बाट को त्याग जीवन भर कष्ट सहे,पर अधीनता स्वीकार नहीं की।महाराणा प्रताप का अनुज था शक्ति सिंह।वही रूप,वही तेज,वही दृढ़ स्वाभिमान,दोनों भाई एक समान।एक दिन दोनों भाई शिकार खेलने गए।अलग- अलग निकले थे।प्रताप ने एक जंगली सूअर का पीछा किया।प्रताप ने तीर चलाया।सूअर के पेट में जा समाया।तभी एक और तीर सूअर की पूंछ को छूता हुआ आया।सूअर धरती पर गिरा।तभी शक्तिसिंह घोड़ा सहित आये।प्रताप बोले-अरे शक्ति!तुम?हां भाई सा मैं।यह तीर मेरा है।क्षत्रिय का निशाना अचूक होता है।फिर तुम्हारा निशाना चूक कैसे गया?प्रताप ने कहा।जी भाई सा।मेरे क्षत्रिय होने में कोई संदेह है क्या?शक्ति सिंह की वाणी में तल्खी दिखाई पड़ी।तुम्हारा निशाना पूंछ के पास लगा।बड़े भाई की सहज भाव से कही गई बात शक्ति सिंह को अखर गई।क्रोध से नेत्र लाल हुए,स्...

19 Feb मराठा सेनापति बापु गोखले की पुण्यतिथि

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 मराठा सेनापति बापु गोखले की पुण्यतिथि 19.2.1818

19 Feb पूण्यतिंथि गोपाल कृष्ण गोखले

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 पूण्यतिंथि 19.2.1915 गोपाल कृष्ण गोखले CIE एक भारतीय 'उदारवादी' राजनीतिक नेता और भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान एक समाज सुधारक थे।  गोखले भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और सर्वेंट्स ऑफ इंडिया सोसाइटी के संस्थापक थे

18 Feb पुण्यतिथि -पंडित रामदहिन ओझा

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 पुण्यतिथि -पंडित रामदहिन ओझा (1901-- 18 फरवरी,1931) भारत के पत्रकार एवं स्वतन्त्रता सेनानी थे। माना जाता है कि असहयोग आन्दोलन में किसी पत्रकार की पहली शहादत पंडित रामदहिन ओझा की थी। वे कलकत्ता से 1923-24 में प्रकाशित होने वाले हिन्दी साप्ताहिक 'युगान्तर' के सम्पादक थे। जिस समय बलिया जेल में उनकी शहादत हुई, वे सिर्फ 30 वर्ष के थे। उनके साथी सेनानी कहते रहे कि पंडित रामदहिन ओझा के खाने में धीमा जहर दिया जाता रहा और इसी कारण उनकी मृत्यु हुई। उनके व्यक्तित्व के बहुआयामी पक्ष हैं। कवि, पत्रकार, स्वतंत्रता सेनानी उनके यह सारे आयाम देश को समर्पित थे। रामदीन ओझा का जन्म उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के बांसडीह कस्बे में हुआ था। बांसडीह कस्बे में ही प्रारम्भिक शिक्षा के बाद रामदहिन ओझा के पिता रामसूचित ओझा उन्हें आगे की शिक्षा के लिए कलकत्ता ले गये। वहां बीस वर्ष की उम्र तक पहुंचते-पहुंचते पत्रकार रामदहिन ओझा की कलकत्ता और बलिया में स्वतंत्रता योद्धाओं और सुधी राष्ट्रसेवियों के बीच पहचान बन चुकी थी। कलकत्ता के 'विश्वमित्र', 'मारवाणी अग्रवाल' आदि पत्र-पत्रिकाओं में कुछ स्पष...

18 Feb जन्मदिन - चैतन्य महाप्रभु

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 जन्मदिन - चैतन्य महाप्रभु 18.2.1486  विवरण चैतन्य महाप्रभु 15वीं शताब्दी के भारतीय संत थे, जिन्हें उनके शिष्यों और विभिन्न शास्त्रों द्वारा राधा और कृष्ण का संयुक्त अवतार माना जाता है।  चैतन्य महाप्रभु के उत्साहपूर्ण गीत और नृत्य के साथ कृष्ण की पूजा करने की विधा का बंगाल में वैष्णववाद पर गहरा प्रभाव पड़ा।

18 Feb जन्मजयंती=रामकृष्ण परमहंस प्रकृति अनुरागी*=

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 * जन्मजयंती=रामकृष्ण परमहंस प्रकृति अनुरागी*= श्री रामकृष्ण परमहंस का जन्म फागुन शुक्ल 2, विक्रमी सम्वत् 1893 (18 फरवरी, 1836) को कोलकाता के समीप ग्राम कामारपुकुर में हुआ था। पिता श्री खुदीराम चट्टोपाध्याय एवं माता श्रीमती चन्द्रादेवी ने अपने पुत्र का नाम गदाधर रखा था। सब उन्हें स्नेहवश 'गदाई' भी कहते थे।  बचपन से ही उन्हें साधु-सन्तों का साथ तथा धर्मग्रन्थों का अध्ययन अच्छा लगता था। वे पाठशाला जाते थे; पर मन वहाँ नहीं लगता था। इसी कारण छोटी अवस्था में ही उन्हें रामायण, महाभारत आदि पौराणिक कथाएँ याद हो गयीं थीं। बड़े होने के साथ ही प्रकृति के प्रति इनका अनुराग बहुत बढ़ने लगा। प्रायः ये प्राकृतिक दृश्यों को देखकर भावसमाधि में डूब जाते थे। एक बार वे मुरमुरे खाते हुए जा रहे थे कि आकाश में काले बादलों के बीच उड़ते श्वेत बगुलों को देखकर इनकी समाधि लग गयी। ये वहीं निश्चेष्ट होकर गिर पड़े। काफी प्रयास के बाद इनकी समाधि टूटी। पिता के देहान्त के बाद बड़े भाई रामकुमार इन्हें कोलकाता ले आये और हुगली नदी के तट पर स्थित रानी रासमणि द्वारा निर्मित माँ काली के मन्दिर में पुजारी नियुक्ति करा...

17 Feb पुण्यतिथि सशस्त्र क्रान्ति के नायक.लहूजी साल्वे =

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 पुण्यतिथि सशस्त्र क्रान्ति के नायक.लहूजी साल्वे ========(17.02.1881)=======                                         लहूजी का जन्म-14नव.1794को हुआ.* लहूजी को माँ के दूध के साथ ही स्वराज्य का पाठ भी पढ़ने को मिला।पिता राघोजी, माता विठाबाई।वे पुणे के पुरन्दर किले की तलहटी में बसे पेठ गाँव के थे।यह क्षेत्र शिवाजी द्वारा हिन्दू साम्राज्य के लिए किये गये प्रयत्नों का प्रत्यक्ष साक्षी था।लोग रात में चौपालों पर शिवाजी के शौर्य पराक्रम और विजय की गाथाएँ गाते थे।अतःलहूजी को पग-पग पर स्वराज्य के लिए मर मिटने की प्रेरणा मिलती थी।राघोजी पेशवा की सेना में काम करते थे।उनके घर में भी अनेक प्रकार के अस्त्र- शस्त्र थे।घर में युद्ध कथाओं की चर्चा होती रहती थी।पिता राघोजी ने लहूजी को अपने साथ पहाड़ियों में ले जाकर अस्त्र-शस्त्र चलाना सिखाते थे।सबल शरीर के स्वामी लहूजी को पट्टा चलाने में विशेष महारत थी।उन्हें शिकार करने का भी शौक था.1817में पेशवा-अंग्रेजों में युद्ध हुआ।मराठा सेना ने पूरी शक्ति से युद्ध...

17 Feb पुण्यतिथि स्वतन्त्रता सेनानी,नागाओं की रानी रानी मां गाइडिन्ल्यू

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 पुण्यतिथि स्वतन्त्रता सेनानी,नागाओं की रानी रानी मां गाइडिन्ल्यू  17.02.1993 गाइडिन्ल्यू का जन्म26जन.1915को नागाओं की रांगमेयी जनजाति में हुआ.* केवल 13वर्ष की आयु में अपने चचेरे भाई जादोनांग से प्रभावित हुई. जादोनांग प्रथम विश्व युद्ध में लड़ चुके थे।युद्ध के बाद अपने गाँव आकर उन्होंने तीन नागा कबीलों जेमी, ल्यांगमेयी,रांगमेयी में एकता स्थापित करने हेतु"हराका" पन्थ की स्थापना की।फिर तीनों सामूहिक रूप से जेलियांगरांग कहलाये।इसके बाद वे अपने क्षेत्र से अंग्रेजों को भगाने के प्रयास में लगे।  इससे अंग्रेज नाराज हुए। *उन्होंने जादोनांग को 29 अगस्त1931को फाँसी दे दी;* नागाओं ने गाइडिन्ल्यू के नेतृत्व में संघर्ष जारी रखा,अंग्रेजों ने आंदोलनरत गाँवों पर सामूहिक जुर्माना लगाकर उनकी बन्दूकें रखवा लीं.17वर्षीय गाइडिन्ल्यू ने इसका विरोध किया।वे अपनी नागा संस्कृति को सुरक्षित रखना चाहती थीं।हराका का अर्थ भी शुद्ध एवं पवित्र है।उनके साहस एवं नेतृत्व क्षमता को देखकर लोग उन्हें देवी मानने लगे।अब अंग्रेज गाइडिन्ल्यू के पीछे पड़ गये।उन्होंने गाँवों में उनके चित्र वाले पोस्टर दीवारों पर चि...

16 Feb Rana join Punyatithi

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 पूणयतीथी १६.२.२०२१ वरिष्ठ #RSS स्वयंसेवक, प्रख्यात कानून विशेषज्ञ, झारखंड और बिहार के पूर्व राज्यपाल, पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश, पूर्व राज्यसभा सांसद श्री एम।

17 Feb महान स्वतंत्रता सेनानी वासुदेव बलवंत फड़के बलिदान दिवस - 17 फरवरी

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 महान स्वतंत्रता सेनानी वासुदेव बलवंत फड़के बलिदान दिवस - 17 फरवरी वासुदेव बलवंत फडके (4 नवम्बर, 1845 – 17 फरवरी, 1883) भारत के स्वतंत्रता संग्राम के क्रांतिकारी थे जिन्हें आदि क्रांतिकारी कहा जाता है। जिनका केवल नाम लेने से युवकोंमें राष्ट्रभक्ति जागृत हो जाती थी, ऐसे थे वासुदेव बलवंत फडके । वे भारतीय स्वतंत्रता संग्रामके आद्य क्रांतिकारी थे । स्वतंत्र भारत के इस मन्दिर की नींव में पड़े हुए असंख्य पत्थरों को कौन भुला सकता है? जो स्वयं स्वाहा हो गए किन्तु भारत के इस भव्य और स्वाभिमानी मंदिर की आधारशिला बन गए। ऐसे ही एक गुमनाम पत्थर के रूप में थे, बासुदेव बलवन्त फड़के, जिन्होंने 1857 की प्रथम संगठित महाक्रांति की विफलता के बाद आजादी के महासमर की पहली चिनगारी जलायी थी। बासुदेव महाराष्ट्र के कालवा जिले के श्रीधर ग्राम में जन्मे थे। 1870 में महाराष्ट्र स्वदेशी आंदोलन के प्रमुख नेता न्यायमूर्ति रानाडे का मुम्बई में भाषण सुनकर बासुदेव प्रभावित हुए। 1871 में एक दिन सायंकाल वे कुछ गंभीर विचार में बैठे थे। तभी उनकी माताजी की तीव्र अस्वस्थता का तार उनको मिला, कि बासु! तुम तुरन्त आ जाओ अन्यथा...

17 Feb Punyatithi J Krishnamurthy

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16 Feb जन्मदिन जन्मदिवस परावर्तन के योद्धा ======== श्रद्धैय राजेश्वर जी

 जन्मदिवस परावर्तन के योद्धा ========              श्रद्धैय राजेश्वर जी ========            राजेश्वरजी=जन्म16फर.1916को दिल्ली में श्री भगवान दास जी के घर हुआ.* वे कक्षा में सदा प्रथम आते।धनाभाव से पिताजी ने कक्षा दस के बाद पढ़ाने से मना कर दिया;पर बड़े भाई श्री लुभाया राम के आग्रह पर पिताजी मान गये।राजेश्वर जी ने ट्यूशन पढ़ाते हुए बी.एस.सी.किया।तब छुआछूत और जातिभेद का जोर था;पर इन्होंने मां,भाभी को समझाकर रसोई में एक सफाईकर्मी के बेटे को काम पर रखा।तब पड़ोसियों ने दो वर्ष इनके घरसे खानपान का बहिष्कार किया.1934में इन्होंने देखा कि एक मियां मुसलमान कुएं से पानी ले कर हरिजन महिलाओं की बाल्टियों में डाल रहा है। साथ ही वह उनसे गन्दे मजाक भी कर रहा था। हरिजन कुएं की मुंडेर पर अपने घड़े नहीं रख सकते थे।तब राजेश्वर जी रोजाना वहां आ घड़ों में पानी भरने लगे।तब उस मुसलमान से झगड़ा भी हुआ;राजेश्वर जी डटे रहे।फिर धीरे-धीरे वे महिलाएं स्वयं ही कुएं से पानी लेने लगीं।उन दिनों सफाईकर्मी सिर पर मैला ले जाते थे.1939में वे शिमला में रहत...

16 Feb जन्मदिवस 16.02.1915) Thakur Ramsinh

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 जन्मदिवस 16.02.1915)==* ऐसा कहा जाता है कि शस्त्र या विष से तो एक-दो लोगों की ही हत्या की जा सकती है;पर यदि किसी देश के इतिहास को बिगाड़ दिया जाये,तो लगातार कई पीढ़ियाँ नष्ट हो जाती हैं। हमारे इतिहास के साथ दुर्भाग्य से ऐसा ही हुआ। रा.स्व.संघ के कार्यकर्ता इस भूल को सुधारने में लगे हैं।  *बाबा साहब आप्टे एवं मोरोपन्त पिंगले के बाद इस काम को बढ़ाने वाले "ठाकुर रामसिंह जी का जन्म16फर.1915को ग्राम झंडवी(जिला हमीरपुर, हिमाचल प्रदेश)में श्री भागसिंह एवं श्रीमती नियातु देवी के घर में हुआ.* उन्होंने लाहौर के सनातन धर्म कॉलिज से बी.ए.और क्रिश्चियन कॉलिज से इतिहास में स्वर्ण पदक के साथ एम.ए. किया।वे हॉकी के भी बहुत अच्छे खिलाड़ी थे।एम.ए.करते समय अपने मित्र बलराज मधोक के आग्रह पर वे शाखा में आये।क्रिश्चियन कॉलिज के प्राचार्य व प्रबन्धकों ने इन्हें अच्छे वेतन पर अपने यहां पर प्राध्यापक बनने का प्रस्ताव दिया,जिसे उन्होंने ठुकरा दिया.1942में खण्डवा म.प्र. से संघ शिक्षा वर्ग,प्रथम वर्ष कर वे प्रचारक बन गये।उस साल लाहौर से 58युवक प्रचारक बने थे, जिसमें से 10 ठाकुर जी के प्रयास से निकले। कां...

16 Feb पुण्यतिथि सिद्धांतप्रिय राजनेता वसंतभाई गजेन्द्र गडकर

 पुण्यतिथि सिद्धांतप्रिय राजनेता  वसंतभाई गजेन्द्र गडकर   16.02.1976 वसंतभाई गजेन्द्र गडकर  गुजरात में जनसंघ के कार्य को दृढ़ करने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है।वे"राव साहब"के नाम से प्रसिद्ध थे।कर्णावती लॉ कॉलिज में कानून पढ़ाते थे।संगठन कौशल को देख उन्हें राजनीतिक क्षेत्र में काम करने को कहा गया,जिसे उन्होंने निस्पृह भाव से स्वीकार किया।सत्तर के दशक में गुजरात में नवनिर्माण आंदोलन के समय जनसंघ द्वारा आयोजित रैली,बंद से वातावरण बहुत गरम था।ऐसे में एक बार वामपंथी दलों ने गुजरात बंद का आह्नान किया।वाम की अविश्वसनीयता देखते हुए जनसंघ ने उससे अलग रहने का निश्चय किया।तब के मुख्यमंत्री चिमनभाई पटेल ने वसंत भाई को बुलाकर कहा -यदि जनसंघ बंद से अलग रहे,तो वे वामपंथियों से निपट लेंगे।वसंतभाई ने स्पष्ट कर दिया कि जनसंघ इस बंद से अलग है;पर भ्रष्ट सरकार का वे समर्थन नहीं करते।अत:विपक्षी आंदोलन के दमन का दुःसाहस शासन न करे.1971के लोकसभा चुनाव में कर्णावती से वसंतभाई का लोकसभा का टिकट पक्का था।उनके नाम के पोस्टर,बैनर आदि भी लग गयेे;पर तभी दिल्ली से अन्य नाम की सूचना आ गयी।कार्...

15 Feb पुण्यतिथि -सुभद्रा कुमारी चौहान

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 पुण्यतिथि -सुभद्रा कुमारी चौहान (१६ अगस्त १९०४-१५ फरवरी १९४८) हिन्दी की सुप्रसिद्ध कवयित्री और लेखिका थीं। झाँसी की रानी (कविता) उनकी प्रसिद्ध कविता है। वे राष्ट्रीय चेतना की एक सजग कवयित्री रही हैं। स्वाधीनता संग्राम में अनेक बार जेल यातनाएँ सहने के पश्चात अपनी अनुभूतियों को कहानी में भी व्यक्त किया।

15 Feb जन्मदिन- पंडित बद्री दत्त पांडे

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 जन्मदिन १५.२.१८८२ पंडित बद्री दत्त पांडे  एक भारतीय इतिहासकार, स्वतंत्रता सेनानी, समाज सुधारक और बाद में स्वतंत्र भारत में अल्मोड़ा से संसद सदस्य थे।  गोविंद बल्लभ पंत के साथ, वह कुमाऊं के प्रमुख राजनीतिक नेताओं में से एक थे

14 Feb 2019 Pulvama Sahid

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 શ્રદ્ધાંજલી

14 Feb स्वतंत्रता के साधक बाबा गंगादास / जन्म दिवस -

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 स्वतंत्रता के साधक बाबा गंगादास / जन्म दिवस - 14 फरवरी 1857 के भारत के स्वाधीनता संग्राम में सक्रिय भूमिका निभाने वाले बाबा गंगादास का जन्म 14 फरवरी, 1823 (वसंत पंचमी) को गंगा के तट पर बसे प्राचीन तीर्थ गढ़मुक्तेश्वर (उ.प्र.) के पास रसूलपुर ग्राम में हुआ था। इनके पिता चौधरी सुखीराम तथा माता श्रीमती दाखादेई थीं। बड़े जमींदार होने के कारण उनका परिवार बहुत प्रतिष्ठित था। जन्म के कुछ दिन बाद पूरे विधि-विधान और हर्षोल्लास के साथ उनका नाम गंगाबख्श रखा गया। चौधरी सुखीराम के परिवार में धार्मिक वातावरण था। इसका प्रभाव बालक गंगाबख्श पर भी पड़ा। उन दिनों उनका सम्पर्क उदासीन सम्प्रदाय के संत विष्णु दास से हो गया था।  संत विष्णु दास ने उनकी निश्छल भक्ति भावना तथा प्रतिभा को देखकर उन्हें दीक्षा दी। इस प्रकार उनका नाम गंगाबख्श से गंगादास हो गया। संत विष्णु दास के आदेश पर वे काशी आ गये। यहां लगभग 20 वर्ष उन्होंने संस्कृत के अध्ययन और साधना में व्यतीत किये। उन दिनों देश में सब ओर स्वाधीनता संग्राम की आग धधक रही थी। बाबा गंगादास इससे प्रभावित होकर ग्वालियर चले गये और वहां एक कुटिया बना ली। वहा...

14 Feb જન્મદિવસ 14.02.1925 समाजसेवी,नेता मोहन धारिया

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 જન્મદિવસ  14.02.1925 समाजसेवी,नेता मोहन धारिया===                 जन्म:14फ़र.1925और मृत्यु:14अक्टू.2013)* मोहनधारिया की संस्था "वनराई"ग्रामीण विकास के क्षेत्र में कार्य कर रही है।वनों को बचाने,बंजर भूमि को उपजाऊ बनाने और जल संरक्षण के क्षेत्र में कार्य करते हुए यह संस्था ग्रामीणों के शहर की ओर पलायन रोकने में सफल रही.भारत के पूर्व केंद्रीय मंत्री,वकील एवं सामाजिक कार्यकर्ता थे।लोकसभाऔर राज्यसभा के दो बार सदस्य रह चुके मोहन धारिया राज्य स्तरीय व राष्ट्र स्तरीय राजनीति का जाना- पहचाना नाम है।वह1971 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कार्यकाल में राज्य मंत्री रहे, लेकिन 1975 में आपात काल के बाद उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी थी।फिर वे भारतीय लोकदल में शामिल हुए. 1977में प्र.मं.मोरारजी देसाई के समय वाणिज्य मंत्री बने थे।मोहन धारिया योजना आयोग उपाध्यक्ष भी रहे थे. *महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले के महाद शहर में14फ़र.1925को जन्मे धारिया* ने पुणे जाने से पहले यहीं अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की।उन्होंने आईएलएस लॉ कॉलेज से अपनी कानूनी पढ़ाई पूरी की।राजनीति में...

13 Feb जन्मदिन परमहंस बाबा राम मंगलदास

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  संत शिरोमणि  अनंत श्री परमहंस राम मंगल दास जी  विश्व के एक आदित्य ब्रह्मलीन संत थे जिनके समक्ष देवी -देवता, हर धर्म के पैगम्बर व सिद्ध-संत नित्य ध्यान में तथा प्रत्यक्ष प्रकट होकर बातें करते तथा आध्यात्मिक पद लिखवाते थे | उन्होंने अपने गुरुदेव की अत्यंत कठिन सेवा की पांच आज्ञाओं (महावाक्यों) का आजीवन पालन किया : 'अयोध्या में रहना, चाहे जहाँ पर | कोई जमीन दे तो न लेना | मरे पर पास में कफ़न को पैसा न निकले | कोई मारे तो हाथ न चलाना | किसी से बैर न करना |'अनेक वर्षो से सोये नहीं, वे सदा अनहद नाद को सुनते रहते थे | अतः भक्तजन स्लेट अथवा कागज़ पर लिखकर प्रश्न पूछते | तत्पश्चात गुरुदेव अपने श्रीमुख से उनकी शंका समाधान करते व उपदेश देते | वे करुणा के सागर थे तथा सदा नंगे पैर चलते थे की कही कोई जीव मर न जाए | उनका जीवन अत्यंत ही सरल व सादा था | सिर्फ एक अचला धोती पहने, बारहो मास एक सादी लकड़ी के तखत पर सुबह से रात तक बैठते तथा भक्तो को कल्याण मार्ग बताते | श्री परमहंस राममंगल दास जी सभी धर्मो को मानते थे | उनके भक्त हर धर्म व जाति के थे | कोई भेद भाव नहीं था | हिन्दुओ को देवी -देव...

13. Feb Birth date Sarojini Naidu

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13.2.1879 Birth  date    Sarojini Naidu was an Indian political activist and poet. A proponent of civil rights, women's emancipation, and anti-imperialistic ideas, she was an important figure in India's struggle for independence from colonial rule.

13 Feb मुग़ल आक्रमण के प्रतिकारक महाराजा सूरजमल जाट जन्म दिवस –

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 मुग़ल आक्रमण के प्रतिकारक महाराजा सूरजमल जाट जन्म दिवस – 13 फरवरी मुगलों के आक्रमण का प्रतिकार करने में उत्तर भारत में जिन राजाओं की प्रमुख भूमिका रही है, उनमें भरतपुर (राजस्थान) के महाराजा सूरजमल जाट का नाम बड़ी श्रद्धा एवं गौरव से लिया जाता है। उनका जन्म 13 फरवरी, 1707 में हुआ था। ये राजा बदनसिंह ‘महेन्द्र’ के दत्तक पुत्र थे। उन्हें पिता की ओर से वैर की जागीर मिली थी। वे शरीर से अत्यधिक सुडौल, कुशल प्रशासक, दूरदर्शी व कूटनीतिज्ञ थे। उन्होंने 1733 में खेमकरण सोगरिया की फतहगढ़ी पर हमला कर विजय प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने 1743 में उसी स्थान पर भरतपुर नगर की नींव रखी तथा 1753 में वहां आकर रहने लगे। महाराजा सूरजमल की जयपुर के महाराजा जयसिंह से अच्छी मित्रता थी। जयसिंह की मृत्यु के बाद उसके बेटों ईश्वरी सिंह और माधोसिंह में गद्दी के लिए झगड़ा हुआ। सूरजमल बड़े पुत्र ईश्वरी सिंह के, जबकि उदयपुर के महाराणा जगतसिंह छोटे पुत्र माधोसिंह के पक्ष में थे। मार्च 1747 में हुए संघर्ष में ईश्वरी सिंह की जीत हुई। आगे चलकर मराठे, सिसौदिया, राठौड़ आदि सात प्रमुख राजा माधोसिंह के पक्ष में हो गये। ऐस...

13 Feb वीरगतिदिवस========= वीर महा योद्धा बुधु भगत और परिवार

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 वीरगतिदिवस=========                 वीर महा योद्धा बुधु भगत और परिवार ========(13.02.1832)======                13फ़रवरी शहीदी बलिदान दिवस वीर बुद्धू भगत.. अंग्रेजो की बंदूकों के खिलाफ लड़े थे कुल्हाड़ी से और पूरा परिवार पाया था वीरगति को.उनको सादर वंदन.सादर नमन.* ""सच्चे वीरों का बलिदान.. क्यों भूल गया है हिंदुस्तान.."    बुधु भगत=एक वो बलिदानी जिसने खुद के साथ अपने दो बेटों को भी चढाया आज़ादी की बलिवेदी पर..कुछ चाटुकार इतिहासकारों की अक्षम्य भूल के कारण भुला दिए गए.झारखण्ड में राँची ज़िले के सिलागाई गाँव से सिर्फ एक कुल्हाड़ी ले कर ब्रिटिश सरकार की तोपों, बन्दूकों से मुकाबला शुरू कर के बाद में इसे लरका विद्रोह नाम की क्रान्ति ज्वाला बना देने वाले महायोद्धा बुधु भगत को आज उनके वीरगति शहीद बलिदानदिवस13फरवरी को सादर श्रद्धांजलि.वंदन. आमतौर पर1857को ही स्वतंत्रता संग्राम का प्रथम समर माना जाता है।लेकिन इससे इससे पूर्व ही वीर बुधु भगत ने न सिर्फ़ क्रान्ति का शंखनाद किया था,बल्कि अपने साहस व नेतृ...

13 Feb जन्मदिवस=== पद्मश्री जगजीत सिंह अरोड़ा

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 जन्मदिवस=== पद्मश्री जगजीत सिंह अरोड़ा===   ========(13.02.1916)=======                                जन्म=13फ़र.1916को और मृत्यु-03मई2005को हुई. वे भारतीय सेना कमांडर थे।उनका जन्म झेलम में- 12.02.1916में हुआ,जो अभी पाक.में है* पाक.के साथ 1971के युद्ध में उसे पूर्वी मोर्चे पर करारी मात देकर"बांग्लादेश"नाम के नये देश को विश्व के मानचित्र में स्थापित करने वाले हीरो लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा थे.1938में उन्हें सेना में कमीशन मिला. द्वितीय विश्वयुद्ध के समय वे पूर्वी मोर्चे पर थे।डिफेंस कॉलेज के प्रशिक्षण के बाद वे मेजर जनरल के रूप में तोपखाना डिवीजन के कमाण्डर बने.1964में जनरल ऑफ़ीसर कमांडिंग के रूप में उनको पूर्वी कमान की ज़िम्मेदारी सौंपी.उस समय के पूर्वी पाक.में सेना के अत्याचारों से त्रसित लगभग एक करोड़ बंगाल निवासियों को भारत में शरण लेने के लिए बाध्य होना पड़ा, तो भारत वहाँ की'मुक्ति सेना' की मदद हेतु आगे बढ़ा।तब पाक.ने हमला कर दिया।इस युद्ध में लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह का साहस और रण ...

12 Feb पुण्य-तिथि= महान,राष्ट्रवादी,स्वतंत्रता सेनानी,क्रांतिकारी सूफ़ी अम्बाप्रसाद

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 पुण्य-तिथि= महान,राष्ट्रवादी,स्वतंत्रता सेनानी,क्रांतिकारी सूफ़ी अम्बाप्रसाद=              इनका जन्म-1858में मुरादाबाद(उ.,प्र.)में हुआ। इनका एक हाथ जन्म से ही कटा हुआ था।बड़े हुए, तब इनसे किसी ने पूछा- "आपका एक हाथ कटा हुआ क्यों है?"उन्होंने जबाव दिया-"वर्ष 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में मैंने अंग्रेज़ों से जमकर युद्ध किया था।तब हमारा हाथ कटा,अब मेरा पुनर्जन्म है" ।सूफ़ी अम्बाप्रसाद ने मुरादाबाद&जालन्धर में अपनी शिक्षा ग्रहण की. सूफ़ी अम्बा प्रसाद बड़े अच्छे लेखक थे।वे उर्दू में एक पत्र भी निकालते थे। दो बार अंग्रेज़ों के विरुद्ध बड़े कड़े लेख लिखे। फलस्वरूप उन पर दो बार मुक़दमा चलाया।प्रथम बार चार महीने की,दूसरी बार नौ वर्ष की कठोर सज़ा हुई।उनकी सारी सम्पत्ति भी अंग्रेज़ सरकार द्वारा जब्त कर ली।सूफ़ी अम्बाप्रसाद कारागार से लौट आने बाद हैदराबाद गए।फिर वहाँ से लाहौर चले गये।वहां वे सरदार अजीत सिंह की संस्था 'भारत माता सोसायटी'में काम करने लगे।सिंह जी के नजदीकी सहयोगी होने के साथ ही सूफ़ी तिलक जी के भी अनुयायी बन गए।तब उन्होंने एक पुस्तक लिखी,ज...

12 Feb आधुनिक भारत के महान चिन्तक, समाज-सुधारक स्वामी दयानंद सरस्वतीजी का जन्म

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 आधुनिक भारत के महान चिन्तक, समाज-सुधारक स्वामी दयानंद सरस्वतीजी का जन्म 12 फरवरी 1824 में मोरबी, गुजरात में हुआ था. दयानंद सरस्वतीजी आर्यसमाज के संस्थापक थे, जिन्हें आधुनिक पुनर्जागरण के प्रणेता भी कहा जाता है। इन्होंने भारतीय समाज में कई सुधार किेए। यही नहीं इन्होंने एक सच्चे देशभक्त की तरह अपने देश के लिए कई संघर्ष किए और स्वराज्य का संदेश दिया जिसे बाद में बाल गंगाधर तिलक ने अपनाया और स्वराज्य मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है का नारा दिया। स्वामी दयानन्द के विचारों से प्रभावित महापुरुषों की संख्या असंख्य है, इनमें प्रमुख नाम हैं- मादाम भिकाजी कामा,भगत सिंह पण्डित लेखराम आर्य, स्वामी श्रद्धानन्द, पण्डित गुरुदत्त विद्यार्थी, श्यामजी कृष्ण वर्मा, विनायक दामोदर सावरकर, लाला हरदयाल, मदनलाल ढींगरा, राम प्रसाद 'बिस्मिल', महादेव गोविंद रानडे, महात्मा हंसराज, लाला लाजपत राय इत्यादि।